वहीं पुल टूटने के कारण आसपास के गांवों में भी पानी भर चुका है और कई लोग गांवों से पलायन कर चुके हैं, जबकि कई लोग छतों पर दिन बिता रहे हैं। जिले में बाढ़ प्रभावितों की सहायता के लिए सीमा सुरक्षा बल, भारतीय सेना, एनडीआरएफ सहित पंजाब पुलिस के जवानों द्वारा अहम भूमिका निभाई जा रही है। बीएसएफ द्वारा अभी तक 426 लोगों को बाहर निकाला जा रहा है।
वहीं शुक्रवार शाम को हुसैनीवाला हेडवर्कस में शुक्रवार शाम चार बजे तक पानी का डाऊन स्ट्रीम 2,58,910 क्यूसेक था, जबकि हरीके हेडवर्कस में पानी का डाऊनस्ट्रीम 2,84,947 क्यूसेक रहा है। हुसैनीवाला के एसडीओ राजेंद्रपाल गोयल ने बताया कि हरिके हेड से जितना पानी आ रहा है, वह पानी आगे छोड़ा जा रहा है।
विभाग द्वारा 29 गेटों में 25 गेटों को पूरी तरह से खोल दिया गया है। पानी का बहाव इतना तेज है कि सतलुज का पानी पूरी गति के साथ आगे की तरफ बढ़ रहा है। जानकार बताते हैं
फिरोजपुर के हुसैनीवाला हेडवर्कस से पानी पहले पाकिस्तान में प्रवेश करता है, उसके बाद वहां से फाजिल्का में चला जाता है।
तीसरी बार सरहदी गांवों पर सतलुज की मार
जागरण संवाददाता, फाजिल्का: जुलाई से लेकर अगस्त माह तक
सतलुज का पानी तीसरी बार नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार है। मौजूदा स्थिति की बात करें तो पानी कांवांवाली पुल से आधे फीट नीचे है, अभी वीरवार को छोड़ा एक लाख क्यूसेक पानी ही पहुंचा है, जबकि शुक्रवार को हुसैनीवाला हेडवर्क्स से दो लाख 60 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जोकि तेजी के साथ फाजिल्का की तरफ बढ़ रहा है, जिसके चलते प्रशासन द्वारा लोगों से अपील की जा रही है कि वह अपने बच्चों, बुजुर्गो, महिलाओं और पशुओं को राहत कैंपों में पहुंचाएं।
इससे पहले 13 जुलाई, फिर 22 जुलाई और अब तीसरी बार सतलुज का जलस्तर बढ़ा है। वीरवार सुबह तक हुसैनीवाला से एक लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था, जिसे शुक्रवार को बढ़ाकर दो लाख 60 हजार क्यूसेक कर दिया गया है। डीसी डा. सेनू दुग्गल ने कहा कि भाखड़ा बांध और पौंग बांध से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण हुसैनीवाला हेडवर्क्स से सतलुज नदी का जल स्तर बढ़ गया है, जिससे जिले के सीमावर्ती गांवों में एक बार फिर बाढ़ की स्थिति पैदा होने की आशंका है।
इस समय स्थिति प्रशासन के कंट्रोल में है, लेकिन पानी के आ जाने के बाद स्थिति किस तरह की होगी, कोई नहीं जानता। सीमावर्ती गांवों के लोगों के लिए जिला प्रशासन ने उनके लिए हर तरह की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि फाजिल्का में दोनों बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण अग्रिम प्रबंध पूरे करके राहत केंद्र बढ़ा दिए गए हैं। किसी भी सहायता के लिए जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष के नंबर 01638-262153 पर संपर्क किया जा सकता है।
