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Coronavirus Vaccination in Jalandhar ः जालंधर में डा. कश्मीरी ने कहा- खुशकिस्मत हूं कि पहला टीका मुझे लगा

जालंधर में डा. कश्मीरी लाल ने बताया कि शुक्रवार रात को मैसेज आया कि शनिवार को सुबह 11.30 बजे सिविल अस्पताल में आकर कोरोना वैक्सीन लगवानी है। सुबह 11.32 बजे कोरोना वैक्सीन लगाने का शुभारंभ किया गया और 11.35 बजे उन्हें वैक्सीनेटर पूनम ने कोरोना की पहली डोज लगाई।

By Vinay kumarEdited By: Updated: Sun, 17 Jan 2021 07:24 AM (IST)
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जालंधर में पहला टीका लगवाने वाले डा. कश्मीरी लाल। (जालंधर)
जालंधर, जेएनएन। डा. कश्मीरी लाल ने बताया कि शुक्रवार रात को मैसेज आया कि शनिवार को सुबह 11.30 बजे सिविल अस्पताल में आकर कोरोना वैक्सीन लगवानी है। शनिवार सुबह उठ कर तैयार हुआ और घर से निकलने से पहले परमात्मा से अरदास की कि हे परमात्मा! वैक्सीन को इतनी कामयाबी देना कि इसे लगवाने वाला हर व्यक्ति सुरक्षित रहे। मेरे परिवार के सदस्यों ने शुभकामनाएं देकर वैक्सीन लगवाने के लिए घर से रवाना किया।

सुबह 11.25 बजे सिविल अस्पताल पहुंच गया। 11.32 बजे कोरोना वैक्सीन लगाने का शुभारंभ किया गया और 11.35 बजे उन्हें वैक्सीनेटर पूनम ने कोरोना की पहली डोज लगाई। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि जिले में मुझे सबसे पहले कोरोना वैक्सीन लगवाने का अवसर मिला। वैक्सीन भविष्य में लोगों के लिए सुरक्षा कवच बनेगी। वैक्सीन लगवाने के बाद मुझे सुखद अहसास हुआ। ऐसा लगा जैसे महीनों की थकान उतर गई है। वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। पिछले साल मार्च माह में जब सबसे पहले कोरोना का मरीज आया था, तब उसके इलाज के लिए लोग आगे नहीं आते थे।

लोग उसके घर के आसपास जाने से डरते थे। उस समय वह खुद अपनी टीम को लीड करते थे और लोगों को कोरोना से जीतने के लिए प्रेरित करते थे। सरकारी अस्पताल में इलाज से हजारों की तादाद में मरीजों को कोरोना के खिलाफ जीत हासिल करने के काबिल बनाया। सेवानिवृत्त होने के बाद कोरोना काल में बेहतर सेवाएं मुहैया करवाने के लिए राज्य सरकार की ओर से सम्मानित भी किया गया।

जिंदगी का पहला अनुभव और पहली कामयाबी
सिविल अस्पताल में एनस्थीसिया विभाग में तैनात डा. नीलकांत शनिवार को पहले दिन कोरोना वैक्सीन लगवा खुद को खुशनसीब मान रहे हैं। वह वैक्सीन लगवाने वाले सबसे छोटी उम्र (30) के डाक्टर थे। उनका कहना है कि उनकी ङ्क्षजदगी का कोरोना के खिलाफ जंग लडऩा और विजय पाना ङ्क्षजदगी का पहला अनुभव है। उन्होंने करीब डेढ़ साल पहले सेहत विभाग में सर्विस ज्वाइन की थी। नौकरी में आने के कुछ माह बाद ही उन्हें कोरोना का भयानक चेहरा देखने को मिला। सिविल अस्पताल गंभीर मरीजों का इलाज करना सबसे बड़ी चुनौती थी, जिसे पूरा करने में कामयाबी हासिल की।

निजी डाक्टरों में पहला टीका मुझे लगा
आइएमए सेंट्रल के वाइस प्रधान डा. नवजोत ङ्क्षसह दहिया ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से उन्हें पहले दिन कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए शनिवार को जालंधर भेजा गया। उन्होंने निजी डाक्टरों में सबसे पहले वैक्सीन लगवा कर इसे सुरक्षित होने का प्रमाण दिया। आइएमए के सदस्य व उनके अस्पतालों में तैनात स्टाफ के सदस्य भी वैक्सीन लगवाने के लिए सबसे आगे रहेंगे। वैक्सीन को लेकर लोगों में कई तरह गलत भ्रांतियां हैं, जिन्हें सेहत विभाग व आइएमए डाक्टर दूर करने में जुटे हुए हैं।

बड़ी चुनौतियों के बाद हासिल हुई वैक्सीन, इसे स्वीकार करें
पूर्व सिविल सर्जन डा. गुरिंदर कौर चावला भी शनिवार को सिविल अस्पताल में कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचीं। वह सबसे अधिक 60 साल उम्र की वैक्सीन लगवाने वाली महिला थी। उन्होंने कहा कि वैक्सीन सुरक्षित है और उन्होंने भी इसे लगवा कर कोरोना से बचाव के लिए संजीवनी हासिल की है। बिना किसी भय के सभी को इसे लगवाना चाहिए।

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