Move to Jagran APP

Diwali 2022: चाइनीज लाइटों की चमक से धुंधला पड़ रहा दीयों का कारोबार, पंजाब के कुम्हारों बयां किया दर्द

कुम्हारों के अनुसार कुछ वर्ष पहले वह दीवाली पर लगभग 80 हजार दीये बेचते थे लेकिन आज चाइनीज लडि़यां व अन्य सामान बाजार में आने पर अब केवल मात्र 35 हजार दिए ही बिकते हैं। अगर ऐसे हाल रहा तो धीरे धीरे उनका कारोबार बंद हो जाएगा।

By Sanjay VermaEdited By: Ankesh ThakurUpdated: Wed, 19 Oct 2022 09:51 PM (IST)
Hero Image
लोग दीयों से ज्यादा चाइना मेड लाइटों की खरीदारी करते हैं।
नरेश कुमार, फिरोजपुर : दीवाली पर बेशक लोगों की ओर से घरों में मिट्टी के दीप जलाए जाते हैं, लेकिन बाजारों में चाइनीज लाइटों के आने से मिट्टी के दीयों का कारोबार कम हो रहा है और लोग मिट्टी के दीयों से घर सजाने के बजाय चाइनीज लाइटों की खरीदारी कर रहे हैं।

शहर में रहने वाले कुम्हारों के अनुसार कुछ वर्ष पहले वह दीवाली पर लगभग 80 हजार दीये बेचते थे, लेकिन आज चाइनीज लडि़यां व अन्य सामान बाजार में आने पर अब केवल मात्र 35 हजार दिए ही बिकते हैं। अगर ऐसे हाल रहा तो आने वाले कुछ सालों में काम बंद होने की कगार पर है।

शहर में बस्ती निजामुद्दीन के पास रहने वाले कुम्हार रूप चंद, हेम राज, राकेश कुमार और राजकुमार ने बताया कि उनकी मां संतोष रानी ने मिट्टी के दीये बनाकर ही उन तीनों भाइयों का पालन- पोषण किया है, लेकिन आज चाइनीज लडियों और अन्य सामान के कारण उनका भविष्य खतरे में है। उनके परिवार में बच्चों समेत 13 मेंबर हैं, जो कि दीवाली से दो-तीन माह पहले मिट्टी के दीयो बनाने शुरू कर देते हैं।

कुम्हार हेमराज और राजकुमार ने बताया कि वह इतनी मेहनत करते हैं कि जिससे फरवरी माह तक तो गुजारा चल जाता है, लेकिन उसके बाद फिर से वही उधार की जिंदगी शुरू हो जाती है। उसके बाद फिर दीपावली के सीजन में उनका उधार चुकता करते हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में लोग मिट्टी के दीयों को छोड़कर चाइनीज लाइटों की ओर रुख कर रहे है।

700 रुपये में बिकते हैं 1000 दीपक

कुम्हार राज कुमार ने बताया कि वह 700 रुपये के एक हजार दीपक बेचते हैं और परिवार द्वारा दिन-रात मेहनत कर सिर्फ दो हजार से ढाई हजार दीये बनाए जा रहे हैं, जिसके चलते सिर्फ 1500 रुपए की कमाई और खर्चा अधिक हो रहा है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।