आपसी प्रेम से बच सकता है कुदरत का स्वर्ग : उर्मिल सूद
एक माचिस की तिल्ली किसी घर में खाना बनाने के लिए चूल्हा जलाने का काम करती है तो उसी माचिस की तिल्ली से किसी का घर भी जलाया जा सकता है। आधुनिक विज्ञान को नई दिशा देने वाले महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कभी नहीं सोचा था की उनका जादुई समीकरण एक दिन मानवता को महाविनाश का हथियार भी थमा देगा।
जागरण टीम, होशियारपुर : एक माचिस की तिल्ली किसी घर में खाना बनाने के लिए चूल्हा जलाने का काम करती है तो उसी माचिस की तिल्ली से किसी का घर भी जलाया जा सकता है। आधुनिक विज्ञान को नई दिशा देने वाले महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कभी नहीं सोचा था की उनका जादुई समीकरण एक दिन मानवता को महाविनाश का हथियार भी थमा देगा। इसी फार्मूले के आधार पर विध्वंस के उस हथियार की खोज हुई जिसे हम परमाणु बम कहते हैं। यह विचार डायरेक्टर उर्मिल सूद ने शुक्रवार को जापान के शहर नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम की वर्षगांठ पर सेंट सोल्जर डिवाइन पब्लिक स्कूल ऊना रोड होशियारपुर में आयोजित सेमिनार को संबोधन करते हुए प्रकट किए। उन्होंने बताया कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका की ओर से नागासाकी पर परमाणु हमले में लगभग 80,000 लोग मारे गए थे। सूद ने कहा कि विज्ञान दुनिया को बेहतर बनाता है और यही दुनिया का विनाश भी करता है। इसलिए आज हथियारों की दौड़ में परमाणु बम में तब्दील हो चुके कुदरत के स्वर्ग धरती को बचाने के लिए सभी देशों को सदभावना और प्रेम का मार्ग अपनाने की जरूरत है। इस मौके पर विद्यार्थियों को एक डाक्यूमेट्री भी दिखाई गई, जिसके द्वारा परमाणु बम से हुए नुकसान तथा मनुष्य की तबाही के मंजर को दिखाया गया। इस मौके पर समूह स्कूल स्टाफ मौजूद रहा।