Veer Bal Diwas 2023: मुगलों को मनवाया ताकत का लोहा, बलिदानी दी पर नहीं झुकाया सिर... यहां पढ़िए वीर बाल दिवस का इतिहास
Veer Bal Diwas 2023 गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों की शहादत के उपलक्ष्य पर पूरे देश में वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है। मुगल सम्राट औरंगजेब की सेना से लड़ते हुए बलिदान हुए गुरू गोविंद सिंह के चारों साहिबजादों की याद में इस दिवस को मनाया जाता है। उन्होंने मुगलों को अपनी ताकत का लोहा मनवा दिया लेकिन सिर नहीं झुकाया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Veer Bal Diwas 2023: गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों की शहादत के उपलक्ष्य पर पूरे देश में वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है। आज वीर बाल दिवस का दूसरा दिन है।
मुगल सम्राट औरंगजेब की सेना से लड़ते हुए बलिदान हुए गुरू गोविंद सिंह के चारों साहिबजादों की याद में इस दिवस को मनाया जाता है। इस दौरान पूरे हफ्ते सिख समाज के लोग कोई खुशी के पर्व में शामिल नहीं होते हैं।
हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है वीर बाल दिवस
बता दें कि केंद्र सरकार ने हर साल 26 दिसंबर को माता गुजरी और चार साहिबजादों की शहादत की याद में वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी। इन चार साहिबजादों की शहादत इतिहास के पन्नों पर अमर है क्योंकि इन्होंने छोटी उम्र में मुगलों को धूल चटाते हुए अपनी ताकत को लोहा मनावाया था और किसी के आगे झुके नहीं थे।आइए जानते हैं श्री गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादा जोरावर सिंह (9),साहिबजादा फतेह सिंह (7) , बाबा अजीत सिंह (17), बाबा जुझार सिंह और माता गुजरी की शहादत का इतिहास, जिनके बलिदान को याद कनरे के लिए वीर बाल दिवस मनाया जाएगा।
आनंदपुर साहिब किले से शुरू हुआ था संघर्ष
साल 1705 में पंजाब के रूपनगर में स्थित आनंदपुर साहिब किले से उनके संघर्ष की शुरुआत हुई थी। मुगलों और गुरु गोबिंद के बीच लंबे-समय से जंग जारी थी। वे कई रणनीतियां अपनाकर उन्हें हराना चाह रहे थे, लेकिन गुरु गोबिंद सिंह जी झुकने वालों में से नहीं थे और अंत में भी उन्होंने मुगलों को अपनी ताकत का लोहा मनवा ही दिया।ਦਸਮ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਧੰਨ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਛੋਟੇ ਫ਼ਰਜ਼ੰਦ ਬਾਬਾ ਜ਼ੋਰਾਵਰ ਸਿੰਘ ਜੀ ਤੇ ਬਾਬਾ ਫ਼ਤਿਹ ਸਿੰਘ ਜੀ ਸਮੇਤ ਮਾਤਾ ਗੁਜ਼ਰੀ ਜੀ ਦੀ ਅਦੁੱਤੀ ਸ਼ਹਾਦਤ ਨੂੰ ਸੀਸ ਝੁਕਾ ਕੇ ਪ੍ਰਣਾਮ ਕਰਦੇ ਹਾਂ…. pic.twitter.com/C8GmrFP4mm
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) December 27, 2023
मुगल सेना ने गुरु गोबिंद सिंह के परिवार पर किया हमला
मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु गोबिंद सिंह जी को हराने के लिए नई रणनीती बनाई। उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह से आनंदपुर किला खाली कराने के लिए पत्र लिखा।
ऐसे में उन्होंने किला खाली करना ही उचित समझा, लेकिन किले से निकलते वक्त मुगल सेना ने उन पर हमला कर दिया था, जिसमें उनका परिवार बिछड़ गया। गोबिंद सिंह जी के साथ दो बड़े साहिबजादे थे जबकि छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी के साथ चले गए थे।
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