Conversion in Punjab: अमृतसर में लालच देकर करवाया गया था मतांतरण, 12 परिवारों ने की घर वापसी
कोहलेवाल में करीब 12 परिवारों ने सिख धर्म में वापसी की। दिल्ली कमेटी के प्रधान हरमीत कालका ने 3 अगस्त को यहां दफ्तर खोला था। इसके पश्चात कमेटी के प्रचारक गांव-गांव जा रहे हैं। इसी दौरान इन परिवारों से मुलाकात हुई और उन्हें अपने सिख धर्म में वापसी करवाई गई।
By DeepikaEdited By: Updated: Wed, 31 Aug 2022 10:43 AM (IST)
जागरण संवाददाता, अमृतसर: जिले के गांव कोहलेवाल में करीब 12 परिवारों की सिख धर्म में वापसी करवाई गई है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (डीएसजीएमसी) के प्रयास से इन परिवारों ने वापसी की। धर्म प्रचार कमेटी के चेयरमैन मनजीत सिंह भोमा ने कहा कि इन परिवारों को लालच देकर मतांतरण करवाया गया था।
इन्हें कहा गया था कि इनकी बीमारियां ठीक हो जाएंगी। बच्चों को शिक्षा दिलाई जाएगी और उनका फ्री इलाज करवाया जाएगा जबकि हुआ कुछ भी नहीं। उन्होंने कहा कि दिल्ली कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका ने 3 अगस्त को यहां दफ्तर खोला था। इसके पश्चात कमेटी के प्रचारक गांव-गांव जा रहे हैं। इसी दौरान इन परिवारों से मुलाकात हुई और उन्हें अपने सिख धर्म में वापसी करवाई गई।
मनजीत सिंह ने कहा कि कहीं न कहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कमी रही है। यही कारण रहा है कि पंजाब में सिखों का मतांतरण करवाया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील की कि जिस तरह से हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में मतांतरण पर पाबंदी है, ठीक उसी तरह पंजाब में भी पाबंदी लगाई जाए।
गांवों में प्रचारक दौरा कर तरह-तरह के देते हैं लालचगांव काहलोवाल के करीब एक दर्जन परिवारों ने सिख धर्म में वापसी करने के बाद ईसाई धर्म अपनाने की सारी कहानी बयां की। उन्होंने कहा कि ईसाई धर्म प्रचार गांवों में दौरा कर तरह-तरह के लालच देते हैं। जिनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं होती है मतांतरण करने वाले लोग ऐसे परिवारों को ही ज्यादा निशाना बना रहे हैं। उन्हें लालच दिया जा रहा है। इन परिवारों का कहना था कि वह कुछ समय के लिए भटक गए थे। अब वह वापस आ गए हैं और श्री गुरु ग्रंथ साहिब को मानकर ही अपना जीवन व्यतीत करेंगे।
बेटे की बीमारी ठीक करने का दिया झांसा, पर हो गई मौतमहिला रजिंदर कौर ने कहा कि उसके बेटे के गुर्दे फेल हो गए थे। उन्हें कहा गया कि ईसाई धर्म अपनाने के बाद चर्च में जाने से उसकी बीमारी ठीक हो जाएगी। करीब दो साल तक वह चर्च जाते रहे। उन्हें कहा गया कि उनका इलाज वह खुद करेंगे और उसे कोई दवाई भी नहीं देनी है। उन्होंने उनकी बात मानकर दवाई देना भी बंद कर दिया। उन्हें कहा जाता था कि जालंधर में बड़ी चर्च है और वह वहां भी जाने लगे। उनके बेटे को कोई फर्क नहीं पड़ा। नतीजतन उसके 20 वर्षीय बेटे की कुछ ही दिन में मौत हो गई।
पति की शराब छुड़वाने का दिया था भरोसा: सर्बजीतसर्बजीत कौर का कहना था कि उसका पति शराब पीता था। उसे कहा गया कि शराब छुड़वा देंगे। इतना ही नहीं उनकी बेटियों की शादी करवाई जाएगी और स्कूल में पढ़ाया जाएगा। उनकी दो बेटियां है। घर की हालत ठीक नहीं है। दोनों बेटियां सिर्फ 8वीं तक पढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि वह चर्च में जाती रही, लेकिन फायदा कोई नहीं हुआ। उसका पति शराब लगातार पीता रहता था। उनसे मारपीट भी करता था।
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