गुप्त नवरात्र में उपासक छिपे तौर पर करते हैं मां की आराधना, दूर होते हैं नवग्रहों के अशुभ प्रभाव
श्री मुक्तसर साहिब के पं. पूरन चंद्र जोशी ने कहा कि गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की आराधना होती है। मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधिविधान से पूजा होती है। उपासक गुप्त तरीके से मां दुर्गा की उपासना करते हैं।
By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Mon, 27 Jun 2022 03:40 PM (IST)
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब। गुप्त-नवरात्र 30 जून (वीरवार) से प्रारंभ हो रहे हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रों के अलावा दो गुप्त नवरात्र भी होते हैं। एक गुप्त नवरात्र माघशीर्ष और दूसरा अषाढ़ के महीने में आता है। इस समय अषाढ़ चल रहा है और साल की पहली गुप्त नवरात्र इसी माह में शुरू होगा। इसमें मां दुर्गा के उपासक गुप्त तरीके से उपासना करते हैं। अषाढ़ में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र की शुरुआत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है। इसके पूजन से नवग्रहों के अशुभ प्रभाव से शांति मिलती है।
गांधी नगर में प्रवचन के दौरान पं. पूरन चंद्र जोशी ने कहा कि गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की आराधना होती है। मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधिविधान से पूजा होती है। जिसमें मां कालिका, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा की जाती है।इस तरह करें पूजा
- साधक को प्रात: जल्दी उठकर स्नान-ध्यान कर लेना चाहिए।
- देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी आदि पहनाकर रखना चाहिए।
- सुबह-शाम मां दुर्गा की पूजा करें और उन्हें लौंग और बताशे का भोग लगाएं।
- मां को शृंगार का सामान जरूर अर्पित करें।
- सुबह और शाम दोनों समय पर दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें।
- मंगल कलश में गंगाजल, सिक्का आदि डालकर उसे शुभ मुहूर्त में आम्रपल्लव और श्रीफल रखकर स्थापित करें।
- फल-फूल आदि को अर्पित करके देवी की विधि-विधान से प्रतिदिन पूजा करें।
- गुप्त नवरात्र के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के पश्चात देवी दुर्गा की आरती गाएं।
- पूजा की समाप्ति के बाद कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन करें।
नवरात्र में मां दुर्गा को इन चीजों का लगाएं भोग
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- प्रतिपदा- रोगमुक्त रहने के लिए प्रतिपदा तिथि के दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं।
- द्वितीया लंबी उम्र के लिए, द्वितीया तिथि को मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं।
- तृतीया- दुख से मुक्ति के लिए तृतीया तिथि पर मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं।
- चतुर्थी में तेज बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए चतुर्थी तिथि पर मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं।
- पंचमी को स्वस्थ शरीर के लिए मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं।
- आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिए षष्ठी तिथि के दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं।
- सप्तमी को संकटों से बचने के लिए सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें।
- अष्टमी को संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए अष्टमी तिथि पर मां महागौरी को नारियल का भोग लगाएं।
- नवमी, सुख समृद्धि के लिए नवमी पर मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं।