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Firozpur Flood: किसी का टूटा घर तो किसी के आशियाने को बहा ले गई बाढ़, सीमावर्ती गांवों में कुछ ऐसा है हाल

पंजाब के फिरोजपुर में आई बाढ़ ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया है। सीमावर्ती गावों में हालात अभी भी बेहद खराब हैं। बाढ़ प्रभावितों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। सैकड़ों लोगों के घर बाढ़ में पूरी तरह से टूट चुके हैं। जो घर बचे हैं उनमें भी दरारें आ गई हैं। नुकसान के कारण लोगो में त्राहि-त्राहि का माहौल है।

By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sat, 26 Aug 2023 05:17 PM (IST)
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किसी का टूटा घर तो किसी के आशियाने को बहा ले गई बाढ़, सीमावर्ती गांवों में कुछ ऐसा है हाल
फिरोजपुर, तरुण जैन। सतलुज के उफान की बाढ़ ने सीमावर्ती गांवों में तबाही के निशान छोड़ दिए हैं। 20 गांवों के हजारों घरों में जहां नींव धंस गई है तो वहीं कमरों की दीवारों में दरारें आ गई हैं। लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर घरों में रहने को मजबूर हैं। गांव का एक भी घर ऐसा नहीं है, जहां पर बाढ़ ने अपने निशान न छोड़े हों। नुकसान के कारण लोगो में त्राहि-त्राहि का माहौल है। लोगों में गुस्सा है कि अभी तक प्रशासन और सरकार का एक भी नुमाइंदा उनका दर्द जानने नहीं पहुंचा है। गांव में कई ऐसे घर भी हैं, जोकि पानी के तेज बहाव में ही बह गए हैं।

गांव नई गट्टी के प्यारा सिंह ने बताया कि उनके घर के दो कमरे बाढ़ के पानी के कारण पूरी तरह से टूट गए हैं, जिस कारण उन्होंने अपने घर के सारे सामान को बाहर रख लिया है। परमात्मा का यह शुक्र है कि जब कमरे टूटे तो उनमें कोई था नहीं, वरना जानी-माली नुकसान हो सकता था।

'किसी भी समय गिर सकती है छत'

दिहाड़ी मजदूरी करके घर का पालन-पोषण करने वाले रमेश सिंह ने कहा कि बाढ़ ने उनके घर में तबाही के निशान छोड़ दिए हैं। घर के हर एक कमरे में दरारे हैं और किसी भी समय छत उनके ऊपर गिर सकती है। उन्होंने बहुत मुश्किल से अपना आशियाना बनाया था।

'घर की दीवारों में आई दरारें'

सोनू ने बताया कि उन्होंने फाजिल्का जाकर नरमा उठाकर कड़ी मेहनत के बाद अपना घर बनाया था। उन्होंने सोचा था कि अब उनके सपनों का घर बन गया है, लेकिन बाढ़ के पानी के प्रभाव के कारण उनके आलिशान घर की छतों में दरारे आ गई हैं तो वहीं कमरों की दीवारें नींव छोड़ गई हैं। अब तो घर के भीतर सोते हुए भी डर लगता है।

बूटा सिंह ने कहा कि उनके पास मात्र एक एकड़ भूमि है और घर की जमीन धंसने के अलावा दीवारों में दरारें पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि गांव का कोई ऐसा घर नहीं जहां तबाही ने अपने निशान नहीं छोड़े हो।

मेजर सिंह, जस्सा सिंह, जसबीर सिंह ने कहा कि बाढ़ के समय तो जान बचाने के लिए वह अपना घर छोड़कर चले गए थे। लेकिन पानी सूखने के बाद जब घरों में आए तो वह हाल देखकर चौंक गए। हर तरफ तबाही का मंजर था। घरों के कमरे पानी में बह गए और जो बचे थे, उनमें तरेड़ें आई हुईं हैं।

ऐसी तबाही कभी नहीं देखी

घर टूटा होने के कारण गांव की गली में चारपाई बिछाकर अन्य महिलाओं के साथ बैठी 85 वर्षीय महिन्द्र कौर ने कहा कि जिंदगी में नुकसान होते तो बहुत देखे हैं, लेकिन जो इस बार बाढ़ ने उनके गांव में नुकसान किया है, वैसा कभी नहीं देखा। महिन्द्र कौर के पति ईसर सिंह की कई साल पहले मौत हो चुकी है और उनके पास 5 एकड़ भूमि कंटीली तारों के पार है।

महिन्द्र कौर ने कहा कि 1988 की बाढ़ भी उन्होंने देखी है और 1965 और 1971 का युद्ध भी। उन्होंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। लेकिन इस बार बाढ़ ने उनके गांव में भयंकर तबाही मचाई है। वह उसे कभी भूल नहीं पाएंगी।

'सरकार नहीं ले रही सुध'

भाजपा नेता राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने कहा कि जिन लोगों के घरों का नुकसान हुआ है, राज्य सरकार द्वारा उन्हें तुरंत एक लाख रुपये की मुआवजा राशि प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक ग्रामीणों की सुध लेना भी सहीं नहीं समझा है।

पूर्व संसदीय सचिव सुखपाल सिंह नन्नू ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को खुद सीमावर्ती गांवों में आकर घर-घर जाकर निरीक्षण करना चाहिए। ताकि उन्हें पता चले कि लोग किस तरह जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं। सरकार लोगों को तुरंत सहायता राशि प्रदान करे।

राज्य सरकार की तरफ से 22 करोड़ रुपए फसलों के मुआवजे के लिए भेजे गए हैं। प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावितों की सहायता हेतू हरसंभव मदद की जा रही है। - राजेश धीमान, डिप्टी कमिश्रर

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