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जमीन-जायदाद बेची... नशे की खातिर उड़ा दिए 60 लाख, माता-पिता की हुई मौत तो बहन को देखकर खुली आंखें; फिर

पंजाब में युवाओं के बीच नशा नासूर (Drugs in Punjab) बनता जा रहा है। नशे की चंगुल में फंसा ज्वेलर का बेटा उनकी जायदाद बेचकर नशा करता था। नशे की दलदल में फंसा यह युवक अब नशा छोड़ने के लिए रेडक्रॉस नशा छुड़ाओ केंद्र पहुंचा है। उसने नशा करने वाले युवाओं को अपील की है कि वे खुद आगे आकर इससे से बाहर निकलें।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 25 Jun 2024 03:30 PM (IST)
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जायदाद बेचकर हेरोइन के नशे में उड़ा दिया पैसे

 जागरण संवाददाता, गुरदासपुर। नशा पंजाब के युवाओं को बर्बाद करता जा रहा है। नशे के चंगुल में फंसकर युवा जहां अपनी जवानी बर्बाद करते जा रहे हैं, वहीं पैसे भी उजाड़ रहे हैं। नशे की दलदल में फंसा ज्वेलर का बेटा अब अपनी बहन की खातिर नशा छोड़ने के लिए जिला रेडक्रॉस नशा छुड़ाओ केंद्र में दाखिल हुआ है।

वह आठ साल में करीब 60 लाख रुपए हेरोइन के नशे पर उड़ा चुका है। उसका कहना है कि नशा तभी खत्म हो सकता है, जब इसकी दलदल में धंसे युवा दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ इसे छोड़ने के लिए खुद आगे आएं।

वह अब जहां खुद नशा छोड़ रहा है, वहीं ठीक होने के बाद दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेगा। केंद्र के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रोमेश महाजन ने बताया कि अब उसकी सेहत में काफी सुधार हो रहा है।

बुरी संगत में फस बर्बाद किया जीवन

नजदीकी जिले का रहने वाले उक्त युवक ने बताया कि उसके कुछ दोस्त नशा करने के आदी थे। एक दिन दोस्तों के बहकावे में आकर उसने भी हेरोइन का नशा कर लिया। कुछ समय तक तो उसके दोस्त उसे नशा कराते रहे, लेकिन फिर पैसे मांगने लगे।

उसके पिता ज्वेलर थे, जिसके चलते घर में पैसे की कोई कमी नहीं थी। वह घर से पैसे लेकर नशा करने लगा। साल 2016 से लेकर अब तक वह करीब 60 लाख रुपए नशे पर उड़ा चुका है।

पिता की जायदाद बेचकर नशे में उड़ाया

उसने बताया कि उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है। उसके पिता काफी पैसा और जायदाद छोड़कर गए थे। वह लगातार उसी पैसे से नशा करता रहा, जब पैसे खत्म हो गए तो उसने जायदाद का कुछ हिस्सा बेच दिया।

जायदाद बेचकर मिले पैसे भी उसने नशे पर उड़ा दिए। वह बताता है कि नशा आसानी से उपलब्ध हो जाता है। हालांकि पिछले कुछ समय से सख्ती होने का असर भी पड़ रहा है।

बहन की खातिर नशा छोड़ने पहुंचा रेडक्रॉस नशा छुड़ाओ केंद्र

उसने बताया कि अब वह अपनी बहन की खातिर नशा छोड़ने के लिए केंद्र में दाखिल हुआ है क्योंकि उसके सिवा बहन का कोई नहीं है। इसके अलावा वह नशा छोड़ने के बाद परिवार बसाने की इच्छा रखता है। उसका कहना है कि नशा तभी खत्म हो सकता है, जब युवा खुद इसे छोड़ने के लिए आगे आएंगे।

वह पिछले कुछ दिनों से केंद्र में इलाज करा रहा है और उसकी सेहत में काफी सुधार आया है। उसने नशा करने वाले युवाओं को अपील की है कि वे खुद आगे आकर इस दलदल से बाहर निकलें।

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ओवरडोज का कारण सिंथेटिक नशा

केंद्र के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रोमेश महाजन ने बताया कि अगर पिछले 15 साल के आंकड़ों पर गौर करें तो केंद्र में नशा छोड़ने आने वालों में 90 फीसदी हेरोइन का सेवन करने वाले हैं। उनका कहना है कि नशे की ओवरडोज का कारण सिंथेटिक नशा है।

हेरोइन में केमिकलों की मिलावट की जा रही है, जिसके चलते ओवरडोज के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। महाजन ने कहा कि पंजाब सरकार नशे के खात्मे के लिए अच्छा काम कर रही है, लेकिन लोगों को भी सहयोग देना चाहिए। नशे को लोगों के सहयोग से ही खत्म किया जा सकता है।

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