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बाजार में बिकने वाली हर तीसरी चीज में मिलावट

मिलावटखोर चांदी की जगह एल्युमिनियम का वर्क लपेट सिर्फ मिठाइयों को ही जहरीला नहीं कर रहे हैं दूसरे खाद्य पदार्थो में भी मिलावट कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 30 Jun 2022 05:35 PM (IST)
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बाजार में बिकने वाली हर तीसरी चीज में मिलावट

शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर

मिलावटखोर चांदी की जगह एल्युमिनियम का वर्क लपेट सिर्फ मिठाइयों को ही जहरीला नहीं कर रहे हैं, दूसरे खाद्य पदार्थो में भी मिलावट कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। सेहत व खाद्य विभाग द्वारा व्यापारियों पर कार्रवाई न होने के कारण मिलावट का खेल दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है और बाजार में बिकने वाली लगभग हर तीसरी चीज में मिलावट की जा रही है। खुले, पैक्ड, कच्चे और पके खाद्य पदार्थो में मिलावट की जा रही है। फल-सब्जियों में भी बहुत तरह के घातक रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। वहीं बहुत सारे मिठाइयां विक्रेता मिठाइयों पर लपेटे जाने वाले वर्क के चांदी के बजाय एल्युमिनियम का वर्क लपेट कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

आटा, दाल, चावल से लेकर मिठाइयां और फल-सब्जियों से लेकर शरबत जूस तक में किसी न किसी तरह की मिलावट की जा रही है। सबसे ज्यादा दूध से बने खाद्य समाग्री में सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों की मिलावट की जा रही है। हमेशा से विवादों में रहे हैं खाद्य पदार्थ

डिब्बाबंद प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, बोतलबंद कोल्ड ड्रिक और ब्रांडेड-नान ब्रांडेड फास्ट फूड भारत में लोकप्रिय होने के साथ-साथ हमेशा विवादों में रहा है। पिछले दशक में कोल्ड ड्रिक में पेस्टीसाइड्स पर विवाद रहा। साथ ही नूडल्स बनाने-बेचने वाली मल्टीनेशनल कंपनियों के उत्पाद में जरूरत से ज्यादा शीशा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट पाए जाने का मामला सामने आया था। इससे उपभोक्ताओं का विश्वास तैयार खाद्य आइटमों से उठ-सा गया। साथ ही भारत में मौजूद खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता तय करने वाली व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा भी हर किसी को होने लगा। भारत में तैयार एवं खुले बिक्री के लिए उपलब्ध खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता मापने के लिए पर्याप्त कानून तो है, लेकिन इसे लागू करने वाले हमेशा से पैसे के आगे बौने हो जाते हैं। बिक रहे हैं नकली मसाले

शहर में अनेक स्थानों पर नकली रंग युक्त खाद्य मसाले खुले आम बिक रहे हैं। मिर्ची, धनिया, हल्दी सहित अन्य मसालों में केमिकल युक्त रंगों का उपयोग किया जा रहा है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक है। वहीं मिलावटी दूध, नकली घी, तेल, बटर, मिक्स बेसन का कारोबार कम होने के बजाय दिनों दिन बढ़ रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार धड़ल्ले से चल रहे इस मिलावट के कारोबार में नगर के अनेक बड़े व्यापारी भी संलग्न हैं। फल-सब्जियां भी नहीं सुरक्षित

सेहत के लिए फायदेमंद माने जाने वाले फल और सब्जियां भी अब पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह गए हैं। फल-सब्जियों में रंग, आकार, पकाने और लंबे समय तक सड़ने से बचाने के लिए कई तरह के रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। कुछ रसायनों का केवल छिड़काव किया जा रहा है जबकि कुछ को इंजेक्शन या अन्य तरीके से फल-सब्जी के अंदर डाला जा रहा है। फलों को ताजा दिखान के लिए लेड और कापर साल्यूशन, सफेदी के लिए फूलगोभी पर सिल्वर नाइट्रेट डाला जाता है। सेहत पर पड़ रहा असर

मिलावटी खाद्य सामग्री का उपयोग करने से लगातार सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसका असर स्वास्थ्य पर धीरे-धीरे पड़ता है और यह बीमारी जानलेवा साबित हो जाती है। बाजारों में बिक रहे अमानक स्तर के खाद्य पदार्थो की बिक्री को रोकने के लिए कभी कभार थोड़ी बहुत कार्रवाई होती है तो उसमें भी छोटे दुकानदारों पर ही कार्रवाई की जाती है। जो प्रतिदिन इसका व्यापार बड़े स्तर पर कर रहे हैं उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। मिलावट के सामान व ऐसे करें पहचान

--घी में वनस्पति घी और उबला आलू मिलाया जाता है। मिलावटी घी को गर्म करने पर खुशबू नहीं आती।

--आटा में सेलखड़ी का पाउडर मिलाया जाता है। इससे पेट की बीमारियां हो सकती हैं। ऐसा आटा गूंथने और रोटी बनाने के बाद कड़कड़ी हो जाती है।

---काली मिर्च में पपीते के बीज मिलाए जाते हैं। इससे पाचन क्रिया को नुकसान होता है। पानी में डालने पर पपीते के बीज तैरते हैं।

--दूध में अरारोट, यूरिया, डिटर्जेट व रिफाइंड मिलाए जाते हैं। इससे किडनी फेल होने का खतरा होता है। अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचता है। इसकी पहचान के लिए 10 मिली दूध को उतने ही पानी के साथ मिलाएं। हिलाने पर झाग निकले तो डिटर्जेट हो सकता है। गर्म दूध में पीलापन और रगड़ने पर साबुन जैसा महसूस हो तो सिथेटिक है।

--हल्दी में पीली मिट्टी मिलाई जाती है। इससे पेट में कीड़े व अन्य दिक्कतें हो सकती हैं। इसकी पहचान के लिए हल्दी में पांच बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पांच बूंद पानी डालें। अगर बैंगनी या गुलाबी रंग आए तो मिलावटी है।

---लाल मिर्च पाउडर में ईट का चूरा मिलाया जाता है। इससे आंत और पांचन तंत्र को नुकसान पहुंचता है। पानी में डालने पर असली मिर्च तैरती है जबकि ईट का चूरा डूब जाता है।

--धनिया में लकड़ी का बुरादा व पशुओं की लीद मिलाई जाती है। इससे शरीर के आंतरिक हिस्सों को नुकसान होता है।

--फ्रोजन मटर में मैलाकाइट ग्रीन व अन्य रसायन मिलाए जाते हैं। इससे कैंसर समेत अन्य बीमारियों का खतरा होता है। फ्रोजन मटर को पानी में डालकर आधा घंटा छोड़ दें। अगर पानी हरा हो तो समझिए मैलाकाइट ग्रीन की मिलावट है।

--सरसों तेल में आर्जीमोन व सस्ता पाम आयल मिलाया जाता है। इससे पेट और आंतरिक हिस्सों को नुकसान पहुंचता है। 31

--सीधी बातचीत-डा. जीएस पन्नू, सहायक कमिश्नर खाद्य विभाग

--बाजार में काफी सामान मिलावटी बिक रहा है। इसे रोकने के लिए विभाग क्या कर रहा है?

विभाग की ओर से समय-समय पर खाद्य पदार्थो के सैंपल लिए जाते हैं। सैंपल फेल आने पर कार्रवाई भी की जाती है। दुकानदारों को जागरूक भी किया जाता है।

--दुकानदारों पर किस तरह की कार्रवाई की जाती है?

नोटिस जारी किए जाते हैं। केस भी दर्ज किया जाता है।