सुविधाओं के अभाव में वीरान पड़ा खेलों की नर्सरी के लिए मशहूर होशियारपुर जिला
होशियारपुर जिले को खेलों की नर्सरी कहा जाता है। यहां से कई खिलाड़ियों ने खेल को सीखकर देश का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया है।
राज, होशियारपुर: होशियारपुर जिले को खेलों की नर्सरी कहा जाता है। यहां से कई खिलाड़ियों ने खेल को सीखकर देश का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया है। कई खिलाड़ी एशियाई और कॉमनवेल्थ खेलों तक भी अपना दबदबा बना चुके हैं। वर्तमान में शायद ही कोई खिलाड़ी ऐसा हो जो होशियारपुर में रहकर यहीं पर प्रैक्टिस करके ओलंपिक में अपने दावेदारी न जता सका हो। पर अब सुविधाओं के अभाव में अब ऐसे खिलाड़ी यहां पर तैयार होने बंद हो गए हैं। पहली बात तो यह है कि शहर में खेल संघों की कमी है, जो खेल संघ बने हुए हैं, वह भी आर्थिक तंगी का शिकार हैं। खिलाड़ियों को तो सुविधाएं क्या मिलनी है, उनको तो लंबे समय तक लगातार डाइट भी नसीब नहीं होती। इतना जरूर है कि माहिलपुर का इलाका फुटबॉल की नर्सरी के तौर पर जरूर उभरा है, जहां के खिलाड़ियों ने देश विदेश में शहर का नाम रोशन किया है। शहर में एक इंडोर स्टेडियम और एक आउटडोर स्टेडियम जरूर है, लेकिन वहां पर कितनी सुविधाएं हैं, यह देखने से ही पता चल जाता है कि यहां से कितने खिलाड़ी ओलंपिक में जाने के काबिल बने हैं। देखा जाए तो खेल संघों पर सरकार की कृपा केवल टूर्नामेंट के समय ही होती है। उस समय बड़े-बड़े राजनेता मुख्य अतिथि के तौर पर आकर कुछ आर्थिक सहायता कर जाते हैं, लेकिन बाद में सारा साल खेल संघों की सहायता करना शायद उन्हें याद नहीं रहता। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि सरकारी उपेक्षा के चलते होशियारपुर में खिलाड़ियों के लिए आगे बढ़ने की सुविधाएं बेहद कम हैं। ऐसे में जहां से ओलंपिक के लिए खिलाड़ी पैदा करना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है। होशियारपुर जिले से ओलंपिक खेलों में ओलंपियन जरनैल सिंह, माधुरी ए. सिंह, नीलम जे सिंह, नवजोत चाना व मक्खन सिह प्रतिभा दिखा चुके हैं । जलती रेत पर झुलसकर तैयार होते हैं खिलाड़ी छोटे-बड़े खेल मेलों में पदक हासिल करते ही खिलाड़ियों पर पैसे की बौछार होना बुरा नहीं है, लेकिन काश कि इसी बौछार की कुछ बूंदें तैयारी की उस जलती रेत पर भी पडें, जिसमें झुलसकर खिलाड़ी तैयार होते हैं। सुविधाओं और पैसों की कमी के कारण कई खिलाड़ी तो प्रैक्टिस ही नहीं कर पाते। अभी तक जालंधर में बनने वाला सिथैटिक खेल मैदान बनकर तैयार नहीं हो पाया है।
ए माधुरी सिंह, अर्जुन अवॉर्डी व एशियन खेल विजेता।