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Amritsar Sanskarshala: प्रिंसिपल अंजना गुप्ता की सलाह- इंटरनेट पर दी जानकारी की सत्यता जरूर जानें

Amritsar Sanskarshala हमारे बच्चे भावनात्मक रूप से बहुत कमजोर हो रहे हैं। वे गलत रास्ते पर जा रहे हैं। अपने माता-पिता तक से वह इस संबंधी बात नहीं करते। इससे निकलना बहुत जरूरी है। ऐसे में इसके लिए बच्चों को सतर्क रहना होगा।

By JagranEdited By: DeepikaUpdated: Thu, 29 Sep 2022 09:49 AM (IST)
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Amritsar Sanskarshala: डीएवी इंटरनेशनल स्कूल अमृतसर की प्रिंसिपल डा. अंजना गुप्ता। (जागरण)
जागरण संवाददाता, अमृतसर। आज इंटरनेट का युग है। हर वर्ग का व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ा है। युवा वर्ग तो मानो इंटरनेट की शृंखलाओं में ऐसा जकड़ा हुआ है कि उसे इससे बाहर की दुनिया दिखाई ही नहीं देती। इंस्टाग्राम, टि्वटर, स्नेपचैट, वाट्सएप, यू-टयूब, फेसबुक ने ऐसा जाल बिछाया है कि कोई चाहकर भी इनसे बाहर नहीं निकल सकता। यूं तो ये सब एप्स हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। हमें इनसे हर तरह की जानकारी मिलती है।

बड़े-बड़े विद्वानों के विचार हमें पढ़ने और सुनने को मिलते हैं। शिक्षकों की तरफ से पाठों का सरल व्याख्यान मिल जाता है जो विद्यार्थियों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। इतिहास की कोई भी जानकारी चाहिए या विश्व के किसी भी देश के किसी भी शहर या मौसम के बारे में पता लगाना हो, तो यह इंटरनेट पर उपलब्ध है। परंतु इतना होने पर भी लोग उसका सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे।

अमेरिका में एक पिता ने टि्वटर पर केस कर दिया क्योंकि उसकी 11 वर्षीय बच्ची ने अपना अकाउंट बनाया था। 13 वर्ष से कम आयु का बच्चा टि्वटर पर अपना अकाउंट नहीं बना सकता। टि्वटर उस बच्ची का अकाउंट स्वीकार करता है और ऐसे कंटेंट दिखाता है कि बच्ची मोबाइल को छोड़ ही नहीं पाती। टि्वटर पर दिखाई गई विषय वस्तु उसके दिमाग को अपने नियंत्रण में कर लेती है।

बच्ची अवसाद, तनाव और चिड़चिड़ेपन का शिकार बन जाती है। आत्महत्या का भी प्रयास करती है। उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है। यह तो एक मामला है, परंतु ऐसे असंख्य उदाहरण हमारे सामने हैं। आज राजनेता अपना प्रचार इंटरनेट मीडिया के माध्यम से करते हैं। अपने ही लोगों से अपने विषय में अच्छे-अच्छे विचार कहलवाते हैं। लोग सच्चाई को समझते नहीं है। इन लोगों के प्रभाव में आकर गलत व्यक्ति का चुनाव कर लेते हैं।

हर क्षेत्र में इंटरनेट मीडिया का भरपूर प्रयोग हो रहा है। तरह-तरह के वीडियो बनाकर लोग टि्वटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यू-टयूब पर डाल देते हैं। फिर इनका अनुसरण करने वालों की संख्या बढ़ने लगती है। किसी व्यक्ति की महानता का अनुमान इस बात से लगाया जाता है कि इंटरनेट मीडिया पर उसके कितने फालोअर्स हैं। वीडियो पोस्ट करने वालों पर भी एक सनक सवार हो जाती है।

वे अपने चहेतों को इसी काम पर लगा देते हैं कि कैसे भी करके फालोअर्स की संख्या बढ़ाई जाए। इंटरनेट पर सब कुछ सही नहीं होता है। वहां पर दी गई जानकारी के बारे में सत्यता जानना बहुत जरूरी है। आप किसी चीज पर आंखें मूंदकर भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि वहां पर कई झूठी व धोखाधड़ी वाली वीडियो, भ्रमित करने वाली सूचनाओं व जानकारी की बाढ़ सी आई हुई है। आज इसके कई दुष्परिणाम हम सबके सामने हैं।

हमारे बच्चे भावनात्मक रूप से बहुत कमजोर हो रहे हैं। वे गलत रास्ते पर जा रहे हैं। अपने माता-पिता तक से वह इस संबंधी बात नहीं करते। इससे निकलना बहुत जरूरी है। ऐसे में इसके लिए बच्चों को सतर्क रहना होगा। इंटरनेट पर बताए नुस्खे व जानकारियों के बारे में बच्चों को अपने माता-पिता के साथ चर्चा जरूर करनी चाहिए। किसी भी जानकारी पर तुरंत भरोसा करना भी ठीक नहीं।

ऐसे में इंटरनेट मीडिया का उपयोग सोच-समझकर किया जाए। हमें स्वयं पर नियंत्रण लगाना है और किसी जानकारी, सूचना या व्यक्ति पर बिना जांचे-परखे भरोसा नहीं करना चाहिए। उसकी सत्यता जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है। विज्ञान की दुनिया में इंटरनेट मीडिया है। -डा. अंजना गुप्ता, प्रिंसिपल डीएवी इंटरनेशनल स्कूल, वेरका बाईपास, अमृतसर

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