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पंजाब की जेल में नींबू घोटाला, सुपरिंटेंडेंट ने 200 रुपये किलो में आधा क्विंटल मंगवाए, कैदी बोले- कभी नहीं खाए

कपूरथला माडर्न जेल में 15 से 30 अप्रैल के बीच 50 किलो नींबू की खरीद दिखाई गई। उस समय नींबू की कीमतें 200 रुपये किलो के ऊपर थीं। जांच के दौरान कैदियों ने स्पष्ट कहा कि उन्हें राशन में कभी नींबू नहीं दिया गया।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Fri, 06 May 2022 12:13 PM (IST)
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कपूरथला माडर्न जेल में कैदियों के लिए महंगे नींबू की खरीद सहित कई अनियमितताएं सामने आई हैं। सांकेतिक चित्र।

हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला। अब तक जिस नींबू को आसमान छूती कीमतों के कारण आम आदमी खरीदने से गुरेज करता रहा, उसे 200 रुपये किलो के भाव से कपूरथला माडर्न जेल के कैदियों को 'खिलाया' गया। जेल सुपरिंटेंडेंट के आदेश पर गर्मी में आधा क्विंटल नींबू मंगवाए गए। हालांकि, ये नींबू कैदियों को कभी नसीब नहीं हुए। सारी हेराफेरी की पोल उस समय खुली, जब जांच पैनल निरीक्षण करने पहुंचा। कैदियों ने स्पष्ट कह दिया, उन्होंने राशन में नींबू कभी नहीं खाए। इसके बाद जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कपूरथला केंद्रीय जेल के अधीक्षक गुरनाम लाल को निलंबित कर दिया। जांच में गबन और कुप्रबंधन सहित कई अनियमितताएं भी सामने आई हैं।

15 दिन में दस हजार रुपये के नींबू खरीदे

कपूरथला से आठ किलोमीटर दूर स्थित थेह काजला में जालंधर व कपूरथला जिलों के लिए बनी केंद्रीय माडर्न जेल के अधीक्षक गुरनाम ने 15 से 30 अप्रैल के बीच 50 किलोग्राम नींबू की खरीद दिखाई थी। उस समय नींबू की कीमतें 200 रुपये प्रति किलो से ऊपर मंडरा रही थीं। दूसरी ओर से कैदियों ने दावा किया है कि रसोई में नींबू का कभी इस्तेमाल किया ही नहीं गया। जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कपूरथला जेल अधीक्षक गुरनाम लाल को कुप्रबंधन और कैदियों के लिए कथित तौर पर राशन की हेराफेरी के लिए निलंबित करने का आदेश दिया है।

जेल अधिकारी ने अन्य अनियमितताओं के बीच, 50 किलोग्राम नींबू की खरीद दिखाई थी, जबकि कैदियों ने दावा किया था कि नींबू जेल की रसोई में कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था। इस नींबू की खरीद को 15 से 30 अप्रैल के बीच दिखाया गया था, उस समय नींबू की कीमतें 200 प्रति किलोग्राम से उपर चल रही थी।

आटा खरीद में भी गबन की भी आशंका

कैदियों की कई शिकायतों के बाद एडीजीपी (जेल) वीरिंदर कुमार ने एक मई को जेल में औचक निरीक्षण करने के लिए एक डीआईजी (जेल) और लेखा अधिकारी को भेजा था। जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि कैदियों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता खराब थी और जेल नियमावली में तय की गई मात्रा पर्याप्त नहीं थी।

चपाती का वजन 50 ग्राम से कम

उदाहरण के लिए प्रत्येक चपाती का वजन 50 ग्राम से कम था, जिससे संकेत मिलता था कि कई क्विंटल आटे का भी गबन किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल अधिकारी की तरफ से सब्जियों की खरीद में भी गड़बड़ी की गई है। जेल अधीक्षक ने पांच दिनों के लिए सब्जियां खरीदी दिखाई, लेकिन कैदी कम दिनों के लिए सब्जियां खरीदने का दावा कर रहे हैं।

दवा की अनुपलब्धता सहित कई अनियमितताएं

रिपोर्ट में दवा की अनुपलब्धता, परिसर के खराब रखरखाव और कनिष्ठ अधिकारियों पर नियंत्रण की कमी का भी उल्लेख किया गया है। आकस्मिक जांच में पता चला कि जेल अधीक्षक का जेल प्रशासन पर नियमावली के अनुसार पूर्ण नियंत्रण नहीं था। अधिकारी को जेल में कुप्रबंधन और धन के उपयोग में गबन की प्रारंभिक रिपोर्टों के अलावा, अपने कर्तव्यों और जेल प्रशासन के प्रति भी लापरवाह पाया गया है। सूत्रों का कहना है कि गुरनाम आरोप पत्र दायर किया जाएगा। लाल जो पंजाब जेल विभाग में प्रतिनियुक्ति पर बीएसएफ के अधिकारी हैं उनके खिलाफ भी इस चूक के लिए

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