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पाकिस्तानी ड्रोन पर भारी पड़ रहे बीएसएफ के अग्निबम, सीमा में घुसते ही रडार दे रहे जानकारी; आठ माह में सात ड्रोन मार गिराए

पाकिस्तानी ड्रोन पर बीएसएफ के अग्निबम भारी पड़ रहे हैं। नशा हथियार व विस्फोटक सामग्री की सप्लाई करने के लिए पाकिस्तानी तस्कर लंबे समय से ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 553 किलोमीटर के क्षेत्र में अब इस तकनीक का उपयोग शुरू कर दिया है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 08:33 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 08:33 PM (IST)
पाकिस्तानी ड्रोन पर भारी पड़ रहे बीएसएफ के अग्निबम, सीमा में घुसते ही रडार दे रहे जानकारी; आठ माह में सात ड्रोन मार गिराए
बीएसएफ की ओर से पकड़ा गया ड्रोन। (जागरण आर्काइव)

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब में पाकिस्तान से आ रहे ड्रोन पर अब सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अग्निबम भारी पड़ रहे हैं। नशा, हथियार व विस्फोटक सामग्री की सप्लाई करने के लिए पाकिस्तानी तस्कर लंबे समय से ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। ये ड्रोन बीएसएफ के लिए सिर दर्द बनने लगे थे। अब इन्हें मार गिराने के लिए जवानों ने अग्निबम व रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित रडार तकनीक का सहारा लेना शुरू कर लिया है। इनकी मदद से बीते 8 माह में बीएसएफ ने सात ड्रोन मार गिराए हैं। साथ ही, 15 ड्रोन को जब्त किया है। 57 ड्रोन अग्निबम, लेजर व गोलियों के डर से वापस चले गए।

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पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 553 किलोमीटर के क्षेत्र में बीएसएफ ने अब इस तकनीक का परीक्षण के बाद उपयोग शुरू कर दिया है। अंतराष्ट्रीय बाजार में नशीले पदार्थ की सप्लाई के लिए पाकिस्तानी व भारतीय तस्कर मिलकर वर्षों से पंजाब का उपयोग मार्ग के रूप में कर रहे हैं। अफगानिस्तान व पाकिस्तानी सीमा पर पैदा होने वाली अफीम से तैयार की जा रही हेरोइन व अन्य नशीले पदार्थ की कीमत भारतीय सीमा में आते ही एक लाख से बढ़कर 25 लाख रुपये तक हो जाती है। यहां से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचने के बाद उसकी कीमत 50 लाख रुपये किलो तक हो जाती है। नशा तस्करी के मार्ग के रूप में उपयोग हो रहे पंजाब के हालात इस समय ऐसे हैं कि यहां की हर गली में हेरोइन आसानी से उपलब्ध है। यही वजह है कि बीते तीन चुनाव से पंजाब में नशा सबसे बड़ा मुद्दा बनता आ रहा है। अब बीएसएफ की नई तकनीक व अग्निबम ड्रोन को रोकने में कारगर साबित हो रहे हैं।

दो माह से बीएसएफ कर रही अग्निबमों का उपयोग

ड्रोन को गिराने के लिए बीएसएफ के जवान अग्निबमों का उपयोग दो माह से कर रहे हैं। जैसे ही ड्रोन की जानकारी बीएसएफ के जवानों को मिलती है तो वे अग्निबम फेंक देते हैं। इससे लगभग 500 से 600 मीटर तक जमीन से लेकर आसमान तक रोशनी हो जाती है, जिससे जवान आसानी से ड्रोन को देख लेते हैं।

रडार व लेजर से मिल रही है मदद

बीएसएफ ने 553 किलोमीटर की सीमा में डीआरडीओ द्वारा तैयार एंटी ड्रोन उपकरणों से सुसज्जित नई तकनीक के रडार लगा दिए हैं। इससे दस किलोमीटर की रेंज में ड्रोन के आते ही रडार उसकी जानकारी संबंधित सेंटर को दे देता है। इसके बाद सीमा पर लगाई गई लेजर तकनीक से निकलने वाली लेजर किरणें ड्रोन पर हमला करती हैं। रडार से एक हजार मीटर की रेंज के अंदर ड्रोन के आते ही उसका सिग्नल और जीपीएस सिस्टम जाम कर दिया जाता है। बीएसएफ के जवान रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से ड्रोन को पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर कर देते हैं। इसके बाद ड्रोन दिशा रहित हो जाता है और गोलियों की बौछार से उसे मार गिराया जाता है। कई बार रडार की सीमा में आते ही पाकिस्तान से उसे संचालित करनेवाले तस्कर तत्काल उसे वापस पाकिस्तानी सीमा की तरफ ले जाते हैं।

सम्मान राशि देने की भी योजना

बीएसएफ ने अप्रैल में सीमा पार से आने वाले ड्रोन, नशीले पदार्थ व हथियारों की सप्लाई के बारे में सही सूचना देने वाले नागरिकों के लिए एक लाख रुपये की सम्मान राशि देने की योजना शुरू की है। इसे लेकर बीएसएफ ने सीमा पर स्थित गावों की पंचायतों से लेकर हजारों लोगों को जागरूक किया है। अभी तक केवल चार लोगों ने इस राशि के लिए दावा किया है। हालांकि, जांच के बाद उनकी सूचनाएं कारगर नहीं निकलीं।

बीएसएफ के आइजी आसिफ जलाल ने कहा कि बीएसएफ ने पूरी सीमा को सील कर रखा है। सीमा पार से न तो नशा आ रहा और न ही हथियार। लोगों के लिए एक लाख की सम्मान राशि की घोषणा की गई है, लेकिन उसका लाभ लोग नहीं ले रहे हैं। कोई भी व्यक्ति फोन नंबर 0181-2233348 या 94178-09047 पर सही सूचना देकर सम्मान राशि हासिल कर सकता है।


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