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Kargil Vijay Diwas: कारगिल में बलिदान जवान की पत्नी ने चार महीने बाद बेटे को दिया जन्म, पिता के नक्शेकदम पर चल रहा बेटा

कारगिल युद्ध में हमारे जांबाज सैनिकों ने पाक सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे। इस युद्ध (Kargil War) में जांबाजों ने पूरी बहादुरी और साहस के साथ दुश्मन से मुकाबला किया। इस युद्ध में हमारे जवान अंतिम सांस तक दुश्मन से लड़ते रहे। बलिदानियों की इसी फेहरिस्त में शामिल थे दीनानगर क्षेत्र के गांव भटोआ के बलिदानी सिपाही मेजर सिंह।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 23 Jul 2024 01:27 PM (IST)
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बलिदानी सिपाही मेजर सिंह की तस्वीर साथ लिए उनकी फैमिली (जागरण फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, गुरदासपुर। कारगिल युद्ध समाप्त हुए 25 वर्ष बीत चुके हैं। देशवासी व सेना इस युद्ध की सिल्वर जुबली मनाते हुए युद्ध में बलिदान हुए बलिदानी वीरों का स्मरण कर रही है।

कारगिल युद्ध का स्मरण आते ही बलिदानी सैनिकों के स्वजनों की आंखें बरबस ही छलक उठती हैं। ऐसे ही परिवारों में एक है दीनानगर क्षेत्र के गांव भटोआ के बलिदानी सिपाही मेजर सिंह (सेना मेडल) का। मेजर सिंह के बलिदान के चार महीने बाद उनकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया।

पठानकोट में थी तैनाती

आज उनका पुत्र गुरप्रीत सिंह 25 वर्ष का हो गया है। पिता के चरणचिन्हों पर चलते हुए सेना में भर्ती होने का सपना पाले हुए है। मां रखवंत कौर ने नम आंखों से बताया कि बेटा 1994 में आठ सिख यूनिट में भर्ती हुआ था। 1999 में उसकी यूनिट मामून कैंट पठानकोट में तैनात थी।

सबसे पहले उसकी यूनिट को ही कारगिल भेजा गया था। जाते समय मेजर सिंह एक घंटे की छुट्टी लेकर बीमार दादी को देखने घर आए थे। कुछ समय बाद दादी की मौत हो गई थी।

मेजर सिंह ने दुश्मन को दिया मुंहतोड़ जवाब

मेजर सिंह कर्तव्य परायणता के पथ पर बढ़ते हुए दादी के अंतिम संस्कार में शामिल हुए बिना ही कारगिल रवाना हो गए थे। उनकी यूनिट को टाइगर हिल फतेह करने की जिम्मेदारी मिली।

जब वह चोटी पर पहुंचे तो पाकिस्तानियों ने गोलियों की बौछार कर दी थी। मेजर सिंह ने दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया पर एक गोली उनके सीने को भेद गई।

पूरा नहीं हो सका स्टेडियम व लाइब्रेरी बनाने का वायदा मां रखवंत कौर ने बताया कि बेटे के अंतिम संस्कार पर गांव में स्टेडियम, लाइब्रेरी व श्मशानघाट तक पक्की सड़क बनाने की घोषणा की गई थी।

'सरकार ने नहीं किए वायदे पूरे'

25 वर्ष बाद भी सरकार के वायदे पूरे नहीं हुए जिससे उनकी भावनाएं आहत हैं। शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की ने कहा कि सरकार ने अपनी घोषणाओं को पूरा न कर इस रणबांकुरे के बलिदान का अपमान किया है।

गांव के 58 युवा सेना में भर्ती रखवंत कौर ने बताया कि उन्हें बेटे पर गर्व है। आज गांव के 58 युवक सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं। पौत्र गुरप्रीत भी पिता की यूनिट आठ सिख में भर्ती होना चाहता है। पिता की शहादत अब उसके लिए इबादत बन चुकी है।

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