Jalandhar History: राक्षस राजा के नाम पर पड़ा था जालंधर का नाम, कई कथाएं हैं प्रचलित; जानें क्या है खास
पंजाब का एक ऐसा जिला जिसके नाम को लेकर कई ऐतिहासिक कथाएं हैं। पुराने समय में जालंधर साम्राज्य में रावी से लेकर सतलुज तक का पूरा ऊपरी दोआबा शामिल था। बता दें कि वर्तमान में जालंधर जिले का क्षेत्र सिंधु घाटी की सभ्यता का हिस्सा था। आपको ये तो पता ही होगा कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो ऐसे स्थान हैं जहां बड़े पैमाने पर सिंधु घाटी के अवशेष पाए गए हैं।
जागरण डिजिटल डेस्क, जालंधर। History of Jalandhar: जालंधर… पंजाब का एक ऐसा जिला है, जिसके नाम को लेकर कई ऐतिहासिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस जिले का नाम राक्षस राजा जलंधर के नाम पर रखा गया है। इसका उल्लेख तो पुराणों और महाभारत में मिलता है। पुराणों में एक और भी कथा है, जिसमें बताया गया है कि जालंधर राजा श्री राम के पुत्र लव के राज्य की राजधानी थी।
कई ये भी कहते हैं कि इस शहर का नाम एक स्थानीय नाम से लिया गया है, जिसका अर्थ है जल के अंदर का स्थान। यानी की दो नदियां सतलुज और ब्यास के मध्य का स्थान। इसका एक और नाम भी है। वह है त्रिगत, क्योंकि यहां तीन नदियां है सतलुज, ब्यास और रावी।
बड़े पैमाने पर पाए गए सिंधु घाटी के अवशेष
पुराने समय में जालंधर साम्राज्य में रावी से लेकर सतलुज तक का पूरी ऊपरी दोआबा शामिल था। बता दें कि वर्तमान में जालंधर जिले का क्षेत्र सिंधु घाटी की सभ्यता का हिस्सा था। आपको ये तो पता ही होगा कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो ऐसे स्थान हैं, जहां बड़े पैमाने पर सिंधु घाटी के अवशेष पाए गए थे।बड़ा साम्राज्य था जालंधर
हम आपको लिये चलते हैं 7वीं शताब्दी में, जब प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने राजा के शासनकाल के समय यहां का दौरा किया था। यहां राजा यूटिटो (जिसे अलेक्जेंडर कनिंघम राजपूत राजा अतर चंद्र का नाम देते हैं) के अधीन जालंधर या त्रिगर्त (तीन नदियों का मेल जहां होता हो) का साम्राज्य था। इतिहास को देखा जाए तो ये साम्राज्य पूर्व से लेकर पश्चिम तक लगभग 268 किलोमीटर और उत्तर से दक्षिण तक लगभग 213 किलोमीटर तक फैला हुआ था।
हिमाचल का भी कुछ हिस्सा था शामिल
जालंधर जो कि पहले बहुत बड़ा साम्राज्य हुआ करता था, इसमें चंबा, मंडी और सुकेत और सरहिंद (हिमाचल प्रदेश) के पहाड़ी इलाके शामिल थे। कहा जाता है कि यूटिटो राजा हर्षवर्धन के सहायक थे। इन्होंने 12वीं शताब्दी तक देश पर शासन किया। कुछ समय बाद उन्होंने अपने साम्राज्य की राजधानी जालंधर रखी और कांगड़ा को महत्वपूर्ण गढ़ घोषित किया।बड़े पैमाने पर बनाए गए बौद्ध धर्म के मठ
7वीं शताब्दी के बाद भारत में बौद्ध धर्म के बहुत सारे विहार और मठ बन गए थे। सिर्फ जालंधर जिले में ही बौद्ध धर्म के लगभग 50 विहार और मठ बन गए थे। लगातार लोग बौद्ध धर्म को अपना रहे थे।
आपको ये भी बता दें कि दसवीं शताब्दी तक पंजाब शाही साम्राज्य में शामिल था और जालंधर इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण शहर बना।
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