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Baba Murad Shah : हर मजहब के लिए पूजनीय है बाबा मुराद शाह का सूफियाना दरबार, मन्नत पूरी होने पर बैंड-बाजों के साथ आते हैं श्रद्धालु

जालंधर के नकोदर में स्थित है बाबा मुराद का दरबार। यहां साल भर विश्वभर से लाखों लोग नतमस्तक होने के लिए आते है। हिदू मुस्लिम सिख से लेकर तमाम धर्मों के लोग यहां पर एकत्रित होकर सर्वधर्म सद्भावना का प्रमाण भी देते है।

By Vinay KumarEdited By: Updated: Thu, 22 Sep 2022 10:29 PM (IST)
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जालंधर के नकोदर में स्थित बाबा मुराद शाह का दरबार। (जागरण)
जागरण संवाददाता, जालंधर। न-को-दर यानी ऐसा दरबार कहीं भी नहीं। ऐसा हो भी क्यों ना। नकोदर में ऐसा सूफियाना दरबार है, जहां हर मजहब के लोग सिर झुकाते हैं। बात चल रही है डेरा बाबा मुराद शाह की। जालंधर से 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है दरबार। जहां हर साल विश्वभर से लाखों लोग नतमस्तक होने के लिए आते है। हिदू, मुस्लिम, सिख से लेकर तमाम धर्मों के लोग यहां पर एकत्रित होकर सर्वधर्म सद्भावना का प्रमाण भी देते है। डेरे का इतिहास देश की आजादी से पहले का है। यहां हर वर्ष दो दिवसीय मेला सजाया जाता है। वर्षभर सभी धर्मों के लोग नतमस्तक होने पहुंचते है और मन्नतें मांगते है। मन्नत पूरी होने पर बैंड-बाजे के साथ माथा टेकने के लिए आते हैं।

बाबा मुराद शाह को लेकर विख्यात कथा के मुताबिक उन्हें आजादी से पहले नकोदर आकर बसे बाबा शेरे शाह से सूफियाना ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। दरअसल, आजादी से पहले फकीर बाबा शेरे शाह पाकिस्तान से पंजाब के नकोदर आकर रहने लगे। नकोदर की धरती पर ही उन्होंने वीरान इलाके में जाकर इबादत करनी शुरू कर दी। नकोदर में जैलदारों का परिवार रहता था जिन्होंने उनकी खूब सेवा की। इससे प्रसन्न होकर उन्होंने अध्यात्मिकता को समर्पित बेटे के जन्म लेने का वरदान दिया। परिवार में एक बच्चे ने जन्म लिया, जिसका नाम विद्या सागर रखा गया जिन्हें अब बाबा मुराद शाह जी के नाम से जाना जाता है।

बताया जाता है कि रुहानी प्यार करने वाले बाबा मुराद शाह की मुलाकात बाबा शेरे शाह से हुई। किसी बात को लेकर विचलित हुए बाबा मुराद शाह को उन्होंने धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर रुहानियत से अवगत करवाया। बाबा शेरे शाह द्वारा उन्हें ज्ञान देने के बाद लौट जाने पर इस स्थान पर बाबा मुराद शाह ने गद्दी संभाली व अपने संपर्क में आने वालों को रुहानियत का ज्ञान दिया। बाबा मुराद शाह का दरबार सभी धर्मों के लिए पूजनीय है। यहां होने वाले दो दिवसीय मेले में देशभर से लोग शामिल होते है। ट्रस्ट के चेयरमैन मशहूर गायक गुरदास मान अब संस्थान व मेले का संचालन करते है।

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