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जय मां त्रिपुरमालिनी धाम! देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार है जालंधर का देवी तालाब मंदिर, जानें इसकी खूबियां

Jalandhar Devi Talab Mandir जालंधर का देवी तालाब मंदिर देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। मंदिर में एक विशाल पवित्र सरोवर है जिसका नाम देश के 108 सरोवरों में लिया जाता है। इस मंदिर का इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Thu, 03 Dec 2020 04:58 PM (IST)
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कभी जालंधर में 12 सरोवर हुआ करते थे। इन्हीं में से एक था देवी तालाब मंदिर का सरोवर। (जागरण)
जालंधर [प्रियंका सिंह]। जालंधर घूमने आएं तो देवी तालाब मंदिर जरूर जाएं। यह प्राचीन मंदिर आज शहर की पहचान बन चुका है। खास बात यह है कि यह मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है। यहीं पर श्री सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी का धाम है। मंदिर के विशाल पवित्र सरोवर है का नाम देश के प्रसिद्ध 108 सरोवरों में लिया जाता है। इस मंदिर का इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है।

अगर आप ट्रेन से जालंधर आएंगे तो मंदिर के लिए रास्ता ज्यादा दूर नहीं है। सिटी रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर दूर ही स्थित है श्री देवी तालाब मंदिर। माता दुर्गा को समर्पित इस मंदिर के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से आते हैं।

जालंधर के देवी तालाब मंदिर में ही श्री सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी का धाम है। इसे देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है।

इसकी स्थापना एक सेवानिवृत्त सत्र अदालत के न्यायाधीश शमोहन लाल चोपड़ा ने की थी। इसकी आज पाकिस्तान मीडिया में भी चर्चा हो रही है। पाकिस्तानियों में भी जालंधर शहर के धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल को जानने की ललक जाग उठी है। पिछले दिनों पाकिस्तान के एक टीवी चैनल पर जालंधर पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया था। इसमें जालंधर शहर की खूबियां बताई गईं थी। श्री देवी तालाब मंदिर के बारे में विस्तार से बताया गया था।

जालंधर का देवी तालाब मंदिर आज शहर की पहचान बन गया है।

शहर के 12 सरवरों में से एक पर बना है यह मंदिर

जानकारों के मुताबिक कभी शहर में 12 सरोवर हुआ करते थे। इन्हीं में से एक था देवी तालाब मंदिर का सरोवर। धार्मिक एवं पवित्र होने के कारण यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण सरोवर है। श्री देवी तालाब मंदिर की परिक्रमा करते हुए मां त्रिपुरमालिनी का मंदिर आता है। जिसके चरणों में पवित्र सरोवर का निर्माण हुआ है। इसलिए ही इस मंदिर को देवी तालाब का नाम दिया गया है।

48 स्तंभों पर बना है भव्य मंदिर

श्री देवी तालाब मंदिर का निर्माण समय-समय पर होता रहा है। इस मंदिर का निर्माण 48  स्तंभों पर किया गया है, जो कि अपने आप में ही एक खास बात है। मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि लगभग 70 के दशक में तालाब की सीढ़ियों का निर्माण किया गया था, उसके साथ ही मंदिर का भी भव्य निर्माण हुआ था। श्री देवी तालाब मंदिर का इतिहास माता सती जुड़ा है। इसलिए इस मंदिर में मां दुर्गा और माता सती के की मूर्तियां खासतौर पर रखी गईं हैं। इनके अलावा मंदिर में भगवान शिव की एक मूर्ति भी है। इस मंदिर के पास ही मां काली को समर्पित मंदिर भी है। मंदिर की संरचना अमरनाथ की गुफा मंदिर जैसी है। 

श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए विशेष इंतजाम

श्री देवी तालाब मंदिर घूमने के लिए श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से आते हैं। मंदिर में उनके ठहरने के लिए खास तौर पर भवन बनाया गया है, जिसमें दर्शन लिए आए श्रद्धालु शरण लेते हैं।

बाबा हरि वल्लभ में भी ली थी यहां पर शरण 

श्री देवी तालाह मंदिर में बाबा हरि बल्लभ जी ने भी शरण ली थी। तब मंदिर का स्वरूप कुछ और ही था। केवल एक खाली तालाब हुआ करता था, जिसमें बैठकर बाबा हरीवल्लभ ध्रुपद गाते थे। उन्हें सुनने के लिए संत-महात्मा दूर-दूर से आते थे। उन्हीं के याद में हर साल दिसंबर में हरीवल्लभ संगीत महोत्स का आयोजन किया जाता है। जिसमें भाग लेने के लिए शास्त्रीय संगीत कलाकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर से आते हैं।

तालाब के बीच बना है मंदिर 

देवी तालाब मंदिर के पास रह रहे राजीव ने बताया कि वह लगभग 60 साल से यहां पर रह रहे हैं। जब वह छोटे थे तो अपने पिताजी के साथ देवी तालाब मंदिर में हरीवल्लभ संगीत सुनने जाते थे। तब एक सूखा तालाब होता था। बाद में धीरे-धीरे यहां पर मंदिर का निर्माण हुआ।

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