एक किसान संगठन की जिद से पंजाब में रेल सेवा पूरी तरह नहीं हो पाई बहाल, लाखों यात्री परेशान
पंजाब में अभी तक रेल सेवा पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाई है। राज्य का एक किसान संगठन जंडियाला गुरु रेलवे स्टेशन के निकट धरने पर है। संगठन का कहना है कि यहां यात्री ट्रेनें नहीं चलने दी जाएंगी।
जेएनएन, अमृतसर। एक माह तक रेल ट्रैक जाम कर बैठे राज्य के 31 किसान संगठनों के साझे गठजोड़ ने राज्य व केंद्र सरकार की अपील पर अक्टूबर में अपना धरना खत्म कर दिया था। इन संगठनों ने राज्यभर में रेल ट्रैक खाली कर दिए, परंतु किसान मजदूर संघर्ष कमेटी अभी भी यात्री ट्रेनें रोकने को लेकर अड़ी है। संघर्ष कमेटी राज्य में एक ही स्थान अमृतसर जिला के गांव जंडियाला गुरु के रेलवे स्टेशन के पास धरना दे रही है और यात्री ट्रेनें नहीं चलने दे रही है।
कमेटी ने अपना धरना रेल ट्रैक से 200 मीटर दूर एक पार्क में लगाया हुआ है। संगठन ने एलान किया हुआ है कि मालगाड़ियां नहीं रोकी जाएंगी, लेकिन यदि यात्री ट्रेनें चलाई गईं तो वह दोबारा रेल पटरी पर धरना शुरू कर देंगे। संघर्ष कमेटी की इसी जिद के कारण राज्य में लगभग सवा चार माह बाद भी रेल सेवाएं पूरी तरह बहाल नहीं हो पाई हैं। इससे जहां लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं व्यापारियों व उद्योगपतियों को माल सप्लाई न हो पाने के कारण मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के कार्यालय सचिव गुरबचन सिंह चब्बा ने कहा कि उनके संगठन ने मालगाड़ियों को चलाने की छूट दी हुई है। संगठन के फैसले के अनुसार यात्री गाड़ियों को चलने नहीं दिया जाएगा। अगर यात्री गाड़ियां चलती हैं तो उनके संगठन के कार्यकर्ता तो रेलवे स्टेशन के पास ही पार्क में धरना दे रहे हैैं और वह अपना धरना दोबारा रेलवे ट्रैक पर शिफ्ट कर देंगे।
उधर, तीस किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा के नेता व जम्हूरी किसान सभा के प्रतिनिधि रतन सिंह रंधावा और आल इंडिया किसान सभा के नेता बलविंदर सिंह दुधाला ने कहा कि 30 किसान संगठनों ने तो राज्य की अर्थव्यवस्था और यात्रियों की मुश्किल को मुख्य रखकर रेल ट्रैक खाली किया हुआ है।
सुरक्षा एजेंसियों ने संघर्ष कमेटी की विश्वासनीयता पर उठाया सवाल
उधर सुरक्षा व गुप्तचर एजेंसियों ने भी केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की विश्वसनीयता के खिलाफ कई तर्क दिए हैैं। उन्होंने कहा है कि इस संगठन के नेताओं पर विश्वास नहीं किया जा सकता। यह संगठन एलान कुछ करता है और एक्शन कुछ करता है। अगर यात्री ट्रेन चलती है तो इस संगठन की ओर से उसमें बाधा डाली जा सकती है, इसलिए रेलवे यात्री ट्रेनें दिल्ली- अमृतसर रेल ट्रैक पर नहीं चला रहा।
लाल किले पर हुए उपद्रव में भी शामिल थे संघर्ष कमेटी से जुड़े लोग
बता दें, सितंबर के अंतिम सप्ताह में पंजाब में किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में रेल यातायात पूरी तरह ठप कर दिया था। एक माह बाद सभी संगठन मान गए और रेल ट्रैक खाली कर दिया लेकिन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी अभी भी धरने पर अड़ी है। यह वही संगठन है जो दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा से अलग धरना दे रहा है। इसी कमेटी से जुड़े लोगों पर 26 जनवरी को लाल किला पर जाकर उपद्रव का आरोप भी है।
लोग परेशान, किसान रेल ट्रैक छोड़ दें: जगदीश सिंह
डेली रेलवे पैसेंजर यूनियन के अध्यक्ष जगदीश सिंह ने कहा कि यात्री ट्रेनें नहीं चलने के कारण लोग परेशान हैैं। रोजाना अप-डाउन करने वाले यात्रियों को बसों से अधिक किराया देकर अमृतसर आना जाना पड़ रहा है। इसको देखते हुए किसानों को रेल ट्रैक छोडऩा चाहिए।
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