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समृद्धि की प्रतीक रही है फरीदकोट रियासत, प्रथम विश्‍वयुद्ध में अंग्रेजों को दिया था कर्ज व साजो सामान

Faridkot Princely फरीदकोट रियासत कभी समृद्धता की प्रतीक थी। कभी इसके मुगल शासकों से करीबी संबंध रहे तो बाद में यह अंग्रेज शासकोंं से जुड़ी। प्रथम विश्‍वयुद्ध के समय फरीदकोट रियासत के शासकों ने अंंग्रेजोंं को लाखों रुपये का कर्ज और साजो-सामान दिया था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 10:56 AM (IST)
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पंजाब की फरीदकोट रियासत कभी समृद्धि की प्रतीक थी। (फाइल फोटो)
फरीदकोट, [प्रदीप कुमार सिंह ]। हजारों करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति वाली फरीदकोट रियासत समृद्धि का प्रतीक रही है। रियासत के शासक शुरूआती दौर में मुगल सम्राट के करीबी रहे और बाद में अंग्रेजों के करीबी बने। इसी निकटता के कारण छोटी सी रियासत अकूत संपत्ति की मालिक बनी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेज हुकुमत को भी रियासत ने कर्ज ही नहीं दिया बल्कि लड़ाई में भाग लेने के लिए सैनिक व सोजो-समान भी मुहैया कराए।

रियासत के राजाओं ने शिक्षा, सेहत, पर्यावरण, बिजली, पेयजल व खूसूरत इमारतों पर खूब काम किया जो आज भी लोगों के लिए प्रेरणासोत्र है। शहर से गंदे पानी की निकासी व लोगों के पेयजल सप्लाई के लिए जो तकनीक रियासत ने अपनाई थी, उसका काट आज भी मार्डन तकनीक नहीं खोज पाई है।

1916 में महाराजा बरजिंद्र सिंह ने रियासत का कार्यभार संभाला। महाराजा बरजिंद्र सिंह ने ब्रिटिश सरकार को 17 लाख रुपये कर्ज के रूप में दिए और उनके लिए हथियार, घोड़े, ऊंट तथा 2800 फौजी जवान भी भेजे। महाराजा बरजिंद्र सिंह की इस सहायता से खुश होकर ब्रिटिश सरकार ने सम्मान के रूप में उनको उपाधि भी दी।

रियासत में भीख मांगने पर थी पाबंदी, कभी नहीं हुआ कोई अपराध

फरीदकोट रियासत के अंतिम राजा हरिंद्र सिंह एक अच्छे प्रबंधक के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने अपनी रियासत में भीख मांगने पर पूर्ण तौर पर पाबंदी लगाई हुई थी। देश के बंटवारे के समय उन्होंने अपनी रियासत में एक भी दंगा, लूटपाट तथा कत्ल नहीं होने दिया। पाकिस्तान जाने वाले परिवारों को पूरी हिफाजत से भेजा गया।

15 जुलाई 1948 को भारत में विलय हुआ था फरीदकोट रियासत का

फरीदकोट रियासत के पहले शासक राजा हमीर सिंह थे और इन्हीं से फरीदकोट रियासत की वंश परंपरा शुरू हुई। यह सिख धर्म के अनुयायी बने। यहीं से सिख जाटों का फरीदकोट पर राज शुरू हुआ। महाराजा हरिंद्र सिंह इसके अंतिम शासक थे और उनका 16 अक्टूबर, 1989 को देहांत हो गया था।

देश को आजादी मिलने के बाद फरीदकोट रियासत का 15 जुलाई, 1948 भारत में विलय कर फरीदकोट रियासत को खत्म कर दिया गया। बाद में पंजाब सरकार ने इसका बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार फरीदकोट रियासत पर मालिकाना हक महाराजा हरिंद्र सिंह की दोनो बेटी स्व. देपिंदर कौर के परिवार, अमृत कौर व कुंवर मंजीत सिंह को मिलेगा। महारानी दीपइंद्र कौर का वर्धमान के राजा सदा सिंह महिताब से विवाह हुआ है।

फरीदकोट रियासत की वंश परंपरा रियासत के राजा-

राजा हमीरसिंह फरीदकोट नामक रियासत के पहले शासक थे। ऐसा माना जाता है कि यहीं से फरीदकोट रियासत की शुरूआत हुई। यह राव सिद्ध की 20वीं पीढ़ी में तथा राव बराड़ की 13वीं पीढ़ी में हुआ। यह राज परिवार सिख धर्म का अनुयायी बन गया। इसी से सिख जाटों का फरीदकोट पर राज्य शुरू हुआ, जो कि पीढ़ियों से हिंंदुओं के सिद्धू या बराड़ गोत्री जाटों का शासन चला आ रहा था।

