Move to Jagran APP

Healthcare In Monsoon: बरसात में मौसमी बीमारियां करती हैं हमला; एक्सपर्ट से जानें डेंगू, चिकनगुनिया और टाइफायड से कैसे बचें

Healthcare In Monsoon बरसात में फ्लू सर्दी-जुकाम होना आम है लेकिन इस मौसम में जमा पानी से पनपने वाले एडीज मच्छर डेंगू चिकनगुनिया और टाइफायड बुखार का कारण बन सकते हैं जो जानलेवा भी साबित हो सकता है।

By DeepikaEdited By: Updated: Fri, 17 Jun 2022 12:41 PM (IST)
Hero Image
नमी बढ़ने और प्रदूषित पानी पीने बरसात में बीमारियां होने का बढ़ जाता है खतरा। सांकेतिक चित्र
आनलाइन डेस्क, जालंधरः Healthcare In Monsoon: बरसात का मौसम शुरू हो चुका है। बारिश की रिमझिम फुहारें जहां तपती गर्मी से राहत दे रही हैं वहीं इसके कारण बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। इस मौसम में फ्लू, सर्दी-जुकाम होना आम है लेकिन बरसात में जमा पानी से पनपने वाले एडीज मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और टायफाइड बुखार का कारण बन सकते हैं, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है।

सिविल अस्पताल के डा. भूपिंदर सिंह के मुताबिक, बारिश होने के बाद डेंगू व मलेरिया का खतरा बढ़ जाता है। वहीं इन दिनों दूषित पानी की सप्लाई से डायरिया व टायफाइड जैसी बीमारियां पैर पसारने लगती है। इस दौरान झाड़फूंक की बजाय माहिर डाक्टर की सलाह के अनुसार ही इलाज करवाएं। थोड़ी सी लापरवाही मंहगी पड़ सकती है।

यह भी पढ़ेंः- Mukteshwar Mahadev Temple Punjab: प्रसिद्ध मुक्तेश्वर शिवधाम कहलाता है छोटा हरिद्वार; चार गुफाओं में पांडवों ने द्रोपदी संग यहीं काटा अज्ञातवास

डेंगू (Dengue)- बरसात का मौसम शुरू होते ही डेंगू का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। डेंगू के प्रति थोड़ी सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है। इस बीमारी में तेज सिरदर्द, उल्टी, मांसपेशियों व शरीर में दर्द और चिड़चिड़ापन महसूस होता है। ऐसे में सावधानी बरतने की बहुत ही आवश्यकता होती है।

टायफाइड (Typhoid)- मौसम में बदलाव के कारण टायफाइड होना आम है। यह बुखार एक व्यक्ति से दूसरे तक भी पहुंच सकता है। ऐसे में छोटी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। टायफाइड में तेज बुखार होता है, जिससे शरीर कांपने लगता है। बुखार के अलावा  पेट दर्द, भूख न लगना, सिर में दर्द जैसी समस्याएं होने लगती है। 

चिकनगुनिया (Chikungunya)- मानसून के मौसम में चिकनगुनिया होने का खतरा भी होता है। चिकनगुनिया होने पर अचानक बुखार, हड्डियों व मांसपेशियों में दर्द, सरदर्द, थकान, रैशेस जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अगर समय पर इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो खतरा बढ़ सकता है।

हैजा (Cholera)- हैजा एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज न होने जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। यह बीमारी दूषित भोजन और पानी से फैलती है। इस संक्रामक की वजह से दस्त की समस्या हो जाती है। हैजा संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा वहां हैं जहां साफ-सफाई पर बिल्कुल ध्यान न दिया जाता हो।

स्किन रोग (Skin Diseases)- मौसम में बदलाव से त्वचा से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती है। स्किन शरीर की ऊपरी और सबसे नाजुक परतों में से एक है, जो हमारी खूबसूरती में चार चांद लगाती है। अगर त्वचा खराब हो तो चेहरा बेदाग नजर आता है। ऐसे मौसम में एक्ने या मुंहासे, फंगल इंफेक्शन, पसीने के कारण रैशेज और खुजली होना आम बात है, इसलिए स्किन की देखभाल करना बेहद जरूरी है।

सावधानियां

  • साफ सुथरा व फ्रेश भोजन ले।
  • पानी उबाल कर पीएं।
  • कूलर, गमलों व फ्रिजो की ट्रेयों में जमा पानी को सप्ताह में एक बार जरूर अच्छी तरह साफ करें। 
  • छतों पर रखी पानी की टंकियों के ढक्कनों को अच्छी तरह बंद करो।
  • टूटे बर्तनों, ड्रमों व टायरों आदि को खुले में न रखें।
  • घरों के आसपास पानी न खड़ा होने दें या खड़े पानी में सप्ताह में एक बार जला काला तेल डाल दें।
  • मच्छरों से बचने के लिए ऐसे कपड़े पहनें जिनसे शरीर पूरी तरह ढंका रहे।
  • घरों व दफ्तरों में मच्छर भगाओ क्रीम/तेल आदि का इस्तेमाल करें।
  • सोने के समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • बुखार में पैरासीटामोल टेबलेट का इस्तेमाल करें।
  • बुखार में एसपीरिन या ब्रूफिन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।