Coal Rate Increasing: पंजाब में पड़ रही कड़ाके की ठंड, लकड़ी और कोयले के बढ़े दाम; कम आय वालों को करनी पड़ रही मशक्कत
ठंड के दौरान जहां आम जनजीवन प्रभावित हुआ है वहीं ठंड से बचने के लिए आग जलाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे कोयले और लकड़ी की दर में भी काफी वृद्धि हुई है। लकड़ी के रेट बढ़ने से गरीब लोग भोजन बनाने के लिए सूखी लकड़ी इकट्ठा करने को मजबूर हैं। कड़ाके की ठंड के दौरान यहां निर्माण कार्य कम होने से लोग फ्री होकर बैठ गए है।
महिंदर सिंह अर्लीभन्न, कलानौर। Coal And Wood Rate Increase in Punjab: पिछले कुछ दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड के दौरान जहां आम जनजीवन प्रभावित हुआ है, वहीं ठंड से बचने के लिए आग जलाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे कोयले और लकड़ी की दर में भी काफी वृद्धि हुई है। लकड़ी के रेट बढ़ने से गरीब लोग भोजन बनाने के लिए सूखी लकड़ी इकट्ठा करने को मजबूर हैं। कड़ाके की ठंड के दौरान यहां निर्माण कार्य कम होने से लोग फ्री होकर बैठ गए है, जिस कारण कम आय वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सड़को के किनारे लकड़ियां इकट्ठी कर रहे लोग
सड़क के किनारे सूखी लकड़ी इकट्ठा करने वाली महिलाओं ने कहा कि गैस सिलेंडर की कीमत 1000 रुपए है और ठंड के कारण महिलाओं को भोजन तैयार करने के लिए सूखी लकड़ी इकट्ठा करने में संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सर्दी का प्रकोप इसी तरह जारी रहा तो गरीब लोगों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
कच्चे कोयले का रेट भी बढ़ा
परींजा किराना स्टोर के मालिक रमन कुमार वडाला बांगर ने कहा कि सर्दी का मौसम चरम पर होने के कारण लोगों ने ठंड से बचने के लिए कच्चे कोयले की खरीदारी बढ़ाने से रेट भी काफी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल कच्चा कोयला 30 से 35 रुपये प्रति किलो बिका था, जबकि इस बार 45 से 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। उन्होंने कहा कि ठंड बढ़ने के साथ ही कोयले की बिक्री भी बढ़ गई है।पेड़ों की कटाई कम होने से लकड़ी की भारी कमी
कलानौर बटाला मार्ग पर अड्डा गांव मस्तकोट के जोगिंदर सिंह ने कहा कि ठंड के मौसम में लकड़ी की बिक्री भी काफी बढ़ गई है। पेड़ों कीकटाई दिनों दिन कम होने से लकड़ी की कमी महसूस हो रही है। पिछले साल चार से पांच रुपए किलो लकड़ी मिल जाता था, मगर इस समय सात से आठ रुपए प्रति किलो बिक रहा है। अधिकांश किसान अपने खेतों में फलदार वृक्ष लगाने को प्राथमिकता दे रहे हैं, जबकि लकड़ी के पेड़ लगाना कम हो गया है, जिससे लकड़ी की कमी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।