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जालंधर में विवाद के बाद महंत यमुना दास को सौंपी प्राचीन हनुमान मंदिर की गद्दी, संत समाज की उपस्थिति में हुई महंताई

प्राचीन हनुमान मंदिर टांडा रोड के कई दिन से चले आ रहे विवाद के बाद महंत यमुना दास चित्रकुट वाले को मंदिर की गद्दी सौंप दी गई। देशभर से पहुंचे संत समाज की उपस्थिति में उनकी महंताई भी विधिवत करवाई गई।

By Vikas_KumarEdited By: Updated: Fri, 25 Jun 2021 12:24 PM (IST)
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महंत यमुना दास चित्रकुट वाले को प्राचीन हनुमान मंदिर की गद्दी सौंप दी गई।
जागरण संवाददाता, जालंधर। प्राचीन हनुमान मंदिर टांडा रोड के कई दिन से चले आ रहे विवाद के बाद महंत यमुना दास चित्रकुट वाले को मंदिर की गद्दी सौंप दी गई। देशभर से पहुंचे संत समाज की उपस्थिति में उनकी महंताई भी विधिवत करवाई गई। महंत यमुना दास इससे पहले मंदिर प्रांगण में रोजाना श्रीराम कथा का उच्चारण कर रहे थे।

मंदिर के पहले गद्दीनशीन रघुनाथ दास के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्हें गद्दी पर विराजित किया गया है। इसके साथ गोबिंद दास को कोठारी (मंदिर में आरती पूजा करने वाले) व अवध बिहारी दास को उत्तराधिकारी घोषित किया गया। इस संबंध में आयोजित समारोह में पूर्व विधायक मनोरंजन कालिया व श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के महासचिव राजेश विज व हिंदू नेता संजीव शर्मा, सुनील दत्ता व रवि शर्मा सहित कई गणमान्य शामिल हुए।

महामंडलेश्वर 1008 महंग गंगा दास व महामंडलेश्वर महंत केशव दास ने संत समाज के सदस्यों के साथ मिलकर महंत यमुना दास को गद्दीनशीन की मर्यादा व नियमों से अवगत करवाया। रघुनाथ दास की तरफ से किए गए कार्यों की भी चर्चा की गई। केशव दास ने कहा कि उनकी कमी को कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता। भक्तों की आस्था को सदैव बरकरार रखा जाएगा।

यह है विवाद

प्राचीन मंदिर को मंदिर बने रहने व आश्रम बनाने को लेकर कई दिन से विवाद चल रहा था। मामले को लेकर पुलिस को भी मंदिर के बाहर तैनात किया गया था। वीरवार को गद्दी सौंपते समय दूसरे पक्ष से किसी भी व्यक्ति ने विरोध नहीं जताया।

देशभर से पहुंचे महंत व संत समाज

इस मौके पर वैष्णव विरक्त मंंडल के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमहंत रमेश दास दतारपुर वाले, उपाध्यक्ष महंत गंगा दास, सचिव महंत भगवान दास, महंत बंसी दास, महंत किशन दास धारीवाल, महंत जानकी दास धारिवाल, महंत पवन दास, महंत राज किशोर, महंत सिया शरण दास, महंत रामदास, महंत पवन दास गोराया, महंत तुलसी दास हिमाचल वाले, महंत नारायण दास, स्वामी शांतानंद, अतुल कृष्ण शास्त्री, महंत स्वामी निरंजनानंद सहित संत समाज के सदस्य मौजूद थे।

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