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Punjab Election Result 2022: पंजाब में चल गई केजरीवाल की गारंटी, काम नहीं आई कांग्रेस की रणनीति, दलित फैक्टर फेल

Punjab Election Result 2022 पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अन्य दलों का सूपड़ा साफ कर दिया है। चुनाव में कांग्रेस की रणनीति पूरी तरह से फेल हो गई। अरविंद केजरीवाल की रणनीति ने कांग्रेस पर झाड़ू फेर दिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Thu, 10 Mar 2022 03:33 PM (IST)
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पंजाब चुनाव परिणाम 2022: अरविंद केजरीवाल की फाइल फोटो।

मनोज त्रिपाठी, जालंधर। Punjab Election Result 2022: पंजाब में विधानसभा चुनाव की मतगणना शुरू होने के 1 घंटे बाद से ही आने वाले रुझान के बाद पूरे पंजाब में झाड़ू का फिरना लगभग तय हो गया था। जैसे-जैसे मत करना आगे बढ़ती गई आम आदमी पार्टी ने बढ़त बना दी। 

तमाम सियासी पंडितों के गणित को उलटफेर करने वाले रुझान ने यह सिद्ध कर दिया कि आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की गारंटी स्कीम पंजाब में चल गई। लगातार दो बार से पंजाब में अपना सियासी भविष्य तलाश रहे केजरीवाल को इस बार सानू भी एक मौका दो और गारंटी कार्ड स्कीम ने सत्ता के पास तक लाकर पहुंचा दिया। 

इसका सबसे बड़ा कारण कांग्रेस का गलत प्रयोग रहा और दलित चेहरे को लेकर चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है। अकाली दल भी चुनावी कूटनीति को लेकर पहली बार मतदाताओं का मूड सब समझ पाने में नाकामयाब रहा। 

मतदान से पहले ही केजरीवाल ने इस बार पंजाब में चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथों में ली और उन्होंने राघव चड्ढा को पंजाब की कमान दी। साथ ही समय-समय पर केजरीवाल खुद युद्धस्तर पर पंजाब का दौरा करके मतदाताओं का मूड समझने में लगे हुए थे।

इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने पहली बार पंजाब में नया प्रयोग किया कि गरीब तबके के लोगों को केजरीवाल की फोटो लगे गारंटी कार्ड वितरित किए गए। इन कार्डों पर मतदाताओं का नाम उनकी मतदाता संख्या उनका पता और फोन नंबर लिखा हुआ था।

साथ ही यह कार्ड आम आदमी पार्टी के वॉलिंटियर्स की तरफ से लोगों को यह कहकर वितरित किए गए कि यह आम आदमी पार्टी या केजरीवाल की तरफ से दिया जा रहा गारंटी कार्ड है। आपकी सरकार आनी तय है और उसके बाद इस गारंटी कार्ड के आधार पर ही चुनाव में उनसे की गई घोषणा के हकदार वह हो पाएंगे।

लोगों से यह भी अपील की गई थी खासतौर पर महिलाओं से कि वह गारंटी कार्ड अपने पास संभाल कर रखें, जिससे कि बाद में सरकार बनने के बाद इसी गारंटी कार्ड को देखने के बाद उनको पार्टी की तरफ से दी जाने वाली सहायता राशि दी जाएगी।

साथ ही बिजली के बिलों में दी जाने वाली छूट व अन्य सुविधाओं का लाभ भी गारंटी कार्ड के आधार पर ही दिया जाएगा यह स्कीम इतनी ज्यादा सफल रही कि लोगों ने उसे लॉटरी का टिकट समझकर अपने पास सहेज कर रखा कि 10 तारीख को जब चुनाव का परिणाम आएगा तो आप की सरकार बनने के बाद उसी आधार पर उन्हें लाभ मिलेगा। 

हर विधानसभा हलके में आप के वॉलिंटियर्स की तरफ से 40 से 50 हजार लोगों को गारंटी कार्ड वितरित किए गए थे। इन कार्डो को वितरित करने के साथ ही पार्टी के पास पंजाब के मतदाताओं का एक आंकड़ा भी आ गया था कि कितने मतदाताओं को उन्होंने गारंटी कार्ड वितरित किए हैं।

इन मतदाताओं के फोन नंबरों पर पार्टी की तरफ से लगातार संपर्क करके उन्हें जागरूक भी किया। पार्टी की यह कूटनीति समाज के गरीब तबके के लोगों के बीच मतदान के दौरान दिखाई पड़ी और मतगणना के बाद आ रहे हो रुझान से स्थिति स्पष्ट हो गई की पार्टी की यह रणनीति सफल रही। 

इसके साथ ही केजरीवाल ने समाज के अन्य वर्गों के लोगों के साथ अलग-अलग ग्रुप में बैठक कर उनका मन भी टटोला। इनमें औद्योगिक संगठनों के अलावा व्यापारिक संगठनों के ग्रुप भी शामिल थे। उन्होंने आप को वोट दिया या नहीं यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन आ रहे रुझान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को गरीबों के साथ-साथ अन्य वर्गों के लोगों ने भी मतदान किया है। 

अभी तक के रुझान में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया है। कांग्रेस ने इस बार दलित मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। यही वजह थी कि राहुल गांधी ने तमाम विरोध के बाद भी चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया था। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि दलित फैक्टर भी इस चुनाव में जरूर चलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

पंजाब में 32 आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेस बढ़त नहीं बना पाई। इसका मतलब कांग्रेस का दलित मुद्दा इस चुनाव में बिल्कुल भी नहीं चला जो कांग्रेसी चुनाव जीते हैं वह अपने दमखम पर चुनाव जीतने में सफल हो पाए हैं और जिन सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली हुई है उन सीटों पर भी कांग्रेस के उम्मीदवारों की सामाजिक व लोगों तथा मतदाताओं के साथ में निकटता के चलते ही वह बढ़त बनाने में कामयाब हो सके हैं।

अकाली दल मतदाताओं का मूड समझ ही नहीं पाया

कांग्रेस द्वारा चन्नी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए जाने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि अकाली दल के पक्ष में पंजाब के जाट मतदाता जरूर जाएंगे। अकाली दल को भी यह पूरी उम्मीद थी कि पंजाब की सियासत में अभी तक राज करने वाले जाट मतदाताओं को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं आएगा कि वह चन्नी को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करें, इसलिए जाट मतदाताओं का वोट फिर से अकाली दल को मिलेगा, लेकिन चुनाव के रुझान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा नहीं हो सका है साथ ही बेअदबी के मुद्दे ने भी अकाली दल को इस चुनाव में खासा नुकसान पहुंचाया है।

भाजपा को नुकसान नहीं

विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अभी तक के रुझान के अनुसार कोई खास नुकसान होता नजर नहीं आ रहा है। पहली बार अपने दम पर पंजाब में चुनावी मैदान में उतरी भाजपा फिलहाल दो से 5 सीटों पर बढ़त बनाकर चल रही है। उम्मीद यह की जा रही है कि पिछले चुनाव में भाजपा को 3 सीटें मिली थी तो इस बार भी भाजपा कम से कम 3 या उससे ज्यादा सीटें जरूर हासिल कर लेगी भाजपा के दिग्गज यही मानकर चल रहे हैं कि भाजपा को कोई खास नुकसान नहीं हुआ बल्कि मतदान मैं भाजपा का वोट फीसद जरूर बढ़ा है।

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