फाजिल्का में सुरक्षा को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल, तीन घंटे बंद रहेगी ओपीडी बंद; मरीज परेशान
फाजिल्का के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने सुरक्षा और बेहतर कार्य परिस्थितियों की मांग को लेकर हड़ताल शुरू कर दी है। ओपीडी सुबह 8 बजे से बंद है और मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पीसीएमएसए ने सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा डॉक्टरों की पदोन्नति और नियमित भर्ती की मांग की है। हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी।
जागरण संवाददाता, फाजिल्का। पीसीएमसी डॉक्टर्स एसोसिएशन के आह्वान पर फाजिल्का के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी है। इसको लेकर ओपीडी सुबह 8 बजे से ही बंद है। मरीज पर्ची काउंटर के बाहर इंतजार करने को मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा कई दूर दराज गांवों से आए मरीज वापस लौट रहे हैं। अस्पताल में केवल इमरजेंसी सेवाएं ही चल रही हैं। इसके अलावा दवाई काउंटर भी बंद पड़ा हुआ है।
सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा देने की मांग
बता दें कि पिछले दिनों कालकत्ता में एक महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद से ही सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा की मांग लगातार तेजी होती जा रही है। इसको लेकर हाल ही में पीसीएमएसए द्वारा भी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा देने की मांग उठाई गई थी, लेकिन अभी तक वह मांग पूरी नहीं हुई। इसके अलावा अन्य मांगों को लेकर पीसीएमएसए द्वारा बड़ा संघर्ष करते हुए नौ सितंबर से हड़ताल रखने का फैसला लिया, जिसके तहत सिविल सर्जन कार्यालयों में ज्ञापन भी सौंपे गए।
तीन घंटे कर बंद रहेगी ओपीडी
ज्ञापन में यह बताया गया कि नौ सितंबर से डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। लेकिन सरकार से बातचीत के दौरान 11 सितंबर को बैठक का समय मिलने और मरीजों की परेशानियों को देखते हुए पूरे दिन की हड़ताल को तीन घंटे में ओपीडी बंद रखने तक सीमित कर लिया गया है। पीसीएमएसए के अध्यक्ष डॉ. रोहित गोयल ने बताया कि एसोसिएशन की मुख्य मांगों में सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा देना और पीसीएमएसए डॉक्टरों की तरक्की व रेगुलर भर्ती शामिल है।डॉक्टरों की रेगुलर भर्ती की भी हो रही मांग
डॉ. रोहित गोयल ने कहा कि पीसीएमएसए डाक्टरों की तरक्की 2021 से बकाया पड़ी हैं, जिनको जल्द रिलीज किया जाए। इसके अलावा एमबीबीएस डॉक्टर की रेगुलर भर्ती चार साल बाद हुई है, जबकि इन चार सालों में कई अस्पतालों में डॉक्टरों के पद रिक्त होने के चलते तैनात डॉक्टरों को कई-कई चार्ज संभालने पड़े।जिस कारण कई डॉक्टर तो नौकरी छोड़ चुके हैं। मांग है कि एमबीबीएस डॉक्टरों की रेगुलर तैनाती होगी, जिससे रिक्त पदों को भरा जा सके और मरीजों को भी बेहतरीन इलाज मिले। इसके अलावा डीए की बकाया किश्तों को भी जल्द रिलीज किया जाए।
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