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जालंधर का रैनक बाजार कहलाता है कपड़ों का भंडार, NRI भी यहीं से खरीदकर ले जाते हैं विदेश

जालंधर के मशहूर बाजारों में शुमार है रैनक बाजार। बड़ी संख्या में रेडीमेड गार्रमेंट्स की दुकानें होने के कारण इसे कपड़ों और परिधानों का भंडार कहा जाता है। यहां शहर के साथ-साथ आसपास के जिलों यहां तक कि एनआरआई भी खरीदारी करने पहुंचते हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Thu, 31 Dec 2020 02:56 PM (IST)
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जालंधर का रैनक बाजार कपड़ों की खरीदारी के लिए प्रसिद्ध है। (जागरण)

जालंधर [प्रियंका सिंह]। जालंधर दुनिया भर में बाजारों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। खासतौर पर यहां से विभिन्न प्रकार के कपड़े और परिधान खरीदने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। शहर के मशहूर बाजारों में शुमार है रैनक बाजार। बड़ी संख्या में रेडीमेड गार्रमेंट्स की दुकानें होने के कारण इसे कपड़ों और परिधानों का भंडार कहा जाता है। यहां शहर के साथ-साथ आसपास के जिलों, यहां तक कि एनआरआई भी खरीदारी करने पहुंचते हैं। रेलवे स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित रैनक बाजार खरीदारी के लिए लोगों की पहली पसंद है। अगर आप कभी जालंधर आएं तो रैनक बजार से खरीदारी करना ना भूलें।

शादी की शापिंग से जूते-चप्पल तक उपलब्ध

चाहे शादी की शॉपिंग करनी हो या फिर गहने खरीदने हों। जूते चप्पलों से लेकर छोटे-मोटे सामान की खरीदारी के लिए लोग रैनक बाजार ही जाना पसंद करते हैं। शहर के ज्यादातर लोग मॉल या शोरूम में शॉपिंग करने के बजाय रैनक बाजार में खरीदारी करने जाते हैं। केवल शहर के लोग ही नहीं बल्कि देश-विदेश और अन्य राज्यों से भी छोटे या बड़े व्यापारी यहां पहुंचते हैं। बाजार में कई दुकानदार होलसेल का काम करते हैं। यहां से विवाह से जुड़े सभी तरह के परिधान, जूते चप्पल, खाने की वस्तुएं, ज्वेलरी और पूजा-पाठ से संबंधित हर चीज कम दाम में आसानी से मिल जाती है। खास बात यह है कि लोगों को रैनक बाजार में खरीदारी के लिए ज्यादा घूमने की जरूरत नहीं पड़ती। छोटे से बाजार में ही हर ब्रांड की चीजें आसानी से मिल जाती हैं।

हर वक्त रहती है रौनक

रैनक बाजार हर वक्त लोगों से भरा रहता है। सुबह से लेकर देर रात तक यहां पर खरीदारों की चहल-पहल रहती है। दुकानदार भी कारिंदे बाहर खड़े करके आवाज लगवा ग्राहकों को दुकान में बुलवाते हैं।

आजादी से पहले का है रैनक बाजार

रैनक बाजार विभाजन से पहले का बना हुआ है। डेढ़ सौ साल पहले इस बाजार में केवल कुछ ही गिनी चुनी दुकानें होती थी। इसमें भी ज्यादातर दवाइयों और हलवाई की दुकानें थी। धीरे-धीरे यहां दुकानों की संख्या बढ़ती गई और यह विशाल बाजार बन गया। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले यहां पर छोटी-छोटी दुकानें होती थी। अंग्रेज भी यहीं पर खरीदारी करने आते थे।

पहले थी केवल 14-15 दुकानें 

रैनक बाजार में रेडीमेड कपड़ों की दुकान के मालिक बोधराज बताते हैं कि इस बाजार में पहले केवल 14 से 15 दुकानें ही हुआ करती थी। इसमें से ज्यादातर डॉक्टर और मिट्टी के बर्तन बेचने वालों की थी। अब तो यह विशाल बाजार बन गया है। छोटी-छोटी दुकानों की जगह बड़े-बड़े शोरूम बन गए हैं।

रविवार को सबसे ज्यादा भीड़

वैसे तो रहने दो बाजार में लोगों की भीड़ पूरे हफ्ते देखने को मिलती है। रविवार को कुछ कपड़ों एवं जरूरत की सामानों के ऊपर छूट दी जाती है जिसके लिए लोग बहुत गिनती में खरीदारी के लिए बाजार में आते हैं। भीड़ इतनी होती है कि अगर एक बार बाजार में दाखिल हो जाओ तो निकलने के लिए कम से कम दो-तीन घंटे लग ही जाते हैं।