Move to Jagran APP

1965 Indo-Pak War में पाकिस्तान के 79 टैंक नष्ट कर तोड़ा था घमंड, पढ़ें- फिलोरा विजय की कहानी

कर्नल वीएस घुमान ने बताया कि युद्ध के दौरान फिलोरा पर कब्जा करने का रास्ता साफ करने के बाद रेजिमेंट ने दुश्मन के आवागमन को बंद कर दिया जिससे पाकिस्तानियों में दहशत फैल गई। इसके बाद भारतीय पैदल सेना ब्रिगेड द्वारा आसानी से फिलोरा पर कब्जा कर लिया गया।

By Vinay KumarEdited By: Updated: Sat, 11 Sep 2021 08:09 AM (IST)
Hero Image
फोर्थ हार्स भारतीय सेना की सबसे प्रसिद्ध रेजिमेंट्स।
जागरण संवाददाता, पठानकोट: फोर्थ हार्स भारतीय सेना की सबसे प्रसिद्ध रेजिमेंट्स में से एक है। 56 साल पहले भारत-पाक युद्ध में फिलोरा की लड़ाई में शहीद हुए शहीदों को 11 सितंबर यूनिट द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। फोर्थ हार्स के कमांडेंट कर्नल वीएस घुमान ने बताया कि सितंबर 1965 के दौरान, उपमहाद्वीप के दो नवगठित देश सन 1947 में अपनी स्थापना के बाद 18 वर्षों में दूसरी बार युद्ध लड़े।

फिलोरा की ऐतिहासिक लड़ाई में सियालकोट सेक्टर में भारतीय-1 आर्मड डिवीजन के अंदर फोर्थ हार्स एक कुशल टैंक रेजिमेंट थी, जिसने दुश्मन के पैंटन टैंकों से बिना डरे पाकिस्तानी आर्मड फार्मेशन के 79 टैंकों और 17 आरसीएल बंदूकों को नष्ट किया था।

कर्नल वीएस घुमान ने बताया कि युद्ध के दौरान फिलोरा पर कब्जा करने का रास्ता साफ करने के बाद रेजिमेंट ने दुश्मन के आवागमन को बंद कर दिया, जिससे पाकिस्तानियों में दहशत फैल गई। इसके बाद भारतीय पैदल सेना ब्रिगेड द्वारा आसानी से फिलोरा पर कब्जा कर लिया गया। हालांकि लड़ाई में बड़ी संख्या में घायलों के अलावा रेजिमेंट ने कई जवानों और अपने दो बेहतरीन अधिकारियों को खो दिया। इसके अलावा रेजिमेंट ने कई व्यक्तिगत विशिष्टताएं अर्जित की, जिनमें दो महावीर चक्र, दो विशिष्ट सेवा पदक, छह सेना पदक,15 उल्लेखित प्रेषण और वीरता के लिए कई प्रशंसा पत्र सम्मिलित हैं।

यह भी पढ़ें-   Accident in Jalandhar : डीएवी कालेज के पास ट्रक की टक्कर से ब्यूटीशियन की दर्दनाक मौत, कुछ दिन बाद जाना था पति के पास कनाडा

उन्होंने बताया कि फिलोरा की लड़ाई जो कि 11 सितंबर 1965 को लड़ी गई थी, यह लड़ाई रेजिमेंट के इतिहास में गर्व का स्थान रखती है, क्योंकि यह पहली बार था जब फोर्थ हार्स पूरे भारतीय अधिकारियों के अधीन पूरी तरह भारतीय यूनिट के रूप में युद्ध में उतरे तथा स्वतंत्र भारत के सम्मान के लिए लड़ रहे थे। 1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान, फोर्थ हार्स ने एक बार फिर से सियालकोट सेक्टर से आगे बढ़कर ठाकुरवाड़ी, चक्र और दरमियान, घमरोला की लड़ाई में 32 पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट कर दिया और बसंतर नदी के पार अपनी वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तान के पश्चिमी सेक्टर की और आगे बढ़ी। सन् 1857 में रेजिमेंट की स्थापना के समय से रेजिमेंट के पास वीरता, प्रतिकूल परिस्थितियों में दृढ़ता और युद्ध में हुए जनहानि को सहने की क्षमता रखता है और अभी भी एक लड़ाकू यूनिट की तरह कार्य करता है। इन क्षमताओं ने यह पूरे विश्व में 23 युद्ध सम्मान जिताए हैं।

यह भी पढ़ें-  Jalandhar Weather Update : जालंधर में सुबह-सुबह हल्की बारिश से मौसम हुआ सुहावना, लोगों को गर्मी से मिली राहत

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।