Move to Jagran APP

बैसाखी पर 12 अप्रैल को पाकिस्तान जाएगा एसजीपीसी का जत्था, गुरुद्वारा हसन अबदाल जाएंगे श्रद्धालु

खालसा पंथ के स्थापना दिवस बैसाखी पर पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा हसन अबदाल में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए एसजीपीसी 12 अप्रैल को जत्था भेजेगी। यह जत्था 21 अप्रैल तक पाकिस्तान के अलग-अलग सिख गुरुधामों के दर्शनों के बाद 22 अप्रैल को स्वदेश लौटेगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Fri, 12 Mar 2021 09:59 AM (IST)
Hero Image
जत्था 21 अप्रैल तक पाकिस्तान के अलग-अलग सिख गुरुधामों के दर्शनों के बाद 22 अप्रैल को स्वदेश लौटेगा।
अमृतसर, जेएनएन। खालसा पंथ के स्थापना दिवस बैसाखी पर पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा हसन अबदाल में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए एसजीपीसी 12 अप्रैल को जत्था भेजेगी। यह जत्था 21 अप्रैल तक पाकिस्तान के अलग-अलग सिख गुरुधामों के दर्शनों के बाद 22 अप्रैल को स्वदेश लौटेगा। जत्थे के कार्यक्रम संबंधी पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सतवंत सिंह ने एसजीपीसी की अध्यक्ष बीबी जगीर कौर को पत्र भी भेजा है। पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष के पत्र के अनुसार 14 अप्रैल को गुरुद्वारा पंजा साहिब में मुख्य कार्यक्रम होगा। श्रद्धालु अलग-अलग दिनों में पाकिस्तान में स्थित अन्य गुरुद्वारों के दर्शन करेंगे। पाकिस्तान जाने वाले जत्थे के सदस्यों को सेहत विभाग की ओर से कोरोना के बचाव के लिए तय किए गए नियमों का भी पालन करना होगा।

सड़क मार्ग से पाकिस्तान जाएगा जत्था

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के मुख्य सचिव हरजिंदर सिंह धामी ने बताया कि जत्था भेजने के लिए तैयारियां की जा रही हैं। 11 अप्रैल को वीजा लगे पासपोर्ट श्रद्धालुओं को दे दिए जाएंगे। 12 अप्रैल का जत्था सड़क मार्ग से पाकिस्तान जाएगा।

केंद्र ने गुरुद्वारा ननकाना साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं को नहीं दिया था वीजा

बता दें कि फरवरी में केंद्र सरकार ने पाकिस्तान में सुरक्षा और कोरोना संकट की स्थिति का हवाला देते गुरुद्वारा ननकाना साहिब जाने के इच्छुक 600 सिख श्रद्धालुओं को वीजा देने से इनकार कर दिया था। इस फैसले का शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) सहित कई सिख संगठनों ने विरोध किया था। एसजीपीसी की अध्यक्ष बीबी जगीर कौर ने कहा कि भारत सरकार ने जत्थे को पाकिस्तान जाने की स्वीकृति न देकर सिखों की धार्मिक भावनाओं को भारी ठेस पहुंचाई है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी इसे भेदभाव पूर्ण करार दिया था। 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।