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समय के साथ बिखरा अनिल जोशी का कुनबा, विधानसभा चुनाव 2017 में हार के बाद कई करीबी कर दिए साइडलाइन

2017 का विधानसभा चुनाव जैसे ही जोशी हारे उसके बाद से ही उनके ज्यादातर करीबियों को संगठन के नाममात्र ही एडजस्ट किया गया जबकि जो जितना बड़ा जोशी विरोधी था उसे जिला कार्यकारिणी में उतना ही अहम पद दिया गया। जोशी के कुनबे के बिखराव ने विरोधियों को ताकत दी।

By Vikas_KumarEdited By: Updated: Tue, 13 Jul 2021 08:22 AM (IST)
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पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी की फाइल फोटो।

अमृतसर, [विपिन कुमार राणा]। पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी की पहचान विरोध के नेता के रूप में ही रही है। यानी हर समय उन्हें किसी न किसी प्रकार का विरोध झेलना पड़ा है। चाहे वह पार्टी टिकट लेने का मौका हो या फिर समय-समय पर बने हालात। शायद यही वजह है कि शहर में जोशी विरोधियों की एक लंबी चौड़ी जमात है, जिसका हर समय प्रयास रहा है कि जोशी सियासी रूप से उभर न पाएं।

2017 का चुनाव जैसे ही जोशी हारे, उसके बाद से ही उनके ज्यादातर करीबियों को संगठन के नाममात्र ही एडजस्ट किया गया, जबकि जो जितना बड़ा जोशी विरोधी था, उसे जिला कार्यकारिणी में उतना ही अहम पद दिया गया। जोशी के कुनबे के बिखराव ने भी विरोधियों को ताकत दी। जोशी के इन्हीं करीबियों का दूर होना भी कहीं न कहीं 2017 के चुनाव में हार का कारण बना। जोशी की पीपीएस तिगड़ी की किसी समय पूरे शहर में धाक होती थी। पीपीएस यानी राजिंदर महाजन पप्पू, सुखमिंदरपिंटू और अनुज सिक्का।

समय के साथ ही खुद को जोशी की टीम में असहज महसूस करते हुए सिक्का और महाजन चुनाव से पहले ही जोशी से किनारा कर गए। उसके बाद जोशी को बड़ा झटका हाल ही में लगा जब उसके सबसे करीबी एडवोकेट आरपी सिंह मैणी उनके करीबियों की टीम के साथ अकाली दल ज्वाइन कर ली। इतना ही नहीं जोशी खेमे से जुड़े अन्य नेताओं को जिला कार्यकारिणी में अहम पदों पर एडजस्ट नहीं किया गया, जिसके चलते अब जो लोग जोशी के पक्ष में बयानबाजी कर रहे हैं, उनके पास कार्यकारिणी में कोई बड़ा पद नहीं है।

हलके में जोशी की घेराबंदी

पिछले सवा चार साल से सियासी वनवास झेल रहे जोशी की उनके अपने विधानसभा हलके में ही भाजपा द्वारा घेरेबंदी कर दी गई। किसी समय जिन मंडलों पर जोशी के करीबियों का कब्जा होता था, वहां पार्टी ने या तो अपने नेताओं को बिठा दिया है या फिर जोशी विरोधियों को। वर्तमान में सिविल लाइन मंडल सुधीर श्रीधर, कश्मीर एवेन्यू मंडल में चरणजीत सिंह, बाइपास मंडल के कपिल शर्मा और रणजीत एवेन्यू मंडल में मोनू महाजन को प्रधान लगाया गया है। सभी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और इनमें से कपिल कभी जोशी के खास रहे थे, आज तक उनका शुमार जोशी विरोधियों में है।

पार्टी से इस्तीफा देने वालों का आसरा बने थे

भाजपा ने जोशी को चाहे निष्कासित कर दिया है, पर साल 2018 में वह प्रदेश प्रधान श्वेत मलिक व जिला कार्यकारिणी का विरोध करने वालों का आसरा बने थे। तब केंद्रीय विधानसभा हलके के मंडल प्रधानों प्रदीप सरीन, राजिंदर शर्मा और तलविंदर बिल्ला, पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य हर्ष खन्ना, सिविल मंडल के प्रधान श्याम सुंदर, कश्मीर रोड मंडल के प्रधान सुशील शर्मा और रणजीत एवेन्यू मंडल के प्रधान अमनदीप चंदी, छेहरटा मंडल के प्रधान मंजीत सिंह मिंटा सहित उनकी पूरी टीम ने इस्तीफे दे दिए थे और तब यह जोशी के कुनबे में शामिल हो गए थे। इन रुठों को जोशी द्वारा मंच देने का भी पार्टी में विरोध हुआ था।

आज दरबार साहिब-दुर्ग्याणा तीर्थ में होंगे नतमस्तक

अनिल जोशी मंगलवार को श्री दरबार साहिब और श्री दुर्ग्याणा तीर्थ में नतमस्तक होकर अपने अगले अभियान में जुटेंगे। उन्होंने बताया कि पंजाब की सेवा के लिए उन्होंने जो कदम उठाया है, उसे लेकर परमात्मा के चरणों में अरदास करेंगे कि वह उन्हें ताकत दे, ताकि वह लोगों की आवाज बलुंद करते रहे। पूरे पंजाब से कार्यकर्ताओं के उन्हें फोन आ रहे है और किसान जत्थेबंदियों भी उन्हें संपर्क कर रही है।

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