पंजाब में अब शिक्षकों व नान टीचिंग की अप्रेजल रिपोर्ट मंजूर होने में नहीं लगेगा समय, विभाग ने जिम्मेदारियां बांटी
शिक्षा विभाग ने सरकारी मिडिल हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों व नान टीचिंग स्टाफ की सालाना कारगुजारी की अप्रेजल रिपोर्ट (एपीएआर) रिकार्ड करने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए जिम्मेदारियों को बांट दिया है।
By Rohit KumarEdited By: Updated: Sun, 21 Mar 2021 08:19 AM (IST)
जालंधर, अंकित शर्मा। शिक्षा विभाग के सरकारी मिडिल, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में काम करने वाले नान टीचिंग स्टाफ की सालाना कारगुजारी की अप्रेजल रिपोर्ट (एपीएआर) रिकार्ड करने की प्रक्रिया को सरल किया जा रहा है। अब अप्रेजल की रिपोर्ट को प्रवाण व मंजूर करवाने के लिए इधर-उधर धक्के नहीं खाने पड़ेंगे। शिक्षा विभाग की तरफ से सारे काम कम समय पर करवाने के उद्देश्य से ही यह प्रयास किया गया है। इसके तहत स्कूल मुखी व प्रिंसिपल अप्रेजल के लिए रिपोर्टकर्ता अधिकारी होंगे, जबकि ब्लाक नोडल अफसर रिपोर्टों संबंधी रिव्यूकर्ता व हस्तक्षर करने के अधिकारी होंगे। सभी रिपोर्ट स्कूल मुखी व प्रिंसिपल के पास ही होंगी। ब्लाक नोडल अधिकारी स्कूल मुखी व प्रिंसिपल के केस में जूनियर हो सकता है, ऐसे में उनकी रिपोर्ट को उप जिला शिक्षा अधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से हस्ताक्षर किए जाएंगे।
अगर ब्लाक नोडल अधिकारी की तरफ से किसी कर्मचारी के खिलाफ कठोर रिमार्क दिए जाते हैं, तो ऐसे केस में रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस केस में ब्लाक नोडल अफसर की तरफ से डीईओ को रिपोर्ट में दर्ज रिमार्क के कारणों की भी जानकारी देनी होगी। यही नहीं जिला शिक्षा अधिकारी के पास यह भी अधिकार होगा कि वे जिस कर्मचारी के खिलाफ शिकायत, पड़ताल व अनुशासनी कार्रवाई का केस पेंडिंग होने की सूरत में उस कर्मचारी को रिपोर्ट को प्रवाण करने के लिए खुद मंगवा सकते हैं।
अभी तक अप्रेजलों को स्कूल मुखियों की तरफ से लिखी जाती थी और जिला शिक्षा अधिकारियों से हस्ताक्षर करवाए जाते थे। ऐसे में स्कूलों में काम कर रहे टीचिंग और नान टीचिंग स्टाफ में काम का सीधे तौर पर जिला शिक्षा अधिकारियों की तरफ से मूल्यांकन नहीं किया जाता। इसके अलावा पूरे जिले में सभी अध्यापकों और नान टीचिंग स्टाफ की संख्या ज्यादा होने के कारण प्रति अप्रेजल पर हस्ताक्षर करने के कार्य में देरी होने की संभावना बनी रहती है। जिससे कर्मचारी को तरक्की सहित अन्य सेवाओं का लाभ लेने में दिक्कत आती है। जिससे कर्मचारियों के संबंधित मामलों का निपटारा समय पर न होने से उनमें असंतोष की भावना पैदा होती है। इसी स्थिति को दूर करने के लिए ही विभाग की तरफ से यह पैंतरा अपनाते हुए अधिकारों को बांटा गया है।
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