- राजा हमीर सिंह (1763-1782)

- राजा मोहर सिंह (1783-1798)

- राजा चरत सिंह (1798-1804)

- राजा दल सिंह (1804- एक महीना)

- राजा गुलाब सिंह (1804-1826)

- राजा अत्तर सिंह (1826-1827)

- राजा पहाड़ सिंह (रीजेंट)

रियासत के महाराजा

- महाराजा पहाड़ सिंह (1846-1849)

- महाराजा वजीर सिंह (1849-1874)

- महाराजा विक्रम सिंह (1874-1898)

- महाराजा बलबीर सिंह (1898-1906)

- महाराजा बलबीर इंदर सिंह (1906-1916)

- महाराजा बरजिंद्र सिंह (1916 से 1918)

- 1918-1934 तक फरीदकोट रियासत पर कौंसिल आफ एडमिनिस्ट्रेशन का काम चलाऊ प्रबंध रहा।- फरीदकोट रियासत व बराड़ वंश के अंतिम राजा हरिंद्र सिंह ने 17 अक्टूबर 1934 को फरीदकोट रियासत का कार्यभार संभाला जो 15 जुलाई, 1948 रहे।

 राजा वरजिंद्र सिंह ने आलीशान इमारतों व बागों का निर्माण कराया

1916 में महाराजा बरजिंद्र सिंह ने फरीदकोट का कार्यभार संभाला, उन्होंने इसमें आलीशान इमारतों तथा बागों का निर्माण करवाया। 

अमृतसर में लंगर की इमारत बनवाने के साथ बिजली लगाने के लिए फरीदकोट रियासत ने दिए थे 25 हजार रुपये

फरीदकोट रियासत द्वारा अमृतसर हरमंदिर साहिब के लंगर की इमारत बनवाने के साथ वहां पर बिजली लगाने के लिए 25000 रुपये खर्च किए गए थे, यह कार्य फरीदकोट के राजा वजीर सिंह (1874-1898) द्वारा किया गया था।

शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान रहा रियासत का

फरीदकोट रियासत के शासकों द्वरा प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक के प्रबंध किए गए थे, इसके तहत कामर्स का कालेज पेशावर तथा दिल्ली के बाद अकेले फरीदकोट में उस दौर में मौजूद था। राजा हरिंद्र सिंह ने बृजेंद्रा कालेज, जूनियर बेसिक ट्रेनिंग स्कूल, विक्रम कालेज आफ कामर्स, खेतीबाड़ी कालेज, आर्ट तथा क्राफ्ट स्कूल के अलावा उस समय फरीदकोट रियासत में 8 हाई स्कूल व गांवों में प्राइमरी स्कूल खोले गए थे।

सेहत के लिए भी अच्छे किए गए थे प्रबंध

फरीदकोट रियासत के राजाओं द्वारा राजमहल से सटाकर बलबीर अस्पताल बनवाया गया था, जो कि अब भी चल रहा है, यह पर रियासत के लोगों का नि:शुल्क उपचार होता था, इसके अलावा गांव-गांव में छोटे-छोटे दवाखाना रियासत द्वारा खोले गए थे। बलबीर अस्पताल में कई अंग्रेज डाक्टर अपनी सेवा देते थे।

फरीदकोट रियासत की खूबसूरत इमारतें

फरीदकोट रियासत के दूरदर्शी व कला प्रेमी शासकों ने 30 से ज्यादा भव्य व खूबसूरत इमारतों का निर्माण किया, जिसकी खूबसूरती आज भी देखते हुए बनती है, यहां पर बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक से देखने के लिए आते है, इसमें सचिवालय, विक्टोरिया टावर, लाल कोठी, आराम घर, अस्तबल, राज महल, शीशमहल, मोती महल, शाही किला, शाही समाधी, लाइब्रेरी, बीड़ आदि इमारतें आज भी दर्शनीय है।

राजमहल व किला मुबारक का इतिहास

1885 से 89 के मध्य राज महल का निर्माण महाराजा विक्रम सिंह द्वारा किया गया था और तब से यह शाही परिवार के रिहाइस के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। 13वीं सदी में किला मुबारक को यूरोपियन शैली में बनाया गया, किला मुबारक का निर्माण राजा मोकलसी द्वारा किया गया था। उसके बाद रियासत के हुए शासकों द्वारा इसमें विभिन्न इमारतों का निर्माण किया गया और राजमहल के निर्माण से पहले तक इसी में शाही परिवार के लोग रहते थे।

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