बारहवीं कक्षा तक अनिवार्य हो संस्कृत : प्रो. हर्ष मेहता
सावन पूर्णिमा रक्षाबंधन और संस्कृत दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में चर्चा करते हुए रिटायर्ड प्रोफेसर हर्ष मेहता संयोजक संस्कृत भारती पंजाब ने कहा कि भारत की सबसे प्राचीन भाषा है संस्कृत। जिससे असंख्य भाषाएं निकली हैं। यही नहीं आज के आधुनिक दौर में भी लगभग हर क्षेत्र में संस्कृत की प्रासंगिकता पूरी तरह बनी हुई है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : सावन पूर्णिमा, रक्षाबंधन और संस्कृत दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में चर्चा करते हुए रिटायर्ड प्रोफेसर हर्ष मेहता संयोजक संस्कृत भारती पंजाब ने कहा कि भारत की सबसे प्राचीन भाषा है संस्कृत। जिससे असंख्य भाषाएं निकली हैं। यही नहीं आज के आधुनिक दौर में भी लगभग हर क्षेत्र में संस्कृत की प्रासंगिकता पूरी तरह बनी हुई है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को भाषाओं की जननी भी कहा जाता है। इस जननी ने सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी भाषाओं को जन्मा है। देश में तो कुछ राज्यों की यह आधिकारिक भाषा भी है। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से इस भाषा को बढ़ावा मिला है और संस्कृत महाविद्यालयों के निर्माण के साथ ही संस्कृत की शिक्षा देने वाले आचार्यो के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि बारहवीं तक संस्कृति की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि रक्षा बंधन के दिन यानि सावन पूर्णिमा का दिन देशभर में संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। संस्कृत दिवस पहली बार वर्ष 1969 में मनाया गया था। संस्कृत दिवस को मनाने के पीछे उद्देश्य यह था कि लोग संस्कृत भाषा के प्रति जागरूक हो सकें। सन 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया था। तभी से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन को इसीलिए चुना गया था क्योंकि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। इसी दिन वेद पाठ का आरंभ होता था तथा इसी दिन विद्यार्थी शास्त्रों का अध्ययन प्रारंभ किया करते थे। वर्तमान में भी गुरुकुलों में सावन पूर्णिमा से वेदाध्ययन प्रारंभ किया जाता है। इसीलिए इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप से मनाया जाता है। देश के अधिकतर विद्यालयों और महाविद्यालयों में इसे पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया जाता है। उन्होंने संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह मनाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करना है। इस अवसर पर सतपाल शास्त्री, अनुक शास्त्री, सोहनलाल, बालकृष्ण शास्त्री आदि उपस्थित थे।