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Kartarpur Corridor Reopens: नवजोत सिद्धू ने पाकिस्तान यात्रा के बाद किया था कोरिडोर खुलवाने का दावा, बार्डर से केवल 4 किमी दूर है गुरुद्वारा

Kartarpur Corridor पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह स्थान सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव से जुड़ा है। सिख श्रद्धालुओं को यहां दर्शन करने में सुविधा हो इसके लिए दोनों देशों ने मिलकर वर्ष 2019 में करतारपुर कोरिडोर को खोला था।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Thu, 18 Nov 2021 11:20 AM (IST)
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भारतीय क्षेत्र से लोग आज भी दूरबीन के जरिये गुरद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन करते हैं। पुरानी फोटो
जेएनएन, जालंधर। केंद्र सरकार के करतारपुर कोरिडोर खोलने के एलान के एक दिन बाद बुधवार को सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था पाकिस्तान की ओर रवाना हो गया है। यहां स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह स्थान सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव से जुड़ा है। सिख श्रद्धालुओं को यहां दर्शन करने में सुविधा हो, इसके लिए दोनों देशों ने मिलकर वर्ष 2019 में करतारपुर कोरिडोर को खोला था। हालांकि इस कोरिडोर की शुरुआत पिछले कई महीनों से सुर्खियों में चल रहे पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू से भी जुड़ी है। अपनी विवादित पाकिस्तान यात्रा के बाद उन्होंने ही इसे खुलवाने का दावा किया था। 

दरअसल, वर्ष 2018-17 अगस्त में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कई भारतीय हस्तियों को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था। इनमें कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल थे। उन्होंने समारोह शिरकत करके पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जावेद बाजवा से भी मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों के बीच 'झफ्फी' पर भारत में विवाद हो गया था। स्वदेश आकर नवजोत सिंह सिद्धू ने दावा किया था कि उनकी बातचीत से ही करतारपुर कोरिडोर खोलने का मार्ग प्रशस्त हुआ था। इसके बाद दोनों देशों की सहमति से नवंबर, 2019 में करतारपुर कोरिडोर को खोला गया। कोरोना महामारी शुरू होने के बाद इसे बंद कर दिया गया और अब करीब 20 महीने बाद दोबारा खोला गया है। बता दें कि वर्ष 2000 में पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब के लिए वीजा मुक्त यात्रा की घोषणा की थी।

जानें गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब का इतिहास 

गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब का इतिहास करीब 500 वर्ष पुराना है। यहीं पर गुरु नानक देव जी ने वर्ष 1522 में आरंभ करके अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष खेतीबाड़ी करके बिताए थे। यहां उनकी रिहायश के अलावा वह कुआं भी स्थित है, जिसका पानी वह प्रयोग करते थे। आज यह गुरद्वारा पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है लेकिन बंटवारे से पहले गुरदासपुर जिले में होता था। रावी नदी के किनारे स्थित यह गुरद्वारा भारतीय सीमा से केवल 3-4 किमी दूर स्थित है। इस बार 19 नवंबर को गुरपर्ब पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

दूरबीन से भी दर्शन करते हैं श्रद्धालु

वर्ष 2019 में करतारपुर कोरिडोर खुलने से पहले सिख श्रद्धालु पहले वीजा लेकर लाहौर जाते थे और उसके बाद करीब 130 किमी का सफर करके करतारपुर साहिब दर्शन करने पहुंचते थे। बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु भारतीय क्षेत्र में स्थित डेरा बाबा नानक में बॉर्डर के पास लगी दूरबीनों के जरिये भी गुरुघर के दर्शन करते हैं। यह सिलसिला आज भी जारी है।

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