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Punjab News: 'मिनी सचिवालय में बम है', जब एक मैसेज से होशियारपुर में मच गया हड़कंप; पुलिस ने फुर्ती दिखा बटोरी वाहवाही

Punjab News पंजाब के होशियारपुर में मिनी सचिवालय में बम होने की जानकारी मिलते ही पुलिस एक्‍शन में आई। मिनी सचिवालय को छावनी में तब्‍दील कर दिया गया। वहीं चप्पे-चप्पे को खंगाला गया। पुलिस की फुर्ती और चुस्‍ती देख एसएसपी सुरेंद्र लांबा ने टीम की वाहवाही की। जालंधर से 35 मिनट में ही बम निरोधक दस्ता होशियारपुर के मिनी सचिवालय पहुंच गया।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Updated: Thu, 22 Aug 2024 06:32 PM (IST)
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चप्पे-चप्पे को चेक कर चलाया सर्च ऑपरेशन
हजारी लाल, होशियारपुर। हेलो पुलिस कंट्रोल रूम...। जी पुलिस कंट्रोल रूम है, बताइए...। इतने में मैसेज मिला कि मिनी सचिवालय में बम है। फिर क्या था पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। गुरुवार को दोपहर के समय पुलिस को मिनी सचिवालय में बम होने की सूचना मिली। खते ही देखते मिनी सचिवालय पुलिस छावनी तब्दील हो गया। एसएसपी सुरेंद्र लांबा से लेकर अन्य सीनियर अधिकारी भी हरकत में आ गए।

एसएसपी सुरेंद्र लांबा ने पुलिस से करवाई मॉक ड्रिल

वैसे तो यह एसएसपी सुरेंद्र लांबा की ओर से करवाई गई मॉक ड्रिल था, लेकिन कुछेक एक पुलिस अधिकारियों को छोड़कर और किसी को भनक नहीं लगने दी गई थी। क्योंकि एसएसपी लांबा ने मॉक ड्रिल करवाकर पुलिस की चुस्ती और फुर्ती को जांचना था। चूंकि मिनी सचिवालय परिसर में बम होने की सूचना दी गई थी। इससे पुलिस हरकत में थी।

बम निरोधक दस्ता जालंधर दी गई सूचना

बम निरोधक दस्ता जालंधर को इसकी सूचना दी गई। इसी बीच मिनी सचिवालय को पुलिस जवानों ने कड़ी निगरानी रख ली थी। सर्च ऑपरेशन भी शुरू कर दिया गया था। चालीस किलोमीटर की दूरी तय करते हुए जालंधर से 35 मिनट में ही बम निरोधक दस्ता होशियारपुर के मिनी सचिवालय पहुंच गया।

बम निरोधक दस्ते ने अपने स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया। कुछ देर बाद ही मिनी सचिवालय परिसर में से संदिग्ध वस्तु को ढूंढ निकाला और उसे अपने कब्जे में ले लिया। भले ही यह मॉक ड्रिल थी, लेकिन मामला सुलझने तक पुलिस जवानों की फुर्ती देखने वाली थी।

एसएसपी सुरेंद्र लांबा ने कहा कि सिक्योरिटी की फुर्ती चेक करने के लिए गुरुवार को मॉक ड्रिल की गई। इसलिए मिनी सचिवालय में बम होने का प्लान बनाया गया था। जालंधर से बम निरोधक दस्ता ने आकर उसे एसएसपी ऑफिस के बाहर से ढूंढ निकाला। बहुत ही अच्छे तरीके से बम निरोधक दस्ते ने काम करके दिखाया। यह काबिल-ए-तारीफ है। पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए चौबीस घंटे तत्पर है।

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क्या होती है मॉक ड्रिल?

मॉक ड्रिल का मतलब एक तरह से अपने अंदर ही देखा जाता है हम कितने सजग हैं। यह मॉक ड्रिल भी पुलिस का एक अभ्यास था कि अगर बम रखने की घटना सामने आ जाए तो वह कहां पर खड़ी है। इसलिए पुलिस ने बम को ही मॉक ड्रिल करा हिस्सा बनाया। इसे माध्यम बनाकर पुलिस की फुर्ती, काम करने का तरीका और चुस्ती जांची, जिसमें पुलिस की टीम सौ फीसदी खरी उतरी।

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