Punjab: सवालों के घेरे में PM सुरक्षा चूक मामले की जांच , 150 अज्ञात लोगों में से 26 की हो पाई पहचान; अब तक पेश नहीं हुए चालान
पंजाब में पांच जनवरी 2022 को हुई पीएम सुरक्षा चूक मामले की जांच को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। पाकिस्तान की सीमा से महज 23 किलोमीटर दूर हुई इस घटना में दो साल बाद भी पुलिस अदालत में चालान नहीं पेश कर पाई है। पुलिस ने 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था लेकिन अभी तक उनमें से 26 की ही पहचान हो पाई है।
जागरण संवाददाता, फिरोजपुर। पांच जनवरी 2022 को पाकिस्तान की सीमा से महज 23 किलोमीटर पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुरक्षा में हुई चूक मामले में पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है। इस मामले में एक एसपी, दो डीएसपी समेत सात पुलिस अधिकारियों के निलंबन के बावजूद पुलिस दो साल बाद भी आरोपितों के खिलाफ अदालत में चालान पेश नहीं कर पाई है।
मालूम हो कि फिरोजपुर के हुसैनीवाला में प्रधानमंत्री मोदी की रैली रखी गई थी। हल्की वर्षा के कारण बठिंडा से प्रधानमंत्री का काफिला जब हुसैनीवाला के लिए निकला तो गांव प्यारेआना के पास कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगा दिया। इस कारण प्यारेआना के पास फ्लाईओवर पर करीब 20 मिनट तक पीएम का काफिला रुका रहा। यह जगह सुरक्षा के लिहाज से अति संवेदनशील माना जाता है। बाद में पीएम बठिंडा वापस लौट गए।
150 अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था मामला
बठिंडा से दिल्ली रवाना होने से पहले उन्होंने कहा था कि अपने मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहना, मैं जीवित लौट रहा हूं। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री थे। इस मामले में राज्य सरकार ने तत्कालीन एसएसपी हरमनदीप हंस सहित अन्य सात अधिकारियों का तबादला कर दिया था। थाना कुलगढ़ी पुलिस ने 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और मामले की जांच तत्कालीन डीएसपी यादविन्द्र बाजवा को सौंपी गई थी।
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साल 2022 में तीन सदस्यीय एसआईटी हुई थी गठित
9 जनवरी 2022 को एसपी डिटेक्टिव के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआईटी भी बनाई गई। जांच के बाद नई धाराएं जोड़ी गईं। हैरत की बात है कि पुलिस अभी तक केवल 26 लोगों की पहचान कर पाई है और 13 लोग ही जांच में शामिल हुए हैं। उल्लेखनीय है कि मामले का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए पूर्व जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने अगस्त, 2022 में सुप्रीम कोर्ट और सरकार को सौंपी रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी और डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को दोषी ठहराया था।
इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने सितंबर, 2022 में पंजाब सरकार से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पंजाब के गृह विभाग ने डीजीपी की जांच रिपोर्ट के बाद नवंबर 2023 में तत्कालीन एसपी आपरेशन रहे गुरविंद्र सिंह, डीएसपी प्रसोन सिंह, डीएसपी जगदीश कुमार, इंस्पेक्टर जतिद्र सिंह, इंस्पेक्टर बलविंद्र सिंह, इंस्पेक्टर जसवंत सिंह, एएसआई राकेश कुमार को निलंबित कर दिया था।
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