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Jalandhar News: केबीसी जूनियर में जपसिमरन ने जीते 50 लाख, आईआईटी करना है सपना

केंद्रीय विद्यालय में आठवीं कक्षा की छात्रा जपसिमरन ने कौन बनेगा करोड़पति सीजन-14 जूनियर से 50 लाख रुपये जीती है। सुरानुस्सी की रहने वाली 14 वर्षीय जपसिमरन के पिता बलजीत सिंह रेलवे में इंजीनियर और मां गुरविंदर कौर सरकारी प्राइमरी स्कूल मुस्तफापुर में शिक्षिका हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Thu, 22 Dec 2022 03:59 PM (IST)
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केबीसी जूनियर में जपसिमरन ने जीते 50 लाख, आईआईटी करना है सपना
जालंधर, जागरण संवाददाता : केंद्रीय विद्यालय में आठवीं कक्षा की छात्रा जपसिमरन ने कौन बनेगा करोड़पति सीजन-14 जूनियर से 50 लाख रुपये जीती है। सुरानुस्सी की रहने वाली 14 वर्षीय जपसिमरन के पिता बलजीत सिंह रेलवे में इंजीनियर और मां गुरविंदर कौर सरकारी प्राइमरी स्कूल मुस्तफापुर में शिक्षिका हैं। जपसिमरन ने कहा कि माता-पिता दोनों ही नौकरीपेशा से जुड़े होने के कारण उसका ज्यादातर समय दादी मनजीत कौर के साथ ही बीता है। 

पढाई के लिए रखेगी राशी

यही कारण है कि वह दादी को ही पहली मां मानती है क्योंकि उन्होंने ही उसे सब कुछ सिखाया। वो पहले रोजाना दादी के साथ गुरुद्वारा साहिब जाती थी। जब से दादी के घुटनों में दर्द रहने लगा तब से उन्हें गुरुद्वारा साहिब तक जाने में दिक्कत आती है। अब दादी केवल गुरुपर्व के दिनों में ही गुरुद्वारा साहिब जा पाती हैं। वह चाहती है कि दादी फिर से उसके साथ गुरुद्वारा साहिब में रोज जाया करे, इसलिए वह जीती हुई राशि से दादी के घुटनों का इलाज करवाएगी। बाकी बची हुई राशि अपनी पढ़ाई के लिए रखेगी।

केवी ने कई वीर जवान दिए, वर्दी अलग अहसास करवाती है

जपसिमरन केबीसी की हाट सीट पर स्कूल की ड्रेस में ही गई। पूछने पर बोलीं-केंद्रीय विद्यालय सूरानुस्सी से कई वीर जवान दिए हैं। इस स्कूल की ड्रेस पहनकर मैं गर्व महसूस करती हूं। जब केबीसी के लिए चुनी गई थी तो उसकी खुशी सभी विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों ने स्कूल में सुबह की प्रार्थना सभा में राष्ट्रीय ध्वज लहराकर मनाई थी।

अंतरिक्ष में जाने की रुचि

जपसिमरन ने कहा कि उसकी स्पेस में जाने की ज्यादा रुचि है। वह आइआइटी एस्ट्रो फिजिक्स की लाइन चुनेगी। बोलीं, मेरी आदर्श कल्पना चावला हैं। उनकी तरह अंतरिक्ष में जाना मेरा सपना है। बेहतर करियर बनाने के लिए अभी से निरंतर रिसर्च कर रही हूं और भविष्य में भी करती रहूंगी।

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