बटाला के हजीरा पार्क में पेयजल का अभाव
संवाद सहयोगी, बटाला : शहर बटाला की सबसे बड़ी हजीरा पार्क में कई अन्य सुविधाओं के साथ प
संवाद सहयोगी, बटाला : शहर बटाला की सबसे बड़ी हजीरा पार्क में कई अन्य सुविधाओं के साथ पीने के पानी व बिजली की सुविधाओं का अभाव है। इसके चलते पार्क में सैर करने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
3 जनवरी 1589 को अकबर के सेनापति शमशेर खां का मकबरा बनाया गया था जिसे स्थानीय भाषा में हजीरा पार्क तथा भूल-भूलैया के नाम से भी जाना जाता है। इसका रख रखाव का जिम्मा अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उठाया है। प्रदेश में पुरातन विरास्त के रख-रखाव के लिए केंद्र सरकार के द्वारा भले ही लाखों रुपये खर्च किए जा रहे है, लेकिन विभाग द्वारा हजीरा पार्क में न तो बिजली की सुविधा के लिए कुछ किया गया है और न ही पीने के पानी के लिए।
सुबह को हजीरा पार्क में हजारों की संख्या में लोग सैर करने के लिए आते हैं और शाम के वक्त हजीरा पार्क के बाहर मेले जैसा उत्सव लगता है, लेकिन हजीरा पार्क का नियम है कि सूर्य अस्त होने के बाद गेट बंद कर दिए जाते हैं, जबकि सूर्य उदय होने के बाद ही गेट खोले जाते है। इसी दौरान किसी भी व्यक्ति को हजीरा पार्क के अंदर जाने की अनुमति नही है। शाम को सूर्य अस्त होते ही लोगो को पार्क से निकाल दिया जाता है और सैर करने वाले लोगों का पार्क के बाहर जमावड़ा लग जाता है, जिसमें स्त्रियां व बच्चे भी शामिल होते है। उनके लिए खान पान की रेहडिय़ां लगती है। लेकिन पार्क में लाइट न होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
शाम के वक्त हजीरा पार्क के बाहर अक्सर बिजली की व्यवस्था दुरूस्त न होने के कारण लूट पाट की घटनाएं घटती रहती है। हालांकि हजीरा पार्क में एक सबमर्सीबल पंप तो लगाया गया है, जोकि पार्क में स्थित बाग को पानी लगाने के लिए रखा गया है। पार्क में हैंड पंप तो है, लेकिन वह भी खराब पड़ा है। सैर करने वालों के अलावा आसपास के दर्जनों स्कूलों तथा कालेजों की गाडि़यां हजीरा पार्क के आस पास खड़ी होती है जिसके ड्राईवर व क्लीनर सारा दिन पार्क में ही समय बिताते है, जिन्हें भी पीने के पानी की कमी महसूस होती है।
कोट्स
जीरा पार्क में बिजली तथा पीने के पानी के अभाव को जल्द ही दूर करवा दिया जाएगा।
सी. अत्तरी, भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के वरिष्ठ कंजरवेटिव अधिकारी