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जालंधर का नूरजहां महल देखने देश-विदेश से आते हैं पर्यटक, लाहौर से दिल्ली जाने वाले इसके मेन गेट से होकर गुजरते थे

पंजाब का जालंधर जिला अपने ऐतिहासिक स्थलों को लेकर बहुत प्रसिद्ध है। यही कारण है कि लाखों हजारों की संख्या में लोग यहां के ऐतिहासिक पर्यटक स्थल घूमने के लिए आते हैं। इन पर्यटक स्थलों में नूरजहां महल भी शामिल है।

By Vikas_KumarEdited By: Updated: Fri, 02 Jul 2021 02:46 PM (IST)
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नूरजहां महल जालंधर शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर है।
जालंधर, [प्रियंका सिंह]। पंजाब का जालंधर जिला अपने ऐतिहासिक स्थलों को लेकर बहुत प्रसिद्ध है। यही कारण है कि लाखों हजारों की संख्या में लोग यहां के ऐतिहासिक पर्यटक स्थल घूमने के लिए आते हैं। इन पर्यटक स्थलों में नूरजहां महल भी शामिल है, जो देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध है। भारी संख्या में देश-विदेश से टूरिस्ट इस सराय को देखने के लिए आते हैं। नूरजहां महल जालंधर से 40 किलोमीटर दूर नूरमहल में है। जब यह महल बना था, तब लाहौर से दिल्ली जाने के लिए इसी महल के मुख्य द्वार से लोग जाया करते थे। सरकार की लापरवाही के कारण महल के कुछ हिस्से खंडहर में तब्दील हो गए हैं।

अपनी बेगम की याद में जहांगीर ने बनवाया था यह महल

जहांगीर ने 1613 में अपनी बेगम नूरजहां के कहने पर इस विशाल महल को बनवाया था। इतिहास के अनुसार नूरजहां का जन्म इस स्थान पर उस दौरान हुआ जब उनके पिता मिर्जा ग्यारा मोहम्मद दिल्ली जा रहे थे। इस खूबसूरत महल के अंदर डाक बंगला, रंगमहल और मस्जिद के साथ अन्य ऐसे कई अद्भुत चीजें हुआ करती थी। लेकिन अब कुछ ही चीजें महल में बची हुई है। कहा जाता है कि नूरजहां को पक्षियों से बेहद लगाव था। इसलिए महल में 48 कोष्ठक और दो बुर्ज बनवाए गए थे जो आज भी मौजूद है। किले के मेन दरवाजे पर पालकी बनी हुई है। इसके साथ ही स्वागत के लिए सुंड उठाए दो हाथी भी बने हुए हैं।

ऐतिहासिक स्थल में चल रहे स्कूल और थाने

नूरजहां सराय में जो कि बेहद खूबसूरत और एक पर्यटक स्थल है। उसमें आज के समय में स्कूल और थाने चलाए जा रहे हैं। सरकार की अनदेखी के कारण इस महल के कुछ हिस्से खंडहर रूप में तब्दील हो चुके हैं। अगर इसी तरह सरकार अपने फर्ज से मुंह फेरती रही तो लोग बहुत जल्द अपने ऐतिहासिक और खूबसूरत स्थल को खो देंगे।

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