Cheetah Returns: शेर, चीता, बाघ और तेदुएं को पहचानने में चूक जाते हैं? यह खबर पढ़ लें, कभी नहीं होगी ऐसी भूल
Welcome Cheetah आम लोग अक्सर तेंदुआ बाघ को शेर बोल देते हैं। अब जबकि भारत में चीता का पुनर्वास किया जा रहा है। लोग उसे भी टाइगर/शेर लिख और बोल रहें है। ये चारों पशु अलग-अलग हैं। जरा सी जानकारी से इनमें अंतर करना भी आसान है।
आनलाइन डेस्क, पंकज द्विवेदी। भारत में चीता को वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। आज 70 वर्ष बाद एक बार देश में चीता पुनर्वास प्रक्रिया शुरू की जा रही है। पीएम मोदी नामीबिया से आए 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में रिलीज करेंगे।
यह खबर देश भर में सुर्खियों में है। हालांकि इस बीच कोई इन्हें टाइगर लिख/बता रहा है तो कोई शेर। यह आम गफलत है। आम लोग अक्सर तेंदुए (Leopard) को चीता (Cheetah) या शेर (Lion) बोल देते हैं। कई बार चीता, बाघ (Tiger) और तेंदुआ, सबको शेर ही कह दिया जाता है जबकि ये चारों पशु अलग-अलग हैं।
आज हम आपको बताएंगे कि इन सभी अलग-अलग पशुओं को किस प्रकार आसानी से पहचान जा सकता है ताकि आप कभी हंसी के पात्र न बनें और लोग भी आपके सूक्ष्म ज्ञान का लोहा मानें। सबसे ज्यादा मुश्किल चीता और तेंदुए के बीच अंतर करने में होती है। तो आइए, सबसे पहले बात करते हैं इन्हीं दोनों में अंतर की।
चीता और तेंदुए को उसके धब्बों से पहचानें
चीते और तेंदुए को उसके धब्बों से पहचानना बहुत आसान है। बस एक बार समझने की बात है। चीते की खाल पर जो काले धब्बे या स्पाट होते हैं, वे एक सिंगल डाट के पैटर्न में होते हैं। एक बार में एक काला धब्बा। वहीं, तेंदुए की खाल का एक स्पाट गुच्छा जैसा होता है। बड़े धब्बे में 3-4 छोटे स्पाट होते हैं। आम बोलचाल की भाषा में कहें तो तेंदुएं की खाल पर 'ब्लाक प्रिंटिंग' जैसा लुक होता है। अगर आप इस बात को ध्यान में रखेंगे तो कभी चीता और तेंदुए में अंतर करनें चूक नहीं होगी।
चीता की पहचान के लिए टेनिस बाल ट्रिक
इसे लेमैन टिप्स ही कहेंगे पर इसकी मदद से चीता को पहचाने में कभी चूक नहीं होगी। चीता के मुंह पर होंठों के दोनों कोनों से शुरू होकर नाक के पास से होते हुए आंखों तक काले रंग की पट्टी गुजरती है। इससे उसके चेहरे पर अंग्रेजी के U अक्षर सा आकार बनता है। ऐसा ही आकार टेनिस बाल पर देखने को मिलता है। टेनिस बाल को ध्यान में रखेंगे तो चीता का चेहरा देखते ही पहचान जाएंगे और उसे कभी तेंदुआ या शेर नहीं कहेंगे।
बाघ (Tiger) राष्ट्रीय पशु, शेर (Lion) केवल गुजरात में
बाघ और शेर में अंतर करना बहुत आसान है। बस बात इतनी सी है कि अकसर लोग बाघ को भी शेर कह देते हैं जबकि ये दोनों पशु अलग-अलग हैं। बाघ यानी टाइगर लगभग पूरे देश में पाएं जाते हैं। इनकी संख्या भी तीन हजार के करीब है। वहीं शेर केवल गुजरात के गिर के जंगलों में मिलते हैं। इसके अलावा ये भारत में कहीं नहीं पाए जाते हैं। उत्तर भारत के जंगली क्षेत्रों में अगर कोई शेर या चीता कहे तो समझें कि वह तेंदुए की बात कह रहा है क्योंकि शेर तो वहां पाए ही नहीं जाते हैं और चीता तो विलुप्त हो गए थे।
देखने में बाघ का शरीर बड़ा होता है और उसकी पीली खाल पर काले रंग की मोटी धारियां होती हैं। वहीं, वयस्क नर शेर को तो हर कोई उसकी अयाल (गर्दन के आसपास के गहरे काले रंग के बाल) के कारण पहचान लेता है। अन्य नर या मादा किसी की खाल पर कोई स्पाट या धारी नहीं होती है। केवल शेर के शावकों के शरीर पर धारियां होती हैं, जो समय के साथ लुप्त हो जाती हैं।
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