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मुल्तान को दिल्ली से जोड़ता था अंग्रेजों के जमाने का Jullundhar स्टेशन, जानें इसका रोचक इतिहास

Jalandhar City Railway Station History जालंधर के रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य वर्ष 1864 में शुरू हुआ था। इसे सिंध पंजाब और दिल्ली रेलवे ने 1870 में 483 किमी लंबा अमृतसर-अंबाला-सहारनपुर-गाजियाबाद रेलमार्ग बना मुल्तान (पाकिस्तान) को दिल्ली से जोड़ा था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 12:57 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 12:57 PM (IST)
जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन का करीब 150 वर्ष पुराना इतिहास है। (जागरण)

जालंधर [अंकित शर्मा]। करीब 150 साल पुराने जालंधर रेलवे स्टेशन का रंग-रूप समय के साथ बदलता रहा है। अंग्रेजों के जमाने में इसे जुलुंधर (Jullundhar) नाम से पुकारा जाता है। जालंधर के रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य वर्ष 1864 में शुरू हुआ था। इसे सिंध, पंजाब और दिल्ली रेलवे ने 1870 में 483 किमी लंबा अमृतसर-अंबाला-सहारनपुर-गाजियाबाद रेलमार्ग बना मुल्तान (अब पाकिस्तान में) को दिल्ली से जोड़ा था। आज यह स्टेशन उत्तर रेलवे के फिरोजपुर मंडल में आता है। यहां से रेल लाइन अमृतसर-अटारी, फिरोजपुर रेल मार्ग और जम्मू के लिए जाती है।

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स्टेशन पर रोजाना आते हैं 20 हजार लोग 

आम दिनों में सिटी रेलवे स्टेशन पर रोजाना लगभग 100 ट्रेनों का आगमन होता है जिनमें माल गाड़ियां भी शामिल हैं। स्टेशन पर 20,000 यात्रियों का फुटफाल रहता है। यहां पांच प्लेटफार्म बनाए गए हैं। इसके अलावा यात्रियों की सुविधा के लिए एसी वेटिंग हॉल, जर्नल वेटिंग हॉल, कम प्राइस रिजर्वेशन टिकट काउंटर, जनरल टिकट काउंटर, तत्काल टिकट रिजर्वेशन सुविधा, ऑल टाइम टिकट वेंडिंग मशीन (एटीवीएम) भी उपलब्ध हैं। रेलवे ने इसे JUC कोड दिया है।

जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन को वर्ष 2006 में ए प्लस का ग्रेड मिला है। यानी इसे देश के चुनिंदा बेहतरीन स्टेशनों में शामिल किया गया है।

आज देश के टाप स्टेशनों में शामिल है जालंधर

यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के कारण वर्ष 2006 में सिटी रेलवे स्टेशन को ए प्लस का ग्रेड मिला था। आज यह देश के टॉप स्टेशनों में शामिल है। अब आने वाले वर्ष में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जालंधर स्टेशन को विरासती स्टेशन बनाने के लिए उसका सुंदरीकरण भी किया जाएगा। इसमें स्टेशन के बाहर से ही एस्केलेटर लगाया जाएगा ताकि प्लेटफार्म नंबर 2 पर जाने वाले यात्रियों को प्लेटफार्म नंबर एक से होकर ना गुजर ना पड़े।

1915 में हुआ जालंधर से मुकेरियां रेललाइन का निर्माण

जालंधर से मुकेरियां तक रेलमार्ग का निर्माण वर्ष 1915 में किया गया था। उसके बाद मुकेरियां-पठानकोट रेलमार्ग 1952 में बनकर तैयार हुआ। फिर, पठानकोट-जम्मूतवी रेलमार्ग का निर्माण 1965 में शुरू किया गया। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद दोबार निर्माण कार्य चालू हुआ और 1971 में इसे यातायात के लिए खोल दिया गया। फिरोजपुर छावनी-जलंधर शहर शाखा वर्ष 1912 में खोली गई थी। फगवाड़ा-जालंधर कैंट-जालंधर शहर-अमृतसर खंड का विद्युतीकरण वर्ष 1997 में किया गया।


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