हर साल झेलना पड़ता सतलुज का प्रकोपः यह पहला मौका नहीं है, जब सतलुज में बढ़े जलस्तर ने लोगों की नींद उड़ाई हो। बल्कि 1988 से लेकर अब तक नौ बार जलस्तर बढ़ने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़ी परेशानी 1988 में आई थी, जब दरिया का पानी सात से आठ फीट तक बढ़ गया था, कई गांव इसकी चपेट में आ गए थे।
वहीं इसके बाद भी समय समय पर पानी के चलते समस्या हुई, लेकिन इस बार की समस्या सबसे विकराल है। गांव दोना नानका के रहने वाले टहल सिंह ने बताया कि वह पिछले 45 साल से सरहदी गांव में रह रहे है। इससे पहले ज्यादा से ज्यादा सात आठ दिन में पानी निकल जाता था, लेकिन इस वर्ष तो डेढ़ माह बितने वाला है, लेकिन अभी तक पानी नहीं निकला। जबकि सतलुज एक बार फिर से नुकसान पहुंचाने को तैयार है।
लोग रहें सतर्क, राहत कैंपों में पहुंचने की अपील की
उधर विधायक नरेंद्रपाल सिंह सवना ने सरहदी गांवों में पहुंचकर पंचों व सरपंचों के साथ बैठक की। विधायक नरेंद्रपाल सिंह सवना ने कहा कि इस बार पानी को लेकर खतरा ज्यादा है, क्योंकि जब पिछली बार दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था तब खेत खाली थे और पानी उनमें भर गया और धीरे-धीरे आगे निकलता रहा। लेकिन इस बार तो पानी पहले ही खेतों में भरा हुआ है और दो लाख क्यूसेक पानी के आने से पहले से भी ज्यादा पानी भर सकता है। इसलिए वह लोगों से अपील कर रहा है कि वह राहत कैंपों में पहुंचे। यहां उनके लिए प्रशासन ने हर तरह के इंतजाम कर दिए हैं।
सतर्क रहने की अपील
फाजिल्का में सरहद के साथ वैसे तो 15 गांव लगते हैं, लेकिन प्रशासन ने 10 गांवों में सतर्क रहने की अपील की है। गांव महात्मनगर, तेजा रुहेला, हस्ता कलां, वल्ले शाह हिठाड़, चक्क रुहेला, झंगड़ भैनी, मुहार जमशेर आदि शामिल हैं, जिनमें बाढ़ का पानी आ सकता है। वहीं सरकारी स्कूल लाधूका, सरकारी स्कूल (लड़के) फाजिल्का, एमआर कालेज फाजिल्का में प्रशासन की ओर से नए राहत कैंप बनाए गए हैं।
घर व सामान छोड़ सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे लोग
सीमावर्ती गांवों के लोग मात्र अपने कपड़े लेकर सुरक्षित स्थानों पर जाते दिखे। गांव टेंडीवाला के कुलजीत सिंह, गुरनाम सिंह ने बताया कि वह पांच किलोमीटर से अपनी भैंसो को पैदल पानी से लेकर आए हैं। पानी के कारण पशुओ में भी बीमारी फैलने का डर रहता है। हुसैनीवाला के हरप्रीत सिंह ने बताया कि सुबह छह बजे उसके घर में पानी भर गया। घर खेतों में बना हुआ था, जिस कारण उसने घर के सारे सामान को सड़क किनारे रख लिया है और वह किसी रिश्तेदार के घर पर जाकर शरण लेंगे।
जीत ली जीवन की जंग
फिरोजपुर के बस्ती किशनपुरा निवासी गुरभज सिंह गांव में बाढ़ का पानी आने के कारण अपने परिवार के सदस्यों को घर से निकालने के लिए निकला गांव में जलस्तर काफी बढ़ने के कारण वह पानी के तेज बहाव में बहने लगा। अचानक से उसे एक पेड़ दिखाई दिया तो वह उसके तने को पकड़ कर करीब दो घंटे तक जिंदगी के लिए जंग लड़ता रहा। इसी बीच जिला प्रशासन एवं एनडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया।