स्कूल जाने से वंचित बच्चों को सुशिक्षित बना रहा 'सारथी'
चब्बेवाल की झुग्गियों में दोपहर के तीन बजते ही बच्चों की हलचल शुरू हो जाती है।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 19 Jan 2022 05:33 PM (IST)
जागरण संवाददाता, होशियारपुर :
चब्बेवाल की झुग्गियों में दोपहर के तीन बजते ही बच्चों की हलचल शुरू हो जाती है। बच्चों में बड़ी उत्सुकता देखने को मिलती है। हाथों में कापी-किताबें थामे अपने घरों से निकले सभी बच्चों की एक ही मंजिल होती है वंदे मातरम केंद्र। यहां से शुरू होती है बच्चों की किताबी ज्ञान व नैतिक शिक्षा की पढ़ाई। करीब तीन घंटे इवनिग क्लास लगाने के बाद बड़े उत्साह के साथ बच्चे अपने घरों में जाते है, क्योंकि इस केंद्र में पढ़ाई को मनोरंजक बनाकर पढ़ाया जाता है। यह केंद्र खोला है सामाजिक संस्था 'सारथी' ने।
ग्राम पंचायत के सहयोग से यहां दो कमरों में इस केंद्र को खोला गया था जो अब तीन कमरों का हो गया है। संस्था की मुख्य संरक्षक एडीसी मेजर अमित सरीन की दूरदर्शी सोच व समाज के प्रति कुछ करने के जज्बे में वंदे मातरम केंद्र को जन्म दिया। इस केंद्र में झुग्गी झोंपड़ियों के 200 सौ से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं।
नवांशहर में तैनात एडीसी व संस्था सारथी के मुख्य संरक्षक मेजर अमित सरीन ने गांव वासियों के सहयोग से इस केंद्र को शुरू किया। मार्च 2015 से शुरू हुआ यह केंद्र स्कूल जाने से वंचित बच्चों को सुशिक्षित बना रहा है। शिक्षा के साथ स्वच्छता का भी पाठ पढ़ाती हैं टीचर दीदी बच्चों को पढ़ाने के लिए संस्था की ओर से तीन अध्यापिकाएं रखी गई हैं जो कि सांय सवा तीन से छह बजे तक बच्चों को पढ़ाती है। यहां टीचर दीदी पहले तो बच्चों के हाथ मुंह धुलाती है और बाद में उन्हें क्लास में बिठाया जाता है। जिसका उद्देश्य बच्चों का ध्यान स्वच्छता के प्रति केंद्रित करना है। यह अध्यापिकाएं बच्चों को पढ़ाने के अलावा नैतिक शिक्षा का भी पाठ पढ़ाती है। उनका मानना है कि किताबी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी छात्रों के लिए जरुरी है क्योंकि इसके साथ वह एक आदर्श छात्र व नागरिक बन पाता है। कौन कौन से विषयों की दी जाती है शिक्षा
केंद्र में बच्चों को हिदी, पंजाबी, गणित व सोशल साइंस आदि विषय पढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा महीने में एक बार शनिवार वाले दिन देश भक्ति व धार्मिक फिल्म दिखाई जाती है ताकि उनमें अच्छे संस्कार जाएं। महीने में दो बार बुधवार वाले दिन बच्चों में खेल प्रतियोगिता करवाई जाती है। माह में 25 दिन स्कूल आने वाले बच्चे को आटा-चावल भी दिया जाता है। मनाए जाते हैं सभी त्योहार एडीसी अमित सरीन ने कहा कि केंद्र में बच्चों का धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हर त्योहार मनाया जाता है, चाहे होली, दीवाली हो या क्रिसमस। खासकर 26 जनवरी व 15 अगस्त को विशेष समारोह केंद्र में किया जाता है। पंचायत की भूमि पर केंद्र चलाने के लिए दो कमरे बने हैं। बच्चों को शिक्षा का अधिकार देना ही उद्देश्य सरीन ने कहा कि हमारा उद्देश्य बच्चों को शिक्षा का अधिकार देना है। उन्होंने कहा कि जो बच्चे बिल्कुल स्कूल नहीं जा रहे उनको स्कूल जाने के लिए तैयार करें और बाद में उनकी पास के सरकारी स्कूल में दाखिला करवाया जाए। इसीलिए इवनिग क्लास रखी गई है।
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