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Hoshiarpur: जेल में जैमर नहीं... अंदर बजती है मोबाइल की घंटियां, सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रही अंगुली; सरकार भी नहीं दे रही ध्यान

बादल सरकार ने होशियारपुर की जिला जेल को केंद्रीय जेल कर दिया था लेकिन सुविधाएं और कर्मचारियों की संख्या न पूरी होने से सुरक्षा व्यवस्था पर अंगुली उठ रही है। पिछले एक साल में जेल के अंदर से डेढ़ दर्ज मोबाइल बरामद हुए हैं। होशियारपुर की केंद्रीय जेल का दर्जा मिलने के बावजूद इस समस्या को लेकर कुछ नहीं किया गया।

By hazari lal Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Sat, 30 Dec 2023 08:08 PM (IST)
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देखें होशियारपुर की केंद्रीय जेल का ये बाहरी दृश्य
खालीहजारी लाल, होशियारपुर। Many Mobile Found In Hoshiarpur Central Jail: सत्ता के समय बादल सरकार ने होशियारपुर की जिला जेल का रुतबा बढ़ाकर केंद्रीय जेल कर दिया था, लेकिन सुविधाएं और कर्मचारियों की संख्या न पूरी होने से सुरक्षा व्यवस्था पर अंगुली उठ रही है। ब्योरे के अनुसार पिछले एक साल में जेल के अंदर से मोबाइल मिलने के डेढ़ दर्जन मामले दर्ज हुए हैं।

जमीनी हकीकत यह है कि होशियारपुर की केंद्रीय जेल का दर्जा बढ़ाने के बावजूद कुछ नहीं किया गया। न तो कैदियों को रखने के लिए जेल की क्षमता बढ़ाना मुनासिब समझा गया और न ही आवश्यकता के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या बढ़ी।

जेल प्रशासन हो रहा नाकाम साबित

जेल के अंदर जैमर न लगाने से अंदर मोबाइल की घंटियां बंद करने में जेल प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। इसके अलावा जेल में क्षमता से अधिक कैदी होने से समस्या गंभीर है। दरअसल, यह जिला जेल थी। बादल सरकार ने करीबन दस साल पहले इसका रुतबा बढ़ाकर केंद्रीय जेल कर दिया।

केंद्रीय जेल का रुतबा देने के बाद यहां पर मोबाइल फोन की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए जैमर लगाने की योजना थी क्योंकि इस जेल के अंदर भी कुख्यात अपराधी बंद हैं। बादल सरकार सत्ता का सुख भोग कर चली गई। बाद में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई। उसने भी जैमर लगाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।

मौजूदा सरकार का नहीं कोई ध्यान

सत्ता में अब आप सरकार है और इसका भी जैमर लगाने की तरफ ध्यान नहीं है। लिहाजा, जेल से अपराधी मोबाइल का खेल खेलते रहते हैं। क्षमता से अधिक कैदियों के ठूंसे होने की वजह से सुरक्षा व्यवस्था में भी छेद दिखता है।

अभी एक सप्ताह पहले ही बैरक नंबर 23 में बंद विचाराधीन कैदियों ओंकार सिंह और टीटू ने बाथरूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इससे जेल प्रबंधन की खूब किरकिरी हुई थी। सूत्र बताते हैं कि जेल में पूरी तरह से निगरानी रखने के लिए स्टाफ की घोर कमी है।

दो जगह जांच, फिर भी अंदर पहुंच रहा मोबाइल

सूत्रों के मुताबिक कैदियों को जेल के अंदर ले जाने के लिए दो जगहों पर जांच की व्यवस्था है। पहले मुख्य द्वार पर कैदियों की जांच होती है। उसके बाद जेल के दूसरे गेट पर कैदियों की बारीकी से जांच की जाती है।

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ऐसे में समझ से बाहर हो जाता है कि जब कड़ाई से जांच होती है तो फिर अंदर मोबाइल कैसे पहुंच जाते हैं। यह तो जेल प्रबंधन ही बता सकता है कि मोबाइल के खेल के पीछे कौन सा रहस्य छिपा है लेकिन मोबाइल फोन की बरामदगी समझ से बाहर हो जाती है।

जेल में क्षमता से अधिक हैं कैदी

क्षमता से अधिक कैदी बने परेशानी केंद्रीय जेल में कैदियों को रखने की क्षमता 603 है। वर्तमान में 800 से ज्यादा कैदी हो गए हैं। कैदियों के लिए 12 बड़ी, 20 छोटी सेल हैं। बैरकों व सेलों में क्षमता से अधिक कैदी ठूंसे गए हैं। जुटाए गए ब्योरे के मुताबिक सुरक्षा कर्मियों की स्वीकृति पोस्टें 59 हैं, जबकि रिटायरमेंट से करीबन तीस प्रतिशत पोस्टें खाली हैं।

जेल की रखवाली के लिए वर्ष 2005 में 74 सुरक्षा कर्मी थे। वर्तमान में गारदों की संख्या आधी रह गई है। जेल में वर्ष 2002 में कैदियों की संख्या महज 364 थी। उस समय भी सुरक्षाकर्मी 74 थे। अब कैदियों की संख्या में करीबन तीन गुणा वृद्धि हुई और कर्मचारी कम हुए हैं।

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