Move to Jagran APP

वीर हकीकत राय की शहादत को भूले लोग

फिरोजपुर में बसंत पंचमी का त्योहार पतंग उड़ाने तक ही सिमट कर रह गया है जबकि इसी दिन वीर हकीकत राय ने शहादत का जाम पिया था।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 14 Feb 2021 11:39 PM (IST)
Hero Image
वीर हकीकत राय की शहादत को भूले लोग

संवाद सूत्र, फिरोजपुर : फिरोजपुर में बसंत पंचमी का त्योहार पतंग उड़ाने तक ही सिमट कर रह गया है जबकि इसी दिन वीर हकीकत राय ने शहादत का जाम पिया था। वीर हकीकत राय को कम लोग ही जानते हैं और जो जानते भी हैं वह भी उनकी शहादत को भुला चुके हैं। पंजाब के सियालकोट जो अब पाकिस्तान में है, में वीर हकीकत राय का जन्म 1724 में पिता बाग मल्ल पुरी व माता गौरां के घर में हुआ।

बचपन में जिस उम्र में बच्चे अच्छी तरह पारिवारिक मेंबरों को पहचान नही पाते, उसी मात्र चार-पांच साल की आयु में वीर हकीकत राय ने इतिहास व संस्कृत विषय का अध्ययन कर लिया था। इसी के चलते 10 साल की आयु में उन्हें फारसी पढ़ने के लिए मौलवी के पास मस्जिद भेजा गया। तब के माहौल के मुताबिक मुस्लिम छात्र हिदू बालकों व हिदू देवी देवताओं के बारे में अपशब्द बोलते थे और बालक हकीकत राय उनसे इस बारे में प्रतिवाद करते और उन्हें इसमें पराजित कर देते। इसी बीच बालक हकीकत राय की शादी लक्ष्मी से कर दी गई। एक दिन की घटना में मौलवी की अनुपस्थिति में उन्होंने बालक हकीकत राय को काफी मारा पीटा। और इसके विपरित मौलवी को बालक हकीकत के खिलाफ ही शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा के बारे में बुरा भला कहा है। मौलवी के गुस्सा होने पर बालक हकीकत को शहर के काजी के सामने ले जाया गया। बालक के परिजनों की तरफ से सारी हकीकत बताने के बाद भी जब उनकी नहीं सुनी गई और बालक हकीकत को मृतयु दंड सुना दिया गया और अपनी जान बचाने के लिए उसे इस्लाम धर्म कबूल करके मुस्लमान बनने के लिए कहा गया, लेकिन बालक हकीकत राय ने अपना निश्चिल न डोलने दिया औ न ही बदला जिस पर 1734 में वीर हकीकत राय को फांसी दे दी गई।

शहर निवासी वैद जय चंद (82) व त्रिलोक चंद अग्रवाल का कहना है कि वीर हकीकत राय की शहादत वाले दिन ही बंसत पंचमी को त्योहार के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि फिरोजपुर शहर के गोल बाग के पास टोडर मल्ल की जगह पर इस मेले का आयोजन किया जाता था।

कहां -कहां पर स्थित है वीर हकीकत राय की समाधि---

1947 में भारत के विभाजन से पहले बंसत पंचमी का त्योहार लाहौर स्थित उनकी समाधि पर मनाया जाता था। विभाजन के बाद उनकी एक और समाधि होशियारपुर जिले के ब्योलि के बाबा भंडारी में स्थित है। वहीं गुरदासपुर जिले में हकीकत राय को समर्पित एक मंदिर बटाला में स्थित है। इसी शहर में वीर हकीकत राय की पत्नी लक्ष्मी देवी को समर्पित एक समाधि भी है।

हनुमान सेवा समिति के अध्यक्ष व विश्व हिदू परिषद के जिला उपाध्यक्ष सुरज मेहता का कहना है कि जिस धर्म के लिए वीरों ने अपनी जान कुर्बान कर दी उसी धर्म के लोग शहादतों को भुलाकर ऐतहासिक दिन बसंत पंचमी के त्योहार पर मात्र नाच-गाना व पतंगे उड़ाने में मशगुल है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।