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कभी नाले के कारण बदनाम था जालंधर का दोआबा चौक, आज रात भर जगमगाता है, जानें इसका दिलचस्प इतिहास

दोआबा चौक के पास से एक गंदा नाला होकर गुजरता था। बदबू होने के कारण लोग यहां से गुजरना भी पसंद नहीं करते थे। प्रशासन की कोशिशों के बाद इस चौक का सुंदरीकरण किया गया और आज यहां लोगों की भीड़ लगी रहती है।

By Vikas_KumarEdited By: Updated: Fri, 04 Dec 2020 10:48 AM (IST)
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दोआबा चौक के आसपास आज कितनी रौनक है, जो पहले नहीं होती थी।
जालंधर, जेएनएन। शहर के सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर में देश व दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोग दर्शन के लिए आते हैं। इस वजह से मंदिर के आसपास के इलाकों में भी काफी रौनक रहती है। मंदिर से लगभग कुछ दूरी पर है दोआबा चौक। यह लगभग डेढ़ सौ साल पुराना है। शहर के लोगों ने इसे टांडा चौक प्रीत नगर चौक व कई अन्य चौक के नाम दिए। लेकिन ज्यादातर लोगों की जुबां पर दोआबा चौक ही है। दोआबा चौक के आसपास आज कितनी रौनक है, जो पहले नहीं होती थी। एक समय में यहां से गंदा नाला बहता था। जिस वजह से बहुत बदबू आती थी। यही कारण था कि यहां से गुजरने में लोग गुरेज करते थे।

दोआबा चौक के पास एक पतली सड़क होती थी, जिसके किनारे एक पुली बनी थी जिसके नीचे से गंदा नाला बहता था। यह सड़क माई हीरां गेट बाजार और रेलवे स्टेशन और पठानकोट बाईपास को भी जाती थी। लेकिन फिर भी लोग इस सड़क का बहुत कम उपयोग करते थे। उनकी परेशानी को दूर करने के लिए प्रशासन द्वारा गंदे नाले को मिट्टी से भरवा कर, पुली को तोड़कर गोलाकार चौक बना दिया गया और आसपास की सड़कें भी बना दी गई। अब यहां आवाजाही के कारण भीड़ लगी रहती है।

दोआबा कॉलेज के नाम से पड़ा इस चौक का नाम

1941 में दोआबा कॉलेज का निर्माण किया गया। उसी के साथ ही 1989 में दोआबा स्कूल मनाया गया। अधिकतर लोगों का कहना है कि इस चौक का नाम दोआबा कॉलेज के नाम से ही पड़ा है। दोआबा कॉलेज बनने के बाद इस चौक का दृश्य पूरी तरह से बदल गया।

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रात भर जगमगाता रहता है यह चौक

दोआबा चौक का रूप बिल्कुल बदल गया है। प्रशासन के द्वारा समय-समय पर इसकी मेंटेनेंस की जा रही है। इसके ऊपर हाई मास्ट लाइटें लगा दी गई हैं। दोआबा चौक रात के अंधेरे में स्ट्रीट लाइटों से जगमगाता रहता है, जोकि देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है। 

लोगों ने कई नाम रखें

दोआबा चौक के पास लगभग 90 साल से किताबों की दुकान कर रहे कुलविंदर सिंह ने बताया कि मैं बचपन से ही इस चौक को देखते आ रहा हूं। लोगों ने इस चौक को कई नाम दिए। किसी ने इसे टांडा चौक कहा तो किसी ने इसका नाम प्रीत नगर चौक रखा। लेकिन लोगों की जुबां पर दोआबा चौक है चढ़ा हुआ है।

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