बैशाख महीने में जलदान से हजारों यज्ञों का पुण्य : जिदा बाबा
बैशाख मास में भीषण गर्मी से प्यासे प्राणियों (पशु-पक्षी व मनुष्यों) को पानी पिलाना पुण्यदायक माना गया है इसलिए लोग छपील (मीठे पानी का लंगर) लगाते हैं।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 03 May 2021 05:13 AM (IST)
संवाद सहयोगी, दातारपुर : बैशाख मास में भीषण गर्मी से प्यासे प्राणियों (पशु-पक्षी व मनुष्यों) को पानी पिलाना पुण्यदायक माना गया है इसलिए लोग छपील (मीठे पानी का लंगर) लगाते हैं। गांव बड़ी दलवाली के दुर्गा माता मंदिर में उपस्थिति को बैसाख का महत्व बताते जिदा बाबा ने कहा, पुराणों में तो यहां तक लिखा है कि हर प्रकार के दान और तीर्थ स्थानों से जो पुण्य फल प्राप्त होता है उससे भी ज्यादा बैसाख में प्यासों को पानी पिलाने से हजारों यज्ञों का पुण्य मिलता है। आध्यात्मिक विभूति बाबा ने कहा, इस मास में सूर्य देव का ताप प्रचंडता पर होता है। ऐसे में धनी लोग तो राहत पाने की व्यवस्था कर लेते हैं, लेकिन गरीब लोगों को बड़ी परेशानी होती है। इस मास में आध्यात्मिक पुण्य प्राप्त करने के लिए कड़ी धूप से व्याकुल पथिकों के विश्राम की व्यवस्था करने का नियम बनाया गया है। कई लोग निर्धनों को पंखे और छाते का दान भी करते हैं। तवे की तरह तप रही धरती पर नंगे पैर चलने को विवश मनुष्यों को पहनने के लिए चप्पल देना भी श्रेष्ठ दान माना गया है। ग्रंथों में वैशाख मास को पुण्यार्जन का पर्वकाल कहा गया है। देवर्षि नारद अंबरीष को वैशाख मास का माहात्म्य बताते हुए कहते हैं बैसाख मास को ब्रहमाजी ने सब मासों में सर्वोत्तम कहा है। यह मास दिव्य ऊर्जा के कारण साधक को अभीष्ट फल देने वाला है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने में यह मास सर्वोपरि है। ब्रहममुहूर्त से लेकर सूर्योदय तक समस्त देवगण तीर्थ, नदी अथवा सरोवर के शुद्ध जल में वास करते हैं। बैसाख माह हमें इस बात की ओर ध्यान दिलाता है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए जल कितना महत्वपूर्ण है इसलिए जल-संपदा को प्रदूषण से बचाएं। इस अवसर पर राकेश, गोला पंडित, मोनू पठानियां, प्रीतपाल सिंह, राजपाल सिंह, सरोज, भोली देवी, अरुणा रानी, सुधा सरिता, नीलम, विनोद कुमार, बौबी कौशल, बिशन दास उपस्थित थे।
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