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Punjab: जानें एशिया के सबसे बड़े बायोगैस प्लांट की विशेषताएं, खुलेगा पराली जलाने की समस्या खत्म करने का रास्ता

भूटाल कलां में कृषि अवशेष (पराली) पर आधारित बायो एनर्जी प्लांट ऐसा एशिया में सबसे बड़ा प्लांट है। 80000 क्यूबिक मीटर प्रति दिन की क्षमता वाला ये प्रोजेक्ट बायोगैस पैदा करेगा इस यूनिट में सालाना 1.30 लाख टन पराली की खपत होगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Tue, 18 Oct 2022 09:47 PM (IST)
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लहरगागा के भूटाल कलां में एशिया का सबसे बड़ा बायो गैस प्लांट बनकर तैयार है।
आनलाइन डेस्क, जालंधर। संगरूर के भूटाल कलां में कृषि अवशेष (पराली) पर आधारित बायो एनर्जी प्लांट ऐसा एशिया में सबसे बड़ा प्लांट है। मंगलवार को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इसका विधिवत उद्घाटन किया। उम्मीद जताई जा रही है कि 20 एकड़ में स्थापित इस प्लांट के जरिये पंजाब पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी। इस प्लांट को तैयार करने में 230 करोड़ रुपये की लागत आई है।

इसके उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उम्मीद जताई कि इस प्रोजेक्ट से धान की पराली जलाने की समस्या को खत्म करने के लिए रास्ता खुलेगा। 

जानें एशिया के सबसे बड़े बायो गैस प्लांट की विशेषताएं

  • यह प्रोजेक्ट वरबीयो इंडिया प्राईवेट लिमटिड ने स्थापित किया है। 
  • इसकी बायो-सीएनजी 33 टीपीडी (टन प्रति दिन) और 550 टीपीडी (प्रति साल) की क्षमता है।
  • 80,000 क्यूबिक मीटर प्रति दिन की क्षमता वाला ये प्रोजेक्ट बायोगैस पैदा करेगा
  • इस यूनिट में सालाना 1.30 लाख टन पराली की खपत होगी। 
  • इस यूनिट से सालाना धान की पराली को आग लगाने के कारण पैदा होने वाले 1.50 लाख मीट्रिक टन दूषित तत्वों और 20,000 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश की कमी आएगी।
  • यहां 1000 नौजवानों को रोजगार भी मिला है जिससे 5000 से अधिक परिवारों को लाभ पहुंचेगा।
  • इसके अलावा बायो मैन्यूर से भरपूर मिट्टी का 2150 एकड़ रकबा होगा।

मुख्यमंत्री भगवंत मान को प्लांट के बारे में बताते हुए वरबीयो इंडिया के प्रतिनिधि।

पंजाब में 13 मिलियन टन पराली जला रहे किसान

पंजाब में हर साल लगभग 18 मिलियन टन पराली/कृषि अवशेष पैदा होते हैं। बायोमास पावर प्लांटों, औद्योगिक ब्यालरों और प्लाईवुड उद्योग में केवल 5 मिलियन टन का प्रयोग होता है। बाकी 13 मिलियन टन पराली/अवशेष किसान जला रहे हैं। पंजाब में 75 लाख एकड़ क्षेत्रफल में धान की खेती की जाती है। 37 लाख एकड़ वाले किसान धान की पराली को आग नहीं लगाते हैं। 

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार ने पराली जलाने की समस्या को हल करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके इलावा कुल 14.25 टन सीबीजी प्रति दिन क्षमता वाले दो अन्य प्रोजेक्ट साल 2022-23 में मुकम्मल होने की संभावना है। ये प्रोजेक्ट प्रति दिन 492.58 टन कंप्रेस्ड बायोगैस के उत्पादन के लिए प्रति साल लगभग 16.5 लाख टन धान की पराली की खपत करेंगे।

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