Lok Sabha Election 2024: पंजाब की इस सीट से पूर्व सीएम चन्नी हो सकते हैं उम्मीदवार, बस घोषणा का इंतजार
पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट से कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को उतार सकती है। वहीं इसी सीट से पूर्व सांसद चौधरी संतोख सिंह की पत्नी और बेटे विक्रमजीत सिंह भी जोर लगा रहे हैं। स्थानीय नेताओं की अगर मानें तो उनके मुताबिक इस सीट से चन्नी का नाम लगभग फाइनल हो गया है। बस घोषणा होने का इंतजार है। जानें सीट का इतिहास।
दिनेश कुमार, जालंधर। कांग्रेस में जालंधर लोकसभा सीट (Jalandhar Lok Sabha Seat) से उम्मीदवार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अपने गढ़ को फिर से प्राप्त करने के लिए इस बार कांग्रेस घेराबंदी में लगी हुई है। इस सीट से टिकट के लिए पूर्व सांसद स्व. चौधरी संतोख सिंह (Santokh Singh Chaudhary) की पत्नी कर्मजीत कौर और बेटे विक्रमजीत सिंह चौधरी ने पूरा जोर लगा रखा है।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ( Charanjit Singh Channi) को इस बार जालंधर के चुनावी दंगल में उतारने की चर्चा चल रही है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के अनुसार जालंधर से चन्नी का नाम लगभग फाइनल है। केवल हाईकमान की ओर से घोषणा का इंतजार है। चन्नी अगर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर जालंधर से मैदान में आते हैं तो मुकाबला कड़ा और रोचक हो जाएगा।
जालंधर लोकसभा सीट पर जो जातीय समीकरण हैं, उसे देखते हुए कांग्रेसियों (Punjab Congress) को चन्नी से ही उम्मीद है। हालांकि, कांग्रेस को कुछ वरिष्ठ नेताओं की बगावत का डर भी सता रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी कांग्रेस में बड़ा चेहरा हैं। जालंधर लोकसभा सीट के तहत आने वाले विधानसभा हलकों में डेरों की भूमिका अहम रहती है।
माना जाता है कि चन्नी की डेरों में अच्छी पैठ है। अगर कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील कुमार रिंकू का मुकाबला करना है तो डेरों का साथ बहुत जरूरी हो जाता है। वैसे भी इस लोकसभा क्षेत्र में जो जातीय समीकरण हैं, वह भी चन्नी के पक्ष में जा सकते हैं।
रविदासिया समाज जालंधर लोकसभा सीट के परिणाम में बड़ी भूमिका निभाता है। चन्नी और रिंकू दोनों रविदासिया समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। जालंधर का बल्लां स्थित डेरा सचखंड रविदास बिरादरी का महत्वपूर्ण स्थान है। कुछ दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी डेरे में संत निरंजन दास से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे।
20 में से 15 बार कांग्रेस की झोली में गई है सीट जालंधर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए नाक का सवाल भी है। 2023 के उपचुनाव में कांग्रेस ने 24 वर्ष बाद यह सीट हारी है। इससे पहले भी 1952 से 2023 तक हुए 20 चुनावों में से 15 बार यहां से कांग्रेस उम्मीदवारों ने ही जीत दर्ज की है।
सरवण सिंह यहां से लगातार चार बार कांग्रेस के सांसद रहे थे। दो-दो बार शिअद और जनता दल ने यहां बाजी मारी थी, जबकि उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है। अब इस सीट पर चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए नाक का सवाल है।
उपचुनाव में नौ विस हलकों में पिछड़ गई थी कांग्रेस चौधरी संतोख सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ने सहानुभूति के वोट के लिए उनकी पत्नी कर्मजीत कौर को उपचुनाव में उतारा था, लेकिन कांग्रेस का दांव काम नहीं आया।
उपचुनाव में कांग्रेस सभी नौ विधानसभा हलकों में पिछड़ गई थी। आप उम्मीदवार सुशील रिंकू ने कर्मजीत कौर को 58 हजार से अधिक मतों के अंतर से हरा कांग्रेस से सीट छीन ली थी।दांव पर लगेगी चन्नी की साख जालंधर में कांग्रेस के सामने अपने गढ़ जालंधर सीट को बचाने की चुनौती है। अगर जालंधर से चन्नी चुनावी रण में कूदते हैं तो उनकी साख भी दांव पर लगेगी। उन्हें भी जीत दर्ज करना बहुत जरूरी हो जाएगा।
2022 के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में चन्नी ने चमकौर साहिब और बरनाला के भदौड़ से चुनाव लड़ा था। वह दोनों सीट से चुनाव हार गए थे। भदौड़ से चन्नी को आप प्रत्याशी लाभ सिंह उगोके ने 37,558 मतों के बड़े अंतर से हराया था। वहीं, चमकौर साहिब से भी आप ने चन्नी को 7,942 मतों से मात दी थी।
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