इस अभ्यास से एयरफोर्स को ऑपरेशनल सपोर्ट देने वाले गरुड़ कमांडो ने दिखाया कि पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद अपने आपको मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक और घातक प्रहार करने के लिए वे तैयार हैं। गरुड़ कमांडो को चांदीपुर स्थित रेजीमेंटल ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण देकर तैयार किया जाता है। गरुड़ कमांडो पैराशूट के जरिए छलांग लगाकर जमीन पर उतर सकते हैं, पानी में तैर सकते हैं और दुश्मन के इलाके में जाकर उनका संचार व्यवस्था एवं रक्षा संस्थानों एवं इमारतों को तबाह कर सकते हैं।
आदमपुर एयरफाेर्स स्टेशन पर हुए अभ्यास में गरुड़ कमाडो के जवानों ने हवा से धरती पर ऐसी छलांग लगाई कि देखने वाले दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो गए। उन्होंने हेलीकाप्टर और विमानों से रस्सी के सहारे उतरकर दिखाया कि वे पलक झपकते कैसे दुश्मन के ठिकाने में घुस कर उसे नेस्तानाबूत कर सकते हैं। पूरा अभ्यास बेहद रोमांचकारी और रोंगटे खड़े कर देने वाला था।
यह भी पढ़ें: अब थरथराएगा पाक, यहां से वायुसेना के सीधे निशाने पर, ये खास फाइटर तैनातगरुड़ कमांडो 614 फ्लाइट के प्रभारी विंग कमांडर जगविंदर पाल ने बताया कि गरुड़ कमांडो एक साथ प्रहार करते हैं तो दुश्मन को संभलने का मौका तक नहीं मिलता। गरुड़ कमांडो के पास इजरायल निर्मित ग्रेनेड लॉन्चर, सेमी स्नाइपर राइफल और एलएमजी जैसे घातक हथियार होते हैं। गरुड़ कमांडो दुश्मन के इलाके में जाकर तबाही मचाने में महारत रखते हैं।
उन्होंने बताया कि गरुड़ कमांडो दुश्मन के इलाके में निर्धारित लक्ष्य पर यह लेजर किरणें फेंकते हैं, जिन से संकेत पाकर लड़ाकू विमान निर्धारित लक्ष्य पर लेजर गाइडेड बम गिरा कर उन्हें तबाह कर देते हैं। एयरफोर्स के पास रूस निर्मित पिचौरा मिसाइल सिस्टम भी है, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों अथवा किसी भी अकाशीय हमले को नाकाम कर सकता हैं।
वायु सेना ने किया मारक क्षमता का बखूबी प्रदर्शन
एयर फोर्स डे पर आदमपुर एयर फोर्स बेस पर भारतीय वायु सेना की तरफ से अपनी मारक क्षमताओं का बखूबी प्रदर्शन किया गया। माइक्रोलाइट विमान से लेकर मिग 29, जगुआर ट्रांसपोर्ट एएन-32 आईएल 76, हेलीकॉप्टर एमआई 17 उड़ाए गए और पायलटों ने अपनी फ्लाइंग प्रतिभाओं का बखूबी प्रदर्शन किया।
इस मौके पर एएन-32 विमान की तरफ से असाल्ट लैंडिंग की गई। जगुआर विमानों ने फॉरमेशन फ्लाइंग की और टच एंड गो एक्सरसाइज की। इस मौके पर गरुड़ कमांडो हेलीकॉप्टर से रस्सी के सहारे जमीन पर कूदे और उन्होंने दुश्मन पर हमला करने की कार्रवाई का भी प्रदर्शन किया।
ग्रुप कैप्टन बृजेश पाल ने खुद माइक्रोलाइट विमान उड़ाया। हालांकि वह मिग 29 विमान के कुशल पायलट है 2 मिग 29 स्कवाड्रनों का नेतृत्व कर चुके हैं। वायुसेना के अनुभवी पायलटों ने नाइट फ्लाइंग में भी अपने जौहर दिखाए।