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Sanskarshala: इंटरनेट पर सूचना दोधारी तलवार की तरह, सूझबूझ और अनुशासन से करें इस्तेमाल

एक और इंटरनेट मीडिया ने हमारे संवाद को लोकतांत्रिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दूसरी तरफ इसका प्रयोग असहमति व रचनात्मक आलोचना की आवाजों को दबाने के लिए भी किया जा रहा है। हमें इंटरनेट मीडिया का उपयोग जिम्मेदारी सूझबूझ और अनुशासन से करना चाहिए।

By DeepikaEdited By: Updated: Thu, 22 Sep 2022 02:41 PM (IST)
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इंटरनेट मीडिया पर बहस के संस्कार। (जागरण)
जागरण संवाददाता, जालंधर। आज के समय में इंटरनेट मीडिया आंतरिक सुरक्षा को लेकर बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। इंटरनेट मीडिया पर मिलने वाली सूचना दोधारी तलवार की तरह होती है। इसका पहला उपयोग भ्रम, कट्टरता फैलाने में किया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ रचनात्मक कार्यों में लाभ के रूप में लिया जा सकता है।

एक और इंटरनेट मीडिया ने हमारे संवाद को लोकतांत्रिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दूसरी तरफ इसका प्रयोग असहमति व रचनात्मक आलोचना की आवाजों को दबाने के लिए भी किया जा रहा है। हमें इंटरनेट मीडिया का उपयोग जिम्मेदारी, सूझबूझ और अनुशासन से करना चाहिए। इंटरनेट मीडिया बहस का एक मंच बन गया है। इस पर संवैधानिक, असंवैधानिक, सामाजिक व धार्मिक मुद्दों पर लगातार बहस की जाती है।

इस बहस में हमें अनुशासित व मर्यादित रहना अति आवश्यक है, क्योंकि हमारा संवाद किसी की भी भावना को चोट पहुंचा सकता है। बहस के समय सभी सदस्यों को मर्यादा में रहते हुए एक स्वस्थ वातावरण में अपनी-अपनी बात कहने का अधिकार है, परंतु जब भाषा अमर्यादित हो जाए तो यह धर्म, समाज व देश और विशेषकर युवाओं के लिए नुकसान का कारण बन जाता है।-सरला मिश्र, प्रिंसिपल, बीएसएफ सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जालंधर।

आज डिजिटल का दौर है। हम इंटरनेट मीडिया से दूर नहीं हो सकते। ध्यान रखने वाली बात ये है कि हमें इसका कितना इस्तेमाल करना है? क्या उचित है और क्या अनुचित है। हमारे हाथों में 24 घंटे मोबाइल रहता है। उसमें चाहे हम खबरें, मैच, नाटक, फिल्में या फिर विद्यार्थी अपना कक्षा कार्य व गृह कार्य क्यों न देखें। यह ऐसा दौर है, जिसमें मोबाइल फोन हमारे साथ न हो तो कार्य करना मुश्किल लगने लगता है।

कोविड के दौर में दो साल तक स्कूलों की हर गतिविधि आनलाइन हुई है। इसकी आदत छात्रों को लग चुकी है। इससे दूर तो नहीं हुआ जा सकता है, मगर जब हालात समान्य हो चुके हैं तो इस पर ध्यान देना होगा कि इंटरनेट मीडिया पर मिलने वाली जानकारियां कितनी सही हैं या गलत। यही आज के समय में बहस का विषय बनी हुई है।

इसके लिए सबसे अहम है कि हमें व्यवहार और बातचीत को भी मर्यादित ढंग से प्रस्तुत करना होगा। प्रत्येक को इसके प्रति जागरूक होना होगा। इसमें भी खासकर विद्यार्थी वर्ग को। अपनी शब्दावली को मर्यादित नहीं किया तो इसका नुकसान व्यक्ति, समाज और देश को हो सकता है। सरकार ने इंटरनेट मीडिया को लेकर नई हिदायतें जारी कर दी हैं। उनका पालन करें। -हरलीन मोहंती, प्रिंसिपल, कैंब्रिज इंटरनेशनल कोएड स्कूल छोटी बारादरी।

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