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Sanskarshala: प्रिंसिपल रचना मोंगा ने कहा, इंटरनेट मीडिया की हर जानकारी सही नहीं, हमेशा तथ्य परखें विद्यार्थी

जालंधर के संस्कृति केएमवी स्कूल की प्रिंसिपल रचना मोंगा छात्रों को इंटरनेट मीडिया पर उपलब्ध तमाम जानकारी को लेकर सतर्क किया है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट मीडिया पर उपलब्ध हर जानकारी सही नहीं होती। छात्रों को विवेक का प्रयोग करना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Pankaj DwivediUpdated: Fri, 11 Nov 2022 01:16 PM (IST)
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जालंधर के संस्कृति केएमवी स्कूल की प्रधानाचार्या रचना मोंगा।

आज के डिजिटल दौर में इंटरनेट मीडिया तमाम तरह की जानकारियों से भरा हुआ है। इनमें सही जानकारियों के साथ-साथ गलत जानकारियां भी भरी हुई हैं। इन जानकारियों को समझ और विवेक के साथ जान कर, प्रयोग में लाने की जरूरत है तभी उनका प्रयोग सही हो सकता है। कई जानकारियों, तथ्यों की पुष्टि नहीं होती है। उन्हें दूसरों से साझा करना अपराध की श्रेणी में भी आता है। ऐसे में विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने कौशल व समझ का प्रयोग करते हुए उनकी सच्चाई जानें और इसे परख कर ही साझा करें।

इंटरनेट मीडिया से जानकारी को उठाना और कापी पेस्ट करने की प्रवृति अक्सर विद्यार्थियों के रिसर्च वर्क या प्रोजेक्टों में देखी जाती है। विद्यार्थी जानकारियां तो इंटरनेट मीडिया से उठा लेते हैं, मगर उसकी असलियत से वाकिफ नहीं हो पाते हैं। रिसर्च वर्क या प्रोजेक्ट कार्य देने का उद्देश्य ही विद्यार्थियों में समझ को विकसित करना है। मगर वे मेहनत करने के बजाय महज कापी पेस्ट की प्रवृति में चले जाते हैं। इस वजह से उनकी सारी रिपोर्ट गलत बनकर रह जाती है।

इसके लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि विद्यार्थी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करते समय उनकी अधिक से अधिक जानकारियों को जुटाएं। इंटरनेट मीडिया के साथ-साथ राइटर्स, एक्सपर्ट्स आदि की किताबों व उनके हवाले को भी तलाशें। अगर कोई विशेषज्ञ की तरफ से ऐसी बात की जिक्र किया गया है तो उसका हवाला दे सकते हैं। इससे विद्यार्थियों की रिसर्च रिपोर्ट भी पूरी मानी जाती है, क्योंकि उनमें उनकी रिसर्च खुद ब खुद दिखती है।

इसलिए जहां से भी जानकारियां लें उसका हवाला या जिक्र करने से हिचकिटाएं नहीं बल्कि उनको खुल कर जाहिर करें। स्कूलों में तो निरंतर विद्यार्थियों के लिए समय-समय पर डिजिटल वर्ल्ड में मिलने वाली जानकारियों संबंधी जागरूकता पूर्ण सेमिनार, कार्यशालाओं के साथ-साथ माहिरों से भी रूबरू करवाया जा रहा है। ताकि उनमें तकनीकी जानकारियों की समझ बढ़े और उसका लाभ बेहतरी के लिए उठा सकें। स्कूल के साथ-साथ बच्चों का अधिकतर समय घर पर बीतता है।

अभिभावक बच्चों के लिए भी समय निकालें और उन पर हल्की से नजर भी रखें। उस समय वे ध्यान रखें कि उनकी तरफ से दिए गए इलेक्ट्रानिक उपकरण व डिवाइस बच्चों को किन कारणों व उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए दिए गए थे और वे उसका लाभ उठा भी रहे हैं या नहीं।

- रचना मोंगा, प्रधानाचार्य संस्कृति केएमवी स्कूल

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