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वेस्ट जालंधर को कल मिलेगा नया विधायक, 15 उम्मीदवारों का भाग्य दांव पर; सुबह आठ बजे से होगी मतगणना

जालंधर वेस्ट विधानसभा सीट (Jalandhar West Election Result) पर 10 तारीख को चुनाव हुआ था। इसका रिजल्ट कल यानी 13 तारीख को आएगा। इस सीट से 15 प्रत्याशियों का भाग्य दांव पर लगा है। कल सुबह आठ बजे से वोटिंग शुरू होगी। काउंटिंग को लेकर सभी तैयारियां कर ली गई हैं। इस सीट पर 55 फीसदी से भी कम वोटिंग हुई थी।

By Jagjit Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 12 Jul 2024 09:36 PM (IST)
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Jalandhar West By Election: कल होगा उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला
जागरण संवाददाता, जालंधर। शनिवार को जालंधर वेस्ट विधानसभा क्षेत्र के नए विधायक का फैसला हो जाएगा। मुकाबला कड़ा है, लेकिन इसके बावजूद भी सुबह दस बजे के आसपास पिक्चर साफ हो सकती है।

मतगणना केंद्र लायलपुर खालसा कॉलेज फोर वीमैन है। यहां पर सुबह 8 बजे काउंटिंग शुरू होगी। वेस्ट विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में कांग्रेस की सुरिंदर कौर, आम आदमी पार्टी के मोहिंदर भगत, भाजपा के शीतल अंगुराल, शिरोमणि अकाली दल के चुनाव चिन्ह पर सुरजीत कौर, बसपा के बिंदर लाखा समेत 15 उम्मीदवार हैं।

55 फीसदी से भी कम हुआ मतदान

मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा में है। इस बार मतदान प्रतिशत 55 प्रतिशत से भी कम रहा है। यह 38 दिन पहले हुए संसदीय चुनाव ही नहीं वेस्ट हलके के आज तक की इतिहास में भी सबसे कम वोटिंग है। इस वजह से सभी उम्मीदवार यह गणित नहीं बिठा पा रहे हैं कि नतीजा क्या हो सकता है।

हालांकि, सभी प्रमुख दावेदार अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। यह विधानसभा उपचुनाव शीतल अंगुराल के विधायक पद से इस्तीफ की वजह से हुआ है। 10 जुलाई को मतदान हुआ था।

कांग्रेस ने संसदीय चुनाव में हासिल की लीड

यह चुनाव सभी प्रमुख राजनीतिक दलाें के लिए चुनौती बन कर आए हैं। कांग्रेस ने 38 दिन पहले संसदीय चुनाव में लीड हासिल की थी। अगर कांग्रेस के पक्ष में नतीजा नहीं आता है तो सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की साख पर चोट पहुंच सकती है। आम आदमी पार्टी के लिए भी यह चुनाव बेहद अहम है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जालंधर में डेरा डाला रखा और कई मंत्री, कई विधायक और आप नेता मोहल्ला स्तर पर सक्रिय रहे हैं। सीएम मान को भाजपा उम्मीदवार शीतल अंगुराल के गंभीर आरोपों को भी झेलना पड़ा है। शीतल अंगुराल के इस्तीफा देने से ही उपचुनाव हो रहा है।

आप पार्टी से इस्तीफा देकर शीतल भाजपा में शामिल हुए। संसदीय चुनाव में भाजपा को 42 हजार से अधिक वोट मिले थे। अब इसे पार करना और वोट बैंक को बचाना भाजपा के लिए चुनौती है।

अकाली दल और बसपा भी इस उपचुनाव के असर से नहीं बच सकते। अकाली दल ने सुरजीत कौर को उम्मीदवार घोषित करने के बाद चुनाव चिन्ह दे दिया लेकिन बाद में समर्थन वापस ले लिया।

सुरजीत कौर को अकाली दल के बागी धड़े ने समर्थन दिया तो अकाली दल की स्थानीय टीम ने बसपा को समर्थन दे दिया। अगर सुरजीत कौर को अकाली दल समर्थित बसपा उम्मीदवार बिंदर लाखा से ज्यादा वोट मिलते हैं तो अकाली दल के लिए स्थिति चिंताजनक हो सकती है।